नई दिल्ली- राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने पाकिस्तान को सख्त चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को उसी की भाषा में समझाया जाएगा। जिहादी आतंकवाद’ को दक्षिण एशिया के लिए समान खतरा बताते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने पाकिस्तान को गुप्त गतिविधियां संचालित नहीं करने की चेतावनी देते हुए कहा कि यह पड़ोसी देश की बहुत अदूरदर्शी रणनीति है। डोभाल का कहना है कि पाकिस्तान को उसी की भाषा में समझाया जाएगा। उन्होंने पाकिस्तान को गुप्त गतिविधियों के संचालन को बंद करने की चेतावनी दी। साथ ही कहा कि यह पड़ोसी देश की अदूरदर्शी रणनीती है। मुझे लगता है कि एक तो हमें पाकिस्तान को मनाने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए। हमें अपनी बात पहुंचाने और उसे समझाने में सफल होना चाहिए।
डोभाल ने पाकिस्तान को सलाह देते हुए कहा कि आतंकवाद को बढ़ावा देना या फिर छिपकर कार्रवाई करना सस्ती सिक्यूरिटी स्ट्रेटेजी है, लेकिन अंत में यह उसे ही नुकसान पहुंचाएगी, जो इसको बढ़ावा दे रहा हो। डोभाल के अनुसार पाकिस्तान ने कभी नहीं समझा कि अगर वह भारत और बाकी दक्षिण एशियाई देशों के साथ काम करता है तो उसकी आर्थिक तरक्की और स्थिरता के लिए यह लाभकारी और अत्यधिक प्रभावशाली होगा।
उन्होंने कहा कि यह हो, तब तक भारत क्या कर सकता है। मुझे लगता है कि एक तो हमें पाकिस्तान को मनाने के लिए काम करना चाहिए। हमें अपनी गंभीरता के साथ उसे समझाने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए। हम पाकिस्तान को जिस भाषा में सही से समझा सकें। हमें अपनी बात पहुंचाने और उसे समझाने में सफल होना चाहिए। इंटरनेशनल गुडविल सोसायटी ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित ‘इनस्योरिंग पीस इन साउथ एशिया :रोल ऑफ इंडिया’ विषयक प्रथम ‘नागेंद्र सिंह स्मृति व्याख्यान’ देते हुए डोभाल ने कहा कि अधिकतर दक्षिण एशियाई देशों के सुरक्षा खतरे आंतरिक हैं।
एनएसए ने कहा कि केवल एक खतरा है जिसकी छाप लगभग सभी देशों पर पड़ी है। इसे लेकर समस्या यह है कि इसका मूल, इसकी नर्सरी भी दक्षिण एशियाई क्षेत्र का एक सदस्य ही है। इस्लामी आतंकवाद या मुझे इसके लिए शब्द इस्तेमाल करना चाहिए-जिहादी आतंकवाद, यह आम खतरा है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश इससे प्रभावित है, अफगानिस्तान प्रभावित है, भारत प्रभावित है और पाकिस्तान इससे प्रभावित है। श्रीलंका इससे प्रभावित है। डोभाल ने कहा कि यह एक समान खतरा है जिस पर अधिक सहयोग हो सकता है लेकिन संभवत: अफगानिस्तान और पाकिस्तान, ये दो देश इसका केंद्र बन गये हैं।