अजय विद्युत
कश्मीर के मौजूदा संकट का समाधान तलाशने और वहां शांति स्थापना के मोदी सरकार के प्रयासों में आध्यात्मिक नेता श्रीश्री रविशंकर भी शामिल होंगे। बेंगलुरु में हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी के पिता मुजफ्फर वानी की आर्ट ऑफ लिविंग आश्रम में दो दिन रहने और श्रीश्री से मुलाकात को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है।
सोमवार को बेंगलुरु आश्रम से संपर्क करने पर यही जानकारी मिली कि मुजफ्फर वानी की श्रीश्री से मुलाकात पूरी तरह व्यक्तिगत और मानवीय दृष्टिकोण से थी। दोनों के बीच कश्मीर की मौजूदा स्थिति, वहां के लोगों की तकलीफों के साथ साथ इस पर भी बात हुई कि घाटी में शांति और सामान्य स्थिति कैसे बहाल की जा सकती है।
लेकिन सूत्रों का कहना है कि यह बातचीत लंबी थी और यह केंद्र सरकार के अनुरोध पर हुई थी। श्रीश्री से मुलाकात के बाद मुठभेड़ में मारे गए आतंकवादी के पिता ने बयान में सबसे महत्वपूर्ण बात यह कही कि ‘बातचीत के सिवा कश्मीर मामले का कोई हल नहीं है।’इससे भी लगता है कि यह सब उतना आकस्मिक नहीं था।
तीन-चार सितम्बर को केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल लेकर कश्मीर जा रहे हैं। संकेत मिले हैं कि उसके बाद सरकार चाहती है कि श्रीश्री रविशंकर कश्मीर जाएं। इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रविवार को देश से ‘मन की बात’ से जोड़कर देखा जा रहा है जिसमें उन्होंने ‘ममता’और ‘एकता’को कश्मीर समस्या के समाधान का मूलमंत्र बताया था। यानी आल पार्टी डेलीगेशन भेजना, बीएसएफ की तैनाती और गवर्नर बदलने की प्रक्रिया सरकार के ‘एकता’ मिशन के तहत होंगे जबकि श्रीश्री को कश्मीर भेजना जैसी कोशिशें ‘ममता’ का हिस्सा होंगी। प्रधानमंत्री ने यह कहते हुए कश्मीर समस्या के समाधान को लेकर अपनी दृढ़ता भी स्पष्ट कर दी कि जिन लोगों ने बच्चों को आगे किया और पत्थर थमाए उनको जवाब देना होगा।
2008 में जब अमरनाथ यात्रा बाधित हुई थी और अत्यंत तनावपूर्ण स्थिति थी उस समय भी श्रीश्री रविशंकर ने वहां शांति लाने के प्रयास किए थे जिसके फलस्वरूप अमरनाथ यात्रा शुरू हो पाई थी। श्रीश्री से मुलाकात के बाद अलगाववादी नेताओं सैयद अली शाह गिलानी और मीरवाइज उमर फारूक ने बयान दिए थे कि कश्मीर के मुसलमान अमरनाथ यात्रा के खिलाफ नहीं हैं और राज्य में शांति और सौहार्द बनाए जाने पर बल दिया था। उसके बाद ही हालात सामान्य हो पाए थे और फिर अमरनाथ यात्रा शुरू हुई थी।