कभी आप सपा के समग्र थे, केन्द्र सरकार के कई फैसलों, समझौतों के निर्णायक थे, क्या अब राजनीतिक गतिविधियों से दूर हो गये हैं?
फिलहाल राजनीति हमसे दूर है। हमारी दैहिक व्याधि ने इसके लिए मजबूर कर दिया। वैसे भी ज्यादातर पुरूषों के जीवन व पुरुषार्थ की पहली प्राथमिकता निरोगी काया ,दूसरी प्राथमिकता पास में माया,तीसरी प्राथमिकता सुन्दर नारी होती है। जीवन में तीनों सुख मिले। मुझको जो व्याधि हुई, उसमें मृत्यु का योग ज्यादा,जीवन का कम था। जब जीवन और मृत्यु में से किसी का चुनाव करना रहा तो राजनीति की इच्छा कम हो गई। जसलोक अस्पताल के डॉ अश्विनी चोपड़ा ने आंत काट दी कैंसर से इन्फेक्शन बताकर। जब आंत की जांच की गई तो पाया गया कि कैंसर था ही नहीं। इस डाक्टर ने यह हाल किया एक सांसद व स्वास्थ्य संबंधी संसदीय समिति के अध्यक्ष का। आंत नहीं रहने से गुर्दे खराब हो गए। गुर्दे तो सिंगापुर जाकर बदल दिए लेकिन आंत नहीं बदल सकते। इसके लिए दवा लेनी पड़ती है।
रही बात राजनीति की तो नेता व संन्यासी वही होता है जो बोलता है और डोलता है। जब बुद्ध बोले व डोले तो उनका धर्म वैश्विक हो गया। यह छह साल ( 2009 से 2015 तक का) व्यक्तिगत रूप से मेरे लिए अच्छा बीता। मुझ पर लगाए सभी मुकदमे खत्म हो गए। मैं सब में साफ साबित होकर निकल आया। गुर्दे व आंत नहीं होने के बावजूद प्रभु की कृपा से इस तरह जीवन जी रहा हूं। झांसी में हेलिकाप्टर से तालाब में गिर गया था, बच गया। इस तरह तीन बार मौत के मुंह से वापस आ चुका हूं।
आपने यूपीए-1 की सरकार को अमेरिका के साथ परमाणु सौदे के समय वामपंथियों के समर्थन वापस लेने के बाद बचाया था । लेकिन उसी मनमोहन सरकार ने यूपीए -2 के समय आपको जेल में डाल दिया, क्यों?
यूपीए -2 सरकार के समय गृह मंत्री पी चिदम्बरम के आदेश पर मुझे जेल भेजा गया। स्पीकर द्वारा क्लीनचिट देने के बावजूद यह हुआ । चिदम्बरम के कहने पर पुलिस ने मेरे विरुद्ध चार्जशीट किया और जेल भेज दिया।
चिदम्बरम की आपसे क्या नाराजगी थी ?
उद्योगपति अनिल अग्रवाल की कम्पनी वेदांता से चिदम्बरम के संबंधों वाली फाइल मैंने संसद में पढ़ी थी। संभवत: उसी का बदला लिया। अगर उनका (चिदम्बरम) वश चलता तो तबके वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी को भी निपटा दिये होते। दोनों में जो विरोधाभास हुआ, वह जगजाहिर हुआ। प्रणव मुखर्जी जैसे सुलझे व्यक्ति भी चिदम्बरम के गरल को पचा नहीं पाये, बिफर पड़े। चिदम्बरम ने पुलिस से जो चार्जशीट कराई थी, सर्वोच्च न्यायालय ने उसे खारिज कर दिया।
आपके बहुत करीबी मुलायम सिंह यादव, अमिताभ बच्चन, अनिल अंबानी आदि कैसे आपसे बहुत दूर हो गये?
मैं नहीं ये लोग हमसे दूर हो गये। प्रकृति का नियम है, हर सुबह के बाद शाम होती है।। 1996 से पहले मेरे जीवन में कड़कड़ाती धूप थी। 1996 से 2009 तक मेरे जीवन का प्रत्येक दिन उत्थान का दिन था। इन 14 सालों में सबने मेरा लाभ उठाया। समय के फेर के साथ ज्यादातर लाभ लेने वालों ने मुंह फेर लिया। जूलियस सीजर के सबसे विश्वासपात्र ब्रूटस ने जब उसको दगा दिया, पीठ में छुरा घोंपा तो सीजर के मुंह से निकला था— ब्रूटस यू टू। कहावतें अनुभवों का निचोड़ होती हैं। विद्यासागर ने लिखा है— आपका नुकसान वही करेगा जो आपके निकट हो और आपका लाभ ले। इसलिए, आपके पास सत्ता हो तो आप निरीह लोगों की मदद करें। आप अपने करीबियों की मदद करेंगे तो वही पहले आपका अहित करेंगे।
अमिताभ बच्चन क्यों दूर हुए ?
मैंने कहा था कि सहारा के बोर्ड से निदेशक पद से आप तीनों (अमिताभ बच्चन, जया बच्चन और ऐश्वर्या बच्चन) इस्तीफा दे दीजिए। अनिल अंबानी के यहां भोजन के समय अमिताभ ने कहा कि अमर ने सहारा के बोर्ड से निकलवाया।। इस पर मुझे बहुत पीड़ा हुई। लेकिन यदि वह वहां होते तो आज सुब्रत राय की तरह जेल में होते। पद्म विभूषण भी नहीं मिला होता। इसके बाद मैंने बच्चन की कम्पनी एबीकार्प के वाइस चेयरमैन के पद से इस्तीफा दिया और उनका अपनी कम्पनी से इस्तीफा लिया था। मेरी कथनी करनी में कभी भेद नहीं रहा।
क्या यही वजह रही कि जया बच्चन आपके प्रति इतनी कटु हैं?
जया जी अपने स्वभाव से ही कटु हैं। अपने पति से कटु हैं,अपनी बहू से कटु हैं। जब अमिताभ को ‘ब्लैक’ फिल्म के लिए पुरस्कार मिला था तो जया ने कहा था कि इसमें कौन सी बड़ी बात है।
मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी से संबंध क्यों बिगड़े ?
मुकेश से हमारे संबंध अनिल के कारण बिगड़े। अनिल से इसलिए बिगड़े क्योंकि हम सत्ता से बाहर हो गए। कल मैं उपयोगी होऊंगा तो वह फिर आ जाएंगे। उनकी पत्नी को मैं बहन मानता हूं। वह एक अच्छे व्यापारी हैं। टीना बहुत अच्छी महिला हैं। अनिल मेरे लिए अब मेरी बहन टीना के पति से ज्यादा कुछ नहीं हैं।
यदि मुलायम सिंह यादव आपको वापस सपा में पद दें तो ?
अब संभव नहीं क्योंकि मेरी इच्छा भी नहीं रही। मगर मैं उनका सम्मान करता हूं। उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा कि अमर सिंह अच्छे आदमी हैं। गलती हुई। इस बारे में मेरा मानना है कि गलती करना आसान है। गलती करके स्वीकार करना बड़ी बात है।
कहा जाता है कि मुलायम सिंह का पैसा आपके पास था। वह झगड़े की जड़ है।
यह सरासर गलत है। आजम खां व रामगोपाल के कारण दूरी बढ़ी है। मुलायम ने बार-बार कहा है कि अमर सिंह जैसा ईमानदार आदमी हमने नहीं देखा। उन्होंने मेरे मामले में आजम का विरोध झेल लिया लेकिन रामगोपाल का नहीं झेल पाए। उनके लिए पहले है परिवार। फिर है सहकार। मैं अपने सम्मान की तिलांजलि देकर कहीं नहीं रह सकता। एक तरफ तो लोग कहते हैं कि अमर सिंह ने पैसा मार लिया। दूसरी तरफ मेरी जरूरत की बात करते हैं… तो यह दोनों कैसे हो सकता है।
क्या कांग्रेस में जा सकते हैं ?
सोनिया एक अच्छी महिला होने के बावजूद सलाह पर आश्रित हैं। उन्होंने इर्दगिर्द रहने वालों के चलते ही अर्जुन सिंह के साथ क्या किया सबको पता है, फिर अमर सिंह क्या चीज हैं।
राहुल के बारे में आपका आकलन ?
राजनीति में होने का एक कारण यह है कि वह सोनिया व राजीव के पुत्र हैं। उन्होंने छात्रों के बीच कहा भी था – बड़े परिवार में पैदा हुआ, इसलिए राजनीति में हूं।
नरेन्द्र मोदी जबसे प्रधानमंत्री बने हैं आपकी बात या मुलाकात हुई है? उनकीसरकार के सवा साल के काम-काज के बारे में आपका क्या आकलन है?
नरेंद्र मोदी जबतक गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो बात होती रहती थी, मुलाकात भी होती थी। जबसे प्रधानमंत्री बने हैं, मैंने दो बार संदेश छोड़ा। उनका न तो फोन आया, न ही मिलने का समय दिया। हां, मैं आडवाणी से मिलने माह में एक बार जाता हूं। वहीं गया था। उसी समय वह उनसे मिलने पहुंचे तो नमस्ते हुई थी। रही बात उनके सवा साल के सरकार के कामकाज की तो उन्होंने दिखा दिया कि वह किसी उद्योगपति के खास नहीं हैं। यह निराधार है कि मोदी के तंत्र का उपयोग कद्दावर नेताओं को बचाने में हो रहा है। रही बात राजनीति की तो देश के सबसे निडर और बेबाक प्रधानमंत्री रहे चन्द्रशेखर ने लिखा ही है – ‘राजनीति या तो रंडी है या चंडी है। यह आपके घर की सती साध्वी की तरह आपके साथ नहीं रहती।’