पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले से भूस्खलन से भारी तबाही हुई है। इस हादसे में कम से कम 17 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि कई लोगों के घायल होने की खबर है। बताया जा रहा है कि भूस्खलन के मलबे में अभी भी कुछ लोग दबे हुए हैं जिन्हें निकालने का काम जारी है। नेशनल डिजास्टर रेस्पॉन्स फोर्स(एनडीआरएफ) की एक टीम मौके के लिए रवाना हो गई है। पुलिस अधिकारी नबीन पायेंग ने कहा कि शुक्रवार को तवांग में एक लेबर कैंप भूस्खलन के चलते ढह गया। हादसे की जगह करीब 7500 फीट की ऊंचाई पर है।
बताया जा रहा है कि पिछले हफ्ते से लगातार हो रही बारिश के चलते चट्टाने खिसकीं। जिसकी वजह से ये हादसा हुआ। अतिरिक्त डिप्टी कमिश्नर(हैडक्वार्टर) लोड गांबो ने बताया कि घटना अल सुबह करीब 3 बजे हुई। कई अन्य जगहों पर भी भूस्खलन हुआ है। भूस्खलन के चलते न्यू लेब्रांग और गवर्नमेंट हायर सैकंडरी स्कूल के बीच की सड़क भी बाधित हो गई है। कई मकानों को भी नुकसान पहुंचा है। लगातार जारी बारिश के चलते बचाव कार्यों में दिक्कतें आ रही हैं। तलाशी अभियान जारी है। माना जा रहा है कि मरने वालों की संख्या में इजाफा हो सकता है। कुछ लोगों को पास के अस्पताल में भर्ती भी करवाया गया है।
समाचार एजेंसी एएनआइ की खबर के मुताबिक, हादसे के तुरंत बाद स्थानीय लोगों ने प्रशासन को सूचना दी जिसके बाद राहत व बचाव दल मौके पर पहुंचा और दबे लोगों को निकालने के काम में लग गया।
बता दें कि लैंडस्लाइड के लिहाज से तवांग हिमालय का सबसे सेंसटिव इलाका माना जाता है। अरुणाचल का तवांग जिला तिब्बत और भूटान की बॉर्डर पर स्थित है। यहां 10 हजार फीट की ऊंचाई पर भारत का पहला और एशिया का दूसरा बड़ा बौद्ध मठ है। इसे मेराक लामा लोड्रे ने 1861 में बनाया था।