निशा शर्मा।
पाकिस्तान की किम कार्दशियन कही जाने वाली कंदील एक खुली किताब थी, उसे हर कोई जानता था। अपने प्रेमियों से वह अपनी हर बात सांझा करती थी। कभी तस्वीरों के जरिये, तो कभी वीडियो के जरिये।
पाकिस्तान ही नहीं भारत में भी कंदील मशहूर हो चुकी थी। सुर्खियां बटोरना उसकी आदत में शुमार था। लोग कंदील के वीडियो को एक उत्साह से देखते थे । उनके चाहने वालों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही थी। वह इस बात से बखूबी वाखिफ़ थी कि मॉडलिंग की दुनिया में जो दिखता है वही बिकता है और यही कारण था कि वह खुद को लोगों की नजर से दूर नहीं होने देती थी। कभी सोशल मीडिया पर अपडेटस, कभी अपनी तस्वीरें, तो कभी अपने वीडियो के जरिये अपने चाहने वालों से जुड़ी रहती थी।
कभी सनसनीखेज खुलासे करती तो कभी अपनी बातों के जरिये सनसनी फैलाती। वह मानती थी कि उसके माता-पिता ने उसको आजादी दी थी। जिसका उसने गलत इस्तेमाल किया। बड़े बेबाक तरीके से वह कबूल करती रही कि अब वह उनके हाथ से निकल चुकी है। उसे बांधना मुश्किल है। हालांकि उसे इस बात का बखूबी पता था कि इस्लामिक देश की लड़कियों को टांगे और बाजू दिखाने की इजाजत नहीं, लड़के लड़कियों को एक दूसरे से घुलने मिलने की भी इजाजत नहीं। फिर भी वह वो सब करती थी जिसकी इजाजत उसका देश नहीं देता था। वह सीमाओं में बंधने वाली नहीं थी। उसे लीक से हटकर चलना पसंद था। तभी तो उसने लीक से हटकर अपने लिए मॉडलिंग का पेशा चुना था। उस दोगले समाज के लिए चुनौति बनी थी जहां उसके वीडियो को उत्साह के साथ देखा जाता रहा लेकिन आशा कि जाती रही कि उसके ऐसे वीडियो आते रहें। लेकिन वही समाज उसकी आलोचना करता और उसे बैन करने की धमकी देता रहा। उस पर आरोप लगाए जाते कि वह सेक्स अपील के लिए ऐसा करती है। उस पर आरोप लगते रहे कि उसके वीडियो पाकिस्तान के कायदों के खिलाफ़ हैं जिसकी वजह से युवा गलत राह पकड़ते हैं।
शायद उसमें मर्लिन मुनरो का सपना रहा हो। खूबसूरत दिखने और चर्चा में रहने का। सपनों की सरहदें नहीं होती वो किसी भी मुल्क में देखे जा सकते हैं लेकिन कंदील ऐसे मुल्क की नुमांयदा थी जिसके मुल्क में महिलाओं का सपने देखना मंजूर है लेकिन उनको साकार करना मना है। यहां पर यातना, प्रताड़ना, दुष्कर्म, वैवाहिक दमन और सम्मान के नाम पर हत्याएं आम बात है और जिस पर कभी बहुत शोर भी नहीं मचता। इस बार शोर था, सुर्खियों में शोर था। सम्मान के नाम पर कंदील को मारने का शोर था। लेकिन कानून को बदलने की बात करने वाले रहनुमाओं के यहां अब भी चुप्पी पसरी थी।
काश! ऐसा होता की इस्लामिक देश में एक लड़की सब बदल सकती। अपने दुखों को, अपने पर होने वाले जुल्मों को, उस सोच को जो उसके अस्तित्व को खत्म करना चाहती है, लेकिन ऐसा असंभव है। जब तक कि समाज में झूठा सम्मान बचा है। कंदील ना तो समाज को बदल सकी और ना ही समाज उसे बदल पाया। लेकिन एक लड़की के डर से असहाय, खौफजदा समाज ने उसकी जान ले ली।