अभिषेक रंजन सिंह, नई दिल्ली। नीति आयोग के वाइस प्रेसिडेंट अरविंद पनगढ़िया ने आज अपने पद से त्याग-पत्र दे दिया है। हालांकि, इस महीने की आखिर तक वे नीति आयोग को अपनी सेवाएं देते रहेंगे। खबरों के मुताबिक, अरविंद यहां से मुक्त होने के बाद अपना रुख अकादमिक क्षेत्रों की तरफ करेंगे। उल्लेखनीय है कि अरविंद पनगढ़िया भारतीय मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री हैं और कोलंबिया विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के वरिष्ठ प्रोफेसर हैं। नीति आयोग में उन्हें उपाध्यक्ष बनाए जाने की काफी प्रशंसा हुई थी। अरविंद अपने स्वतंत्र विचार के लिए भी जाने जाते हैं।
नीति आयोग में उपाध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद से उन्होंने त्याग-पत्र क्यों दिया? इसकी स्पष्ट जानकारी अभी सामने नहीं आई है। हालांकि, अपने त्याग-पत्र के बाद अरविंद ने बताया कि नीति आयोग से मुक्त होने के बाद उनका अधिकांश समय पठन-पाठन में व्यतीत होगा। अरविंद पनगढ़िया ने अपने इस्तीफे की जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय को दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय पू्र्वोत्तर के राज्य असम के बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों के दौरे पर हैं। उनके दिल्ली लौटने पर अरविंद पनगढ़िया के त्याग-पत्र पर निर्णय लिया जाएगा।
अमेरिका स्थित कोलंबिया विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर अरविंद पनगढ़िया की पहचान विश्व के अनुभवी अर्थशास्त्रियों के रूप में होती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने जब योजना आयोग की जगह नीति आयोग का गठन किया था, तब पनगढ़िया को इसमें अहम जिम्मेदारी देते हुए उन्हें उपाध्यक्ष बनाया गया था। ऐसी खबरें भी सामने आ रही हैं कि नीति आयोग से इस्तीफा देने के बाद अरविंद वापस कोलंबिया यूनिवर्सिटी में अध्यापन का काम कर सकते हैं।
कोलंबिया यूनिवर्सिटी की एक खास बात यह है कि यहां कोई भी प्रोफेसर रिटायर नहीं होता। अपनी इच्छानुसार, यहां से जुड़े अध्यापक जीवन भर अध्यापन का कार्य कर सकते हैं। अर्थशास्त्र और अर्थव्यवस्था पर अरविंद पनगढ़िया कई अहम किताबें भी लिखी हैं। उनकी किताब “इंडिया द इमरजिंग ज्वाइंट” साल 2008 में इकोनॉमिस्ट की ओर से सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली किताबों में शुमार हो चुकी है। साल 2012 में उन्हें देश के प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान “पद्म विभूषण” से भी सम्मानित किया जा चुका है।
याद रहे कि अरविंद पनगढ़िया की सलाह पर ही केंद्र सरकार ने एयर इंडिया को बेचने का फैसला किया था। इससे पहले तमाम अर्थशास्त्री एयर इंडिया को लेकर इस तरह की इच्छा तो रखते थे, लेकिन केंद्र सरकार के समक्ष यह प्रस्ताव देने की पहल किसी ने नहीं की। सरकार को अरविंद की यह सलाह पसंद आई नतीजतन एयर इंडिया को बेचने की कवायद शुरू हुई। अब चूंकि अरविंद पनगढ़िया ने नीति आयोग में उपाध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया है ऐसे में माना जा रहा है कि उनका यह फैसला नीति आयोग के भविष्य के लिए सही नहीं है।