नई दिल्ली।
भारत के प्रति चीन के रुख का कैलाश मानसरोवर यात्रा पर क्या असर पड़ सकता है, इस पर खूब चर्चा हो रही है। दरअसल, पीएम मोदी के लिए ट्रंप और उनकी फेमिली की ओर से व्हाइट हाउस में आयोजित डिनर पार्टी भारत के दुश्मनों को रास नहीं आई। खासकर चीन और पाकिस्तान को। यही वजह है कि भारत के ये दोनों पड़ोसी नई दिल्ली के खिलाफ जहर उगलते रहे।
चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में छपे एक लेख में भी कहा गया है कि अमेरिका भारत का इस्तेमाल एक टूल की तरह कर रहा है। उसने कभी भी सुरक्षा परिषद में भारत के लिए कोई ठोस पहल नहीं की। इसके मद्देनजर आशंका है कि कहीं चीन कैलाश मानसरोवर यात्रा में अड़ंगा न लगा दे।
कैलाश मानसरोवर की यात्रा को लेकर चीन ने आपत्ति भी की है। आमतौर पर माना जाता है कि कैलाश मानसरोवर एक भारतीय तीर्थस्थल है लेकिन यहां जाने के लिए चीन की सीमा में प्रवेश करना होता है। चीन जब चाहे भारतीय तीर्थयात्रियों का रास्ता रोक सकता है और परमिट भी रद्द कर सकता है।
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ के ज़रिये भी कैलाश मानसरोवर जाने का रास्ता है, लेकिन बेहद लंबा है। ज़्यादातर लोगों को लगता है कि कैलाश मानसरोवर भारत में होगा जबकि ऐसा है नहीं। आप समझिए कि आप नेपाल से जाएं या सिक्क्मि से, आपको चीन का बॉर्डर पार करना ही पड़ेगा।
एक तो बॉर्डर पर ही वह यात्रियों को रोक सकता है और इसके बाद यात्रियों के जत्थे को अपनी सीमा में जहां चाहे रोक कर वापस कर सकता है। क्योंकि ये सामान्य कानून है कि आप जिस देश में हैं उस देश के क़ानून का आपको पालन करना ही पड़ेगा।
मानसरोवर की यात्रा कठिन होती है। बर्फ़ीले रास्तों पर चलना होता है। चीन में सरहद पार करने के बाद आप बस या कार से यात्रा करते हैं और फिर पहुंचते हैं दायचिंग के इलाक़े में जहां बेस कैंप है। कई बार चीनी अधिकारी आपको मानसरोवर झील के पास कैंप करने से भी रोक देते हैं और कहते हैं कि कैंपिंग कहीं और करें।
ये सब उनके अधिकार क्षेत्र में है। मौसम ख़राब होने की बात कह कर भी वे यात्रा को बाधित कर सकते हैं। चीन और भारत में इस यात्रा को लेकर संबंध सहज रहे हैं लेकिन कई बार दोनों देशों के संबंधों का असर इस यात्रा पर देखने को मिल जाता है।
चीनी विदेश प्रवक्ता का बयान
चीन ने भारत से मांग की है कि वह सीमा पार करने वाले अपने सैनिकों को जल्द ही वापस बुलाए और इस मामले की पूरी जांच करे। ताकि चीन-भारत सीमा के सिक्किम भाग की शांति और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता कंग श्वांग ने 26 जून को यह बात कही। उन्होंने कहा कि हाल में भारतीय सैनिकों ने चीन-भारत सीमा के सिक्किम भाग को पार कर चीन में प्रवेश किया। चीन ने भी इसके जवाब में कदम उठाया।