नई दिल्ली।
अमेरिका ने आज भारत को इस बात से अवगत कराया कि वह दोनों देशों के बीच होने वाली प्रथम 2+2 वार्ता अपरिहार्य कारणों से स्थगित कर रहा। उसने इसके लिए खेद व्यक्त किया है। भारत-अमेरिका के बीच 2+2 वार्ता 6 जुलाई को होने वाली थी।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण अमेरिकी विदेश मंत्री माइकल आर पोम्पिओ और अमेरिकी रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस के साथ बैठक के लिए अमेरिका जाने वाली थीं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने बताया कि पोम्पिओ ने सुषमा से बात की और अमेरिका द्वारा अपरिहार्य कारणों से 2+2 वार्ता स्थगित करने को लेकर खेद और गहरी निराशा व्यक्त की।
दरअसल, अमेरिका खुद भले ही मनमानी करे, लेकिन दूसरे देशों से यही उम्मीद करता है कि उसकी इजाजत के बगैर पत्ता तक न हिले। ताजा मामला ईरान से कच्चे तेल के आयात और अमेरिकी वस्तुओं पर आयात शुल्क से जुड़ा है।
अमेरिका चाहता है कि उसके सहयोगी देश ईरान से कच्चे तेल का आयात न करें और अपने यहां अमेरिकी वस्तुओं पर आयात शुल्क समाप्त कर दें। कच्चे तेल के आयात की बात करें तो इराक और सऊदी अरब के बाद ईरान भारत का सबसे बड़ा तेल सप्लायर है।
अमेरिका ने भारत समेत अपने कुछ सहयोगी देशों को चेतावनी दी थी कि वे 4 नवंबर तक ईरान से तेल का आयात बंद कर दें वरना प्रतिबंध झेलने के लिए तैयार रहें। अमेरिकी विदेश विभाग के मुताबिक, “इस फैसले में किसी भी देश को छूट नहीं दी जाएगी। भारत और चीन को इस बारे में जानकारी दे दी गई है।”
अप्रैल 2017 से जनवरी 2018 तक ईरान भारत को 1 करोड़ 84 लाख टन कच्चा तेल निर्यात कर चुका है। ईरान सबसे ज्यादा तेल चीन को निर्यात करता है। ऐसे में अमेरिका सहयोगी देशों पर दबाव डालकर ईरान के सबसे बड़े आय स्रोत को खत्म करना चाहता है। पिछले महीने ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 2015 के ईरान परमाणु समझौते से बाहर निकलने का ऐलान किया था।
अमेरिका ने आरोप लगाया था कि ईरान उसकी जानकारी के बिना परमाणु हथियार बना रहा है। समझौता रद्द होने के बाद अमेरिका ने एक बार फिर ईरान पर प्रतिबंध लगा दिए। हालांकि, ये प्रतिबंध उन्हीं उद्योगों पर लगाए हैं जो 2015 की डील में शामिल थे।
इनमें तेल सेक्टर, विमान निर्यात, कीमती धातु का व्यापार और ईरानी सरकार के अमेरिकी डॉलर खरीदने की कोशिश शामिल हैं। साथ ही विदेशी कंपनियों को 90 से 180 दिनों में ईरान के साथ व्यापार खत्म करने के लिए कहा है।
विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, “हम चीन और भारत से अपील करेंगे कि वे ईरान से तेल आयात बिल्कुल खत्म कर दें। ये हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा की प्राथमिकताओं में से एक है।”
अधिकारी ने दावा किया कि ट्रम्प प्रशासन का ये कदम ईरान की फंडिंग खत्म करने और क्षेत्र में उसका नुकसान पहुंचाने वाली असली छवि सामने लाने के लिए है।