नई दिल्ली। भारत के लिए लोगों की तिजोरियों में बंद कालाधन बाहर निकालना एक बड़ी चुनौती है। शायद इसीलिए कालाधन सफेद करने की सरकारी योजना आईडीएस चलाई गई जिसकी उलटी गिनती शुरू हो गई है। शुक्रवार को आधी रात स्कीम बंद होने की समय सीमा है। लक्ष्य पूरा करने के लिए आयकर विभाग पूरी तरह सक्रिय है। अधिकारियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं। व्यापारियों में हड़कंप है, तो भ्रम भी।
स्कीम कालेधन को सफेद करने का मौका है या नुकसान, इस पर कर सलाहकारों की अलग-अलग राय है। राजस्थान कर सलाहकार संघ के अध्यक्ष सतीशगुप्ता, कर सलाहकार संघ, जयपुर के अध्यक्ष संदीप अग्रवाल, उदयपुर के सीए वी एस नाहर, जोधपुर के कर सलाहकार अमित कोठारी और महेश गहलोत से बातचीत के आधार पर योजना की कमी और खूबी इस प्रकार है:-
फायदा : पिछले छह साल की अघोषित आय को आईडीएस के तहत घोषित करने पर 45% टैक्स देना पड़ेगा। ब्याज और पेनल्टी नहीं लगेगी। घोषित कालेधन पर टैक्स का भुगतान तीन किस्तों में किया जा सकेगा। टैक्स चुकाने के बाद कोई कार्रवाई नहीं होगी। वहीं, सर्च सर्वे में मिलने वाली घोषित आय पर न्यूनतम 30% टैक्स के अलावा 10 से 90% तक पेनल्टी और बकाया टैक्स पर सालाना 12 फीसदी ब्याज देना पड़ेगा। इसका मतलब है कि सर्वे छापे में मिली आय पर 60% से ज्यादा टैक्स चुकाना पड़ सकता है। इसलिए योजना के तहत कालेधन का खुलासा करना बेहतर है।
कमी : योजना के तहत टैक्स रेट 45 फीसदी ज्यादा है। स्लैब के अनुसार अधिकतम टैक्स दर 34 फीसदी बैठती है। योजना के तहत सामने आने वाली प्रोपर्टी, जेवरात और शेयर का एक जून 2016 की मार्केट वैल्यू के हिसाब टैक्स की गणना करना अव्यावहारिक है। क्योंकि सर्च सर्वे में सामने आने वाली प्रोपर्टी अन्य निवेश पर खरीद के समय पर वैल्यू के हिसाब से टैक्स लिया जाता है। इसलिए स्कीम में निवेश पर भी इस तरह से टैक्स लिया जाना चाहिए था। दबाव बनाकर व्यापारियों से आय का डिक्लेरेशन कराया जा रहा है, जो योजना की भावना के खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट ने भी एक फैसले के तहत ऐसी योजनाओं को इमानदार करदाताओं के साथ भेदभाव माना है। योजना को लेकर बार-बार सर्कुलर से पेचीदगियां पैदा हो गईं। इससे कई तकनीकी प्रतिबंध खड़े हो गए हैं। योजना केवल व्यापारियों पर ही फोकस है।
यह है योजना
स्कीम के तहत 30 सितंबर तक आय का खुलासा किया जा सकता है। आईडीएस के तहत 25% टैक्स का भुगतान 30 नवंबर, 2016 तक करना होगा। अगला 25% 31 मार्च, 2017 और बाकी 50 फीसदी टैक्स जमा कराने की आखिरी तारीख 30 सितंबर 2017 है। इसके तहत किसी भी साल की कोई भी इनकम डिक्लेयर की जा सकती है। भ्रष्टाचार और तस्करी से अर्जित धन को घोषित नहीं किया जा सकता। 153सी की नोटिस मिलने पर, आयकर सर्च और सर्वे होने पर स्कीम में आय घोषित नहीं की जा सकती।