चुनाव परिणामों ने एक बार फिर देशभर में कांग्रेस के घटते जनाधार को उजागर कर दिया है। इन नतीजों ने जता दिया है कि कांग्रेस की राह अब आसान नहीं रही। असम गंवाकर कांग्रेस ने भारी कीमत चुकाई है। असम और केरल को गंवाने के बाद अब 30 में से सिर्फ 7 राज्यों कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, मेघालय, मिजोरम और मणिपुर में ही कांग्रेस की सरकार बची है। वहीं भाजपा शासित राज्यों की संख्या बढ़कर 11 हो गई है। 2014 में केंद्र की सत्ता गंवाने से पहले कांग्रेस करीब एक दर्जन राज्यों में सत्तासीन थी। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने हार स्वीकार करते हुए आगामी चुनावों में और कड़ी मेहनत करने की बात कही है।
पूर्वोत्तर में पहली बार खिला कमल
असम में पिछले 15 साल से सत्ता पर काबिज कांग्रेस को नकार कर जनता ने पहली बार भाजपा की अगुवाई वाले गठबंधन पर भरोसा जताया। पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में सबसे अहम था असम का चुनाव। असम की कुल 126 सीटों में से 87 सीटों के साथ भाजपा गठबंधन ने जीत हासिल की है। यहां कांग्रेस को 24, एआईयूडीएफ को 13 और अन्य को 2 सीटें मिली हैं।
ममता को भारी बहुमत
पश्चिम बंगाल में तृणमूल सुप्रीमो और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का जलवा फिर से कायम रहा। इस बार दीदी ने पहले से भी ज्यादा सीटें हासिल की। जहां पिछली बार तृणमूल कांग्रेस 184 सीटों के साथ पश्चिम बंगाल की सत्ता पर काबिज हुई थी, वहीं इस बार 211 सीटें हासिल कर नया इतिहास रच दिया है। पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव कुल 294 सीटों पर हुआ था। अपनी जीत के लिए ममता बनर्जी ने जनता का धन्यवाद किया और कहा कि विपक्षी पार्टियों ने उनके खिलाफ बहुत सारा झूठा प्रचार किया लेकिन उन्होंने उस तरफ ध्यान नहीं दिया। उन्होंने अकेले दम पर सभी पार्टियों को पटखनी दी। इस चुनाव में वाम मोर्चा गठबंधन को 76, भाजपा को 6 और अन्य को 1 सीटें मिली हैं।
जया ने चौंकाया
सबसे चौंकाने वाले नतीजे तमिलनाडु में सामने आए जहां अन्नाद्रमुक ने शानदार जीत हासिल की है। हालांकि मतदान बाद के सर्वेक्षणों में उसके सत्ता से बाहर जाने की भविष्यवाणियां जोरशोर से की गई थीं। यहां द्रमुक के रुणानिधि और जयललिता में तगड़ी टक्कर देखने को मिली। जयललिता की पार्टी ने 232 सीटों के लिए हुए चुनाव में से 134 सीटों पर जीत हासिल की है। वहीं द्रमुक को 97 सीटें और अन्य को 1 सीटें मिली हैं जबकि भाजपा को एक भी सीट नहीं मिली है। दो सीटों पर चुनाव रद्द होने के कारण यहां 23 मई को मतदान होगा।
परंपरागत रहा केरल
केरल में परंपरा के मुताबिक पांच साल पर सत्ता बदलती रहती है। इस बार भी ऐसा ही हुआ है। कांग्रेस की अगुवाई वाली यूडीएफ सरकार को हार का मुंह देखना पड़ा है। एलडीएफ ने उसे पटखनी देते हुए कुल 140 सीटों में से 84 सीटें जीत ली। यूडीएफ को 46 सीटें मिली हैं। भाजपा ने यहां पहली बार खाता खोला है। उसे एक सीट पर विजय नसीब हुई है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ओ राजगोपाल के खाते में यह जीत गई है। अन्य ने 9 सीटें जीती हैं।
लाज बची
पांचो राज्यों में सिर्फ पुडुचेरी ही ऐसा राज्य है, जहां पर कांग्रेस अपनी लाज बचाने में कामयाब रही। यहां की 30 में से 17 सीटें कांग्रेस की झोली में गई है जबकि एआईएनआरसी को 8 और अन्य को 5 सीटें मिली हैं।