नई दिल्ली। नोटबंदी के बाद कैश की किल्लत से ऑनलाइन भुगतान की प्रासंगिकता और जरूरत बढ़ी है। इस दिशा में सरकार और लोग तत्पर लग रहे हैं। इसी क्रम में आधार कार्ड बनाने वाली संस्था, यूआईडीएआई भारतीय समाज को कैशलेस समाज बनाने की दिशा में जोर-शोर से जुटी है। संस्था ने इस प्लेटफॉर्म के इस्तेमाल के लिए आधार के जरिये बायोमैट्रिक पहचान क्षमता 10 करोड़ से बढ़ाकर 40 करोड़ तक करने का फैसला किया है।
इसके साथ सरकार एक ऐसे कॉमन मोबाइल फोन ऐप विकसित करने में लगी है जिससे दुकानदार और कारोबारी आधार प्लेटफॉर्म के जरिये पेमेंट हासिल कर सकते हैं। इसके लिए डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, पिन और पासवर्ड की जरूरत नहीं पड़ेगी। इस मोबाइल ऐप के जरिये हैंडसेट, कस्टमर की बायोमैट्रिक पहचान के लिए इस्तेमाल किए जा सकेंगे।
यूआईडीएआई के सीईओ अजय भूषण पांडे ने पत्रकारों से कहा कि यूआईडीएआई, बायोमैट्रिक पहचान मौजूदा 10 करोड़ से बढ़ा कर 40 करोड़ करना चाहता है। उन्होंने कहा कि हम आम लोगों को इस ट्रांजेक्शन के तरीके के बारे में बताएंगे और इस तरह 40 करोड़ पहचान तक अपनी क्षमता बढ़ाएंगे।
उन्होंने कहा कि इस तरह की कोशिशों से नोटबंदी और ब्लैकमनी खत्म करने के उपायों से पैदा हुई फौरी दिक्कतों को रोकने में मदद मिलेगी। साथ ही वित्तीय लेनदेन में और पारदर्शिता आएगी। 12 अंकों का आधार नंबर 1.08 करोड़ लोगों को बांटा जा जा चुका है और इसके तहत लगभग 99 फीसदी वयस्क कवर हो चुके हैं।