निशा शर्मा।
पंजाब, पांच नदियों के संगम से बना राज्य। जहां सूरज की किरणों के साथ नानक की वाणी गूंजती है। सूफी-संत जिस राज्य की पहचान रहे हैं, जहां धार्मिक पंथ का अनुसरण करने वाली पार्टी राज करती है। वह राज्य नशे की ऐसी चपेट में है कि उससे उबरना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन लगता है।
पंजाब में अमृतसर एक ऐसी जगह है जहां नशा अपने चरम पर है। माना जा रहा है कि 75 प्रतिशत की आबादी इसके आगोश में आ चुकी है। अगर ढूंढने निकलें तो हर घर में नशे के दिए जख्म आसानी से मिल जाएंगे। किसी बाप ने अपने बेटे की अर्थी को कांधा दिया है तो कहीं बाप, बेटा, पोता इसी की लत में अपना पीढ़ी को खत्म कर चुके हैं। कहीं सिर्फ मां और उसके आंसू जिन्दगी जीने का सहारा बने हुए हैं।
नशा अपने आप में जानलेवा है लेकिन इस नशे ने पंजाब में एक और जानलेवा बीमारी को जन्म दे दिया है। जिसकी वजह से कई लोग इसके शिकार हो रहे हैं। इस खूंखार बीमारी का नाम एचआईवी एड्स है। यह बीमारी पंजाब के अमृतसर, लुघियाना, पटियाला जैसे जिलों में बड़ी तेजी से फैल रही है। इंद्रजीत सिंह ढींगरा जो डॉ. डी एन कोटनिस हेल्थ एंड ऐजुकेशन सेंटर नाम से एक एनजीओ के फाउंडर हैं। उनका कहना है कि पंजाब एचआईवी एड्स से बुरी तरह ग्रस्त हो रहा है। इंद्रजीत सिंह के मुताबिक ‘अमृतसर में 56 प्रतिशत युवा सिर्फ अमृतसर में इस बीमारी से पीड़ित है। यह वह आंकड़े हैं जिसके केस हमारे पास आते हैं या रजिस्ट्रर होते हैं।’
आंकड़ो पर ध्यान दें तो पता चलता है कि जिले की आधी आबादी से ज्यादा एड्स से ग्रस्त है। इंद्रजीत सिंह का कहना है कि ‘हमारे पास एक महीने में करीब 5,500 केस ड्रग्स के आते हैं और 900 एड्स के केस। दो तरह के लोग ही हमारे पास आते हैं या तो गरीब या फिर मिडल क्लास । अमीर हमारे पास नहीं आते हैं जबकि अमीरों में भी एड्स के केस हैं क्योंकि पंजाब का हर तबका गरीब हो या अमीर ड्रग्स लेता है। अमीरों की संख्या मिला लें तो यह आंकड़ा और बढ़ जाएगा’
पंजाब के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ो की माने तो एड्स के रोगियों की संख्या में दिन ब दिन इजाफा हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक अप्रैल 2015 तक एड्स रोगियों की संख्या बढ़कर 45,948 हो चुकी थी जबकि फरवरी 2014 तक पंजाब में एड्स रोगियों की संख्या 39,625 थी। 1 साल में एड्स रोगियों की संख्या में करीब 6,300 की बढ़ौतरी हुई है और अब तक 4,221 रोगी मौत की आगोश में आ चुके हैं।
पंजाब में ड्रग्स एड्स का मुख्य कारण बन चुका है इसके कई कारण है लेकिन एक मुख्य कारण युवा पीढ़ी का इंजेक्शनों से ड्रग्स का इस्तेमाल है। यह लोग ड्रग्स लेने के लिए एक ही इंजेक्शन एक ग्रुप में इस्तेमाल करते हैं जिससे एड्स का खतरा बढ़ जाता है।
फैजपुरा में 28 साल के सोनू (बदला हुआ नाम) की एड्स से मौत हो गई। सोनू दसवीं क्लास में था जब उसने नशा लेना शुरू किया था। उसे कई बार नशा छुड़ाओ केन्द्र में भी ले जाया गया, लेकिन उसने नशा नहीं छोड़ा। सोनू का छोटा भाई बताता है कि ‘हमने करीब सत्तर हजार रूपए उस पर लगाए लेकिन उसने नशा नहीं छोड़ा । फिर उसे गुरू नानक देव मेडिकल कालेज में भी इलाज के लिए ले जाया गया लेकिन कोई असर नहीं हुआ। वह हिरोईन लेता था। जब हिरोईन महंगी हो गई तो उसने इंजेक्शन लगाने शुरु कर दिए। घर का गुजारा चलाने वाले मेरे पापा अकेले ही थे। मेरे साथ उसके परिवार (पत्नी और एक बच्चे) को भी पापा ही पालते थे। तब मेरे भाई को पैसे नहीं मिल पाते थे। नौकरी वह छोड़ चुका था। भाई ने तीन- चार लोगों के साथ मिलकर ड्रग्स के इंजेक्शन लेने शुरू कर दिए। उसके बाद उसकी सेहत धीरे धीरे गिरने लगी। हम उसे डॉक्टर के पास ले गए। टेस्ट में एचआईवी पॉजीटिव आया लेकिन डॉक्टर ने कहा कि एड्स नहीं है टीबी है। उसे टीबी की दवाई देते रहे जब वह ठीक नहीं हुआ तो हमने अस्पताल बदला। वहां जाकर पता लगा कि वह एड्स की बीमारी से जूझ रहा है। (सोनू के भाई की जोशिली आवाज बताते बताते लड़खड़ाने लगी) हम जान गए थे कि अब वह नहीं बचेगा। एक दिन उसे पेट में दर्द हुआ और वो उसका आखिरी दिन और समय था । मेरे पापा भी उसके गम में ही चले गए।’
सोनू की मां से बेटे के बारे में जानना चाहा तो वह कुछ नहीं बोल पाईं लेकिन उनकी हालत बयां करती है कि उसने अपना जवान बेटा खोया है जिसका गम उसे साल रहा है।
पंजाब यूनिवर्सिटी के पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट के प्रोफेसर जयदीप कुमार का कहना है कि ‘एड्स जैसी बीमारी पंजाब के लिए बड़ी गंभीर बीमारी है। यह बीमारी आंकड़ों के बाहर बड़ा रूप ले रही है। इसकी वजह लोगों पर समाजिक तत्व का हावी होना एक बड़ा कराण है। लोग मानते हैं कि एड्स का पता लगने से उनके परिवार की बदनामी होगी। जिसकी वजह से लोग इसे छिपाते हैं और मौत का शिकार हो जाते हैं। इसी तरह सही आंकड़े पता नहीं लग पाते।’
इंद्रजीत बताते हैं कि ‘आजकल ड्रग माफिया ने नया तरीका ढूंढा है ड्रग सप्लाई के लिए। यह लोग ड्रिंक्स जैसी बोतलों में ड्रग्स की तस्करी करते हैं जिससे वह पकड़ में ना आएं। लिक्विड में घोल कर ड्रग्स अपने ग्राहकों तक पहुंचाते हैं और एक ही बोतल में से सबको बांटते हैं। जिसकी वजह से भी एड्स के केस बढ़ रहे हैं। इंजेक्शन अलग हैं लेकिन एक ही लिक्विड में अलग-अलग इंजेक्शन डाले जा रहे हैं।’
ड्रग्स के आंकड़ों में लड़कियों के भी कई मामले सामने आए हैं और, इसी तरह एड्स के मामले में भी लड़कियां शामिल हैं। पारिवारिक, सामाजिक और मानसिकता की वजह से भी लड़कियां सामने नहीं आती हैं। सरकारी तौर पर हाल के दो सालों में एड्स के पैंतीस मामले सामने आए हैं और यह वह मामले हैं जिसमें लड़कियां अपना इलाज करवाने आईं। इसमें वह आंकड़े शामिल नहीं हैं जिसमें कि लड़कियां सामने ही नहीं आती या जिनकी मौत हो जाती है।
डॉ. डी एन कोटनिस हेल्थ एंड ऐजुकेशन सेंटर के फाउंडर इंद्रजीत मानते हैं कि ‘महिलाओं के केस ना आने की वजह यह भी है कि महिलाओं के लिए अलग से राज्य में कोई सेंटर नहीं है। जब कोई महिला ड्रग्स से छुटकारा पाने के लिए आती है तो पुरूष उसे भूखे भेड़िए की तरह देखते हैं। ऐसे में कौन सी महिला इस तरह के ट्रीटमेंट के लिए सेंटर में जाएगी। यह भी एक कारण है कि महिलाओं ड्रग्स और एड्स के मामले में आंकड़े कम हैं। ’
प्रोफेसर जयदीप कुमार का कहना है कि पुलिस, राजनीतिज्ञों के बाद डी एडिक्शन सेंटर, एनजीओ भी सही तरह से काम नहीं कर पा रहे हैं। डी एडिक्शन सेंटर सही तरह से ड्रग्स के मरीजों की काउंसलिंग नहीं करते जिसके कारण लोग ड्रग्स की लत से बाहर नहीं आ पाते वहीं एनजीओ भी फंडिंग के लिए ही आंकड़े जोड़- तोड़ कर दिखाते रहते हैं। अगर यह धड़ा भी सही तरह से काम करे तो सुधार की संभावना बढ़ जाती है।
इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पंजाब में एड्स एक अलार्मिंग सिचुएशन है। जिसे जल्द से जल्द गंभीरता से लेना होगा वरना यह बीमारी साइलंट किलर की तरह इस राज्य की पीढ़ी को खत्म कर देगी।