नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी के संकटमोचक आजम खान की जोर आजमाइश अब काम नहीं आ रही है। फिर भी दो फाड़ हो चुकी समाजवादी पार्टी में सुलह की कोशिशें की जा रही हैं। दोनों ही खेमों की बातचीत अब शर्तों पर आकर टिक गई है। मंगलवार को मुलायम और अखिलेश की 4 घंटे की लंबी मुलाकात के बाद भी कोई समाधान नहीं निकल पाया।
मुलायम के घर पर अखिलेश के साथ शिवपाल यादव भी मौजूद रहे, लेकिन तीनों नेताओं ने सुलह पर चुप्पी साधे रखी। बुधवार को फिर मुलायम सिंह के घर पर बैठक हुई। इसमें शिवपाल यादव और आजम खान भी शामिल हुए। लंबी चली मीटिंग के बाद आजम खान मुलायम के घर से वापस चले गए। आजम खान पार्टी में सुलह का फॉर्मूला लेकर सामने आए थे।
आजम खान ने दोनों पक्षों से थोड़ी नरमी बरतने और चुनाव के लिए मिलकर काम करने की अपील की है। इस बैठक में नारद राय और ओमप्रकाश समेत कई नेता शामिल हुए। माना जा रहा है कि आजम खान इसके बाद अखिलेश यादव से मुलाकात कर आगे की संभावनाओं पर बात करेंगे।
दूसरी ओर अखिलेश भी अपने समर्थकों के साथ बैठक करेंगे और विवाद खत्म करने को लेकर दोबारा मुलायम से भी मुलाकात कर सकते हैं। सुलह पर आजम खान ने कहा कि नेताजी बहुत पॉजिटिव और नरम हैं और चाहते हैं विवाद खत्म हो। विवाद खत्म करने के लिए जो कुछ भी करना पड़े, कर लूंगा।
सुलह का ‘आजम‘ फॉर्मूला
मुलायम सिंह यादव राष्ट्रीय अध्यक्ष बने रहें, अखिलेश अपना दावा वापस ले लें। अखिलेश को प्रदेश अध्यक्ष की कमान वापस दे दी जाए और टिकट बंटवारे में उनकी अहम भूमिका रहे। शिवपाल यादव को दिल्ली में राष्ट्रीय महासचिव बनाकर राष्ट्रीय राजनीति में भेज दिया जाए। मुलायम के अमर और अखिलेश के रामगोपाल को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाए।
मुलायम अब अमर सिंह को पार्टी के अंतरराष्ट्रीय मामलों का प्रभारी बनाने के लिए तैयार हैं, जबकि शिवपाल यादव उत्तर प्रदेश छोड़कर राष्ट्रीय मामलों को देखेंगे। वहीं अखिलेश को उम्मीदवारों के बारे में फैसला करने के लिए स्वतंत्रता दी जाएगी।
दरअसल, कई मौकों पर लगा कि पिता-पुत्र की जोड़ी भले ही मानने को तैयार हो जाती हो, लेकिन जानकारों के मुताबिक जिन शक्तियों से पिता और पुत्र अलग-अलग घिरे हैं, कहीं न कहीं वे सुलह में रोड़ा बन कर सामने आ जाती हैं।
मुलायम की कमजोरी अमर और शिवपाल हैं, तो अखिलेश का हाथ रामगोपाल के साथ है। लखनऊ में पिता-पुत्र की मुलाकात के बाद दिल्ली में रामगोपाल यादव के घर अखिलेश गुट की बैठक हुई और रामगोपाल यादव ने सुलह की सारी संभावनाओं को खारिज भी कर दिया। हालांकि पार्टी के सांसद जावेद अली का कहना है कि पार्टी में कोई झगड़ा नहीं है और नेताजी ही उनके आदर्श हैं।