निशा शर्मा।
दिल्ली पुलिस ने एक शख्स को हिरासत में लिया है, जो 500 नाबालिग को अपनी हवस का शिकार बना चुका है और 2500 लड़कियों से रेप की कोशिश कर चुका है। सुनील रस्तोगी नाम के इस शख्स ने इन गुनाहों को खुद कबूला है।
AIIMS में मानसिक रोगों की विशेषज्ञ मंजू महता बताती हैं कि इस तरह के लोग कमजोर होते हैं, इनमें आत्मविश्वास की कमी होती है जिसकी वजह से यह अपने से कम उम्र के लोगों को अपना शिकार बनाते हैं ताकि वह उन पर हावी हो सकें। जिन लोगों में इस तरह के लक्षण पाए जाते हैं उसे पेडोफाइल (बच्चों में सेक्स्युअल इंटरेस्ट रखने वाला) कहते हैं, यह एक तरह की मानसिक बीमारी है। इस बीमारी के तहत वह अपने से कम से कम 16 साल छोटे बच्चों की ओर आकर्षित होते हैं या उन्हें अपनी हवस का शिकार बनाते हैं।
मंजू कहती हैं कि सुनील रस्तोगी भी पेडोफाइल बीमारी से ग्रस्त है, क्योंकि वह भी सात से तेरह साल की लड़कियों को अपनी हवस का शिकार बनाता था। रस्तोगी ने खुद स्वीकारा है कि वह स्कूल जा रही या स्कूल से आ रही बच्चियों को बहला फुसलाकर किसी सुनसान जगह ले जाता था और उनके साथ बलात्कार की घटना को अंजाम देता था।
सात से तेरह साल की लड़कियां का मतलब है अधिकतर वो बच्चियां जो तीसरी से सातवीं कक्षा की छात्राएं होती हैं। देवेन्द्र कुमार हस्तसाल के केन्द्रीय विद्यालय के प्रिंसिपल हैं वह बताते हैं कि स्कूलों में बच्चो को AEP (Adolescence Education Programme) के तहत शिक्षा दी जाती है। जैसे कि जिस रेपिस्ट को पकड़ा गया है, उसी तरह के लोग बच्चों को बहला–फुसला कर इस तरह की हरकत ना कर सकें। AEP (Adolescence Education Programme) के कार्यक्रम के तहत हम सबसे पहले बच्चों के माता-पिता को जानकारी देते हैं, ताकि पहले वह शिक्षित हो सकें। अगर ऐसा नहीं करते हैं तो कईं बार ऐसा भी हो जाता है कि माता-पिता इस शिक्षा को गलत समझ लेते हैं। जैसेे बच्चों को ये किस तरह की शिक्षा दी जा रही है, बच्चों को स्कूलों में यह क्या पढ़ाया जा रहा है आदि। किशोरावस्था शिक्षा कार्यक्रम के तहतदस साल के बच्चों को शिक्षा दी जाती है। लेकिन मेरा मानना है कि बच्चों से ज्यादा माता-पिता को भी इन चीजों की जानकारी होनी चाहिए ताकि जिस उम्र के बच्चों को जैसे एक साल से नौ साल की बच्चियां इस शिक्षा से अछूती रह जाती हैं। जिन्हें हम इन कार्यक्रमों के तहत शिक्षित नहीं कर पाते उन्हें माता-पिता को सिखाना चाहिए। इस केस में भी आप देखेंगे कि सुनील रस्तोगी सात साल की लड़कियों से दस साल की लड़कियों को बहला फुसलाकर उनके साथ दुष्कर्म करता था।
सुनील रस्तोगी की शादी हो चुकी है, वह पांच बच्चों का पिता है, जिसमें से उसकी बड़ी बेटी करीब 15 साल की है ऐसे में डॉक्टर मंजू कहती हैं इससे कोई फर्क नहीं पड़ता की व्यक्ति शादी-शुदा है या नहीं। इस तरह के लोग मानसिक रूप से बीमार होते हैं और पेडोफाइल से पीड़त व्यक्ति में विशेष तौर पर कम उम्र की बच्चियों के प्रति यौन आकर्षण होता है, जैसा कि सुनील रस्तोगी भी है और निठारी भी था।
आरोपी के मुताबिक वह 6 दिन अपने गांव में काम करने के बाद सिर्फ रेप करने के लिए हर सातवें दिन ट्रेन से दिल्ली आता था। रेप करने से पहले वह लाल कपड़ा पहनता था। वह बच्चियों से कहता कि उनके पैरंट्स ने चॉकलेट भेजी हैं। फिर उन्हें सुनसान जगह ले जाकर दुष्कर्म करता था।