सतीश सिंह।
बैंकिंग क्षेत्र में बढ़ती धोखाधड़ी की घटनाओं पर लगाम लगाना बैंकों और सरकार दोनों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। पहले पंजाब नेशनल बैंक में 127 अरब रुपये की धोखाधड़ी हुई। उसके तुरंत बाद ओरिएंटल बैंक आॅफ कॉमर्स में 390 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की गई। वर्ष 2013 में केंद्रीय बैंक के तत्कालीन डिप्टी गवर्नर डॉ. के सी चक्रवर्ती ने कहा था कि 1 करोड़ रुपये से ज्यादा के घोटालों का हिस्सा वित्त वर्ष 2005 से वित्त वर्ष 2007 के बीच 73 प्रतिशत था, जो वित्त वर्ष 2013 तक बढ़कर 90 प्रतिशत हो गया। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने रिजर्व बैंक द्वारा जारी आंकड़ों के हवाले से संसद में पिछले महीने कहा था कि वर्ष 2012 से वर्ष 2016 के बीच सरकारी बैंकों को विभिन्न बैंकिंग धोखाधड़ी के चलते कुल 227.43 अरब रुपये का नुकसान उठाना पड़ा। बैंकिंग धोखाधड़ी के 25,600 से ज्यादा मामले दिसंबर, 2017 तक दर्ज हुए, जिसके जरिये 1.79 अरब रुपये की धोखाधड़ी की गई। रिजर्व बैंक की आर्थिक स्थायित्व के जून 2017 की रिपोर्ट के अनुसार 1 लाख रुपये से अधिक के घोटाले का कुल मूल्य पिछले पांच वर्षों में 9,750 करोड़ रुपये से बढ़कर 16,770 करोड़ रुपये पहुंच गया है। बैंकिंग क्षेत्र में हुई धोखाधड़ी की एक लंबी फेहरिस्त है। सरकार विभिन्न तरीकों से धोखाधड़ी की घटनाओं पर लगाम लगाने की कोशिश कर रही है, पर अभी तक इस संबंध में अपेक्षित परिणाम सामने नहीं आए हैं।
रुक सकती है धोखाधड़ी
ब्लॉकचेन तकनीक के अस्तित्व में आने से बैंकिंग क्षेत्र में हो रही धोखाधड़ी को रोकने के प्रति आशा बंधी है। माना जा रहा है कि उपलब्ध सूचनाओं पर नियंत्रण के लिए बैंकिंग व्यवस्था में अनुमति प्राप्त ब्लॉकचेन का प्रयोग संभव हो सकता है। इसके तहत सभी बैंकों को एक ब्लॉकचेन से जोड़ा जा सकता है, जो एलओयू जैसे दस्तावेज या दूसरे लेनदेन की वैधता की जांच कर सकते हैं। विश्व में ब्लॉकचेन तकनीक को पहचान दिलाने में आभासी मुद्राओं का विशेष योगदान रहा है। क्रिप्टोकरेंसी ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित है। बैंकिंग क्षेत्र में ब्लॉकचेन तकनीक के उपयोग की संभावनाओं को तलाशने से पहले बैंक धोखाधड़ी और ब्लॉकचेन की कार्यप्रणाली को समझना आवश्यक है। आमतौर पर बैंकों में धोखाधड़ी के लिए बैंकिंग व्यवस्था में मौजूद खामियों का फायदा उठाया जाता है। देखा गया है कि अमूमन बैंकिंग प्रणाली के जानकार या फिर बैंक कर्मचारी की धोखाधड़ी में सहभागिता होती है। पंजाब नेशनल बैंक मामले में स्विफ्ट सिस्टम के जरिये फर्जी मांग पत्र (एलओयू-लेटर आॅफ अंडरटेकिंग) जारी किया गया, लेकिन बैंक के कोर बैंकिंग सिस्टम (सीबीएस) में उक्त लेनदेन को दर्ज नहीं किया गया। बहरहाल, इस धोखाधड़ी को बैंक के लेखा परीक्षक सात सालों तक पकड़ नहीं पाए।
क्या है ब्लॉकचेन तकनीक
ब्लॉकचेन एक विकेंद्रीकृत तकनीक है, जिसमें आंकड़ों के ब्लॉक की एक श्रृंखला होती है। प्रत्येक ब्लॉक में लेनदेन का लेखा-जोखा होता है, जो पूरी तरह से सार्वजनिक होता है। ब्लॉकचेन का प्रयोग करने वाला कोई भी व्यक्ति इसे देख सकता है। इसका एक और रूप प्रचिलत है, जिसमें ब्लॉकचेन पूरी तरह सार्वजनिक न होकर एक निर्धारित समूह तक सीमित होती है। मौजूदा बैंकिंग व्यवस्था में दोनों तरह की ब्लॉकचेन तकनीक का प्रयोग किया जा सकता है। सार्वजनिक ब्लॉकचेन व्यवस्था में प्रत्येक ब्लॉक की वैधता के लिए कोई भी व्यक्ति माइनर की तरह जुड़ सकता है। प्रत्येक लेनदेन के सफल होने से पहले इस तकनीक को माइनिंग प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, जिसमें लेनदेन की वैधता की जांच होती है। माइनर को इसके लिए एक प्रोत्साहन राशि मिलती है। उदाहरण के लिए माइनर को प्रोत्साहन राशि के तौर पर बिटकॉइन दी जाती है। यदि इस व्यवस्था को बैंकिंग क्षेत्र में लागू किया जाता है तो सभी माइनर को एक प्रोत्साहन राशि देनी होगी, क्योंकि माइनिंग प्रक्रिया में प्रोत्साहन देना आवश्यक होता है। ब्लॉकचेन तकनीक पर किसी भी केंद्रीय बैंक या संस्था का एकाधिकार नहीं होता है। चूँकि, इस तकनीक में सभी ब्लॉक एक दूसरे से जुड़े होते हैं और किसी ब्लॉक में बदलाव के लिए अरबों गणनाएं करने की जरूरत होती है, इसलिए एक बार आंकड़े दर्ज हो जाने के बाद इसमें बदलाव करना असंभव होता है, क्योंकि किसी भी एक ब्लॉक में मामूली बदलाव करते ही दूसरे सभी ब्लॉक परस्पर जुड़े होने के कारण बदलाव से असहमति जता देते हैं।
संभावनाओं का दायरा
एक सर्वे के अनुसार विश्व के 70 प्रतिशत से अधिक बैंक अपनी व्यवस्था में ब्लॉकचेन के अनुप्रयोग की संभावनाओं पर काम कर रहे हैं, लेकिन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वित्त वर्ष 2019 के बजट भाषण में साफ कहा कि भारत में आभासी मुद्रा को कानूनी रूप नहीं दिया जा सकता है। हालांकि, डिजिटलीकरण की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए ब्लॉकचेन तकनीक की संभावनाएं तलाशने के लिए एक समिति को गठित करने की बात उन्होंने बजट भाषण में कही, क्योंकि ब्लॉकचेन तकनीक केवल क्रिप्टोकरेंसी तक सीमित नहीं है।
दूसरे क्षेत्रों में भी फायदा
ब्लॉकचेन तकनीक के जरिये वित्तीय प्रणाली, शिक्षा, स्वास्थ्य, रियल एस्टेट आदि क्षेत्रों को बेहतर बनाया जा सकता है। इसलिए, सरकार द्वारा गठित समिति वित्तीय लेनदेन के अलावा कानूनी कागजात, स्वास्थ्य आंकड़े, निजी दस्तावेज सुरक्षित रखने आदि क्षेत्रों में ब्लॉकचेन तकनीक के उपयोग की संभावनाओंको तलाशने का काम करेगी। इससे सब्सिडी वितरण, भू-रिकॉर्ड नियमन, अनुदान या वित्तीय सहायता देने आदि को भी सुगम बनाया जा सकता है। इस प्रणाली को अपनाने से दस्तावेज की जालसाजी, दोहराव, खोने आदि की गुंजाइश भी कम हो जाती है। इस तकनीक के जरिये संपत्ति खरीदना और बेचना पारदर्शी हो जाएगा और पंजीकरण प्रक्रिया में चल रही भ्रष्टाचार की वारदात को भी कम किया जा सकेगा। आंकड़ों को सहेजने में भी ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग बढ़िया तरीके से किया जा सकता है। अस्तु, वाहन के मालिकाना हक से लेकर जमीन, शैक्षणिक रिकॉर्ड, कानूनी दस्तावेज आदि में ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग किया जा रहा है।
सकारात्मक बदलाव लाने की क्षमता
उद्योगों के संगठन एसोचैम की ओर से जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, ब्लॉकचेन में तमाम उद्योगों की कार्यप्रणाली में सकारात्मक बदलाव लाने की क्षमता है। इसकी सहायता से पूरी प्रक्रिया को ज्यादा लोकतांत्रिक, सुरक्षित, पारदर्शी और सक्षम बनाया जा सकता है। बिटकॉइन फाउंडेशन के अध्यक्ष और ब्लॉकचेन कैपिटल के मैनेजिंग पाटर्नर ब्रोक पियर्स का कहना है कि कई ऐसे विचार और योजनाएं, जिन पर अवसंरचनात्मक कमी, उच्च लागत, केंद्रीकरण और धीमे नेटवर्क के कारण अभी तक काम नहीं हो पा रहा था, ब्लॉकचेन तकनीक की मदद से उन्हें अब करना मुमकिन हो रहा है। वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) कंपनियां भी इस तकनीक की मदद से अपने कार्य को बेहतर करने की दिशा में काम कर रही हैं। ऐसी कंपनियां ब्लॉकचेन तकनीक के क्षेत्र में तेजी से अपना प्रसार कर रही हैं। फिनटेक कंपनियां वित्तीय सेवाओं के लिए परंपरागत तरीकों के स्थान पर तकनीक एवं नवाचार की मदद से अपनी सेवाओं को बेहतर करना चाहती हैं। ये वर्तमान में ब्लॉकचेन और ऐप की सहायता से ऋण देने से लेकर बीमा करने तक का काम कर रही हैं।
आज ब्लॉकचेन का प्रयोग करके शिक्षा के क्षेत्र में छात्रों, अध्यापकों और शिक्षा से जुड़ी कंपनियों को पारदर्शी तथा सुरिक्षत प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराया जा रहा है। बिटडिग्री ब्लॉकचेन पर आधारित एक आॅनलाइन शैक्षणिक प्लेटफॉर्म है, जहाँ तकनीकी प्रतिभा निर्माण पर विशेष ध्यान दिया जाता है। यहां विद्यार्थी, शिक्षक और शैक्षिक कंपनियां एक दूसरे से जुड़ी होती हैं। वर्तमान में आम लोग ब्लॉकचेन को क्रिप्टोकरेंसी तक ही सीमित रखते हैं,लेकिन इस तकनीक का प्रयोग क्लाउड स्टोरेज, डिजिटल पहचान, स्मार्ट कॉन्ट्रेक्ट और डिजिटल मतदान में भी किया जा सकता है।
धोखाधड़ी की बढ़ती घटनाएं
फिलहाल, जटिल बैंकिंग व्यवस्था के कारण बैंकिंग क्षेत्र में फर्जीवाड़े की घटनाओं में इजाफा हो रहा है, क्योंकि बैंकिंग प्रणाली की समझ विकसित करना आसान नहीं है। इसलिए, धोखाधड़ी के बाद इसे पकड़ना आसान नहीं होता है। आमतौर पर भ्रष्टाचार या धोखाधड़ी करने वाले व्यक्ति यह मानकर चलते हैं कि उनके द्वारा की गई धोखाधड़ी को पकड़ना आसान नहीं होगा। अगर वे पकड़े भी जाएंगे तो तुरंत नहीं, पर ब्लॉकचेन तकनीक की मदद से साइबर अपराधों के साथ-साथ बैंकिंग क्षेत्र में होने वाली धोखाधड़ी की घटनाओं पर नियंत्रण किया जा सकता है।
तकनीक की राह में मुश्किलें
ब्लॉकचेन तकनीक की राह में कुछ मुश्किलें भी हैं। जैसे, मौजूदा बैंकिंग व्यवस्था में गोपनीयता, कामकाज के तरीके, अपनाई गई तकनीक, इंटरनेट आदि के साथ ब्लॉकचेन तकनीक का तालमेल बनाना आसान नहीं है। बैंकिंग व्यवस्था में वर्तमान समय में विविध तरीके के सॉफ्टवेयर इस्तेमाल किए जा रहे हैं, जिनके साथ ब्लॉकचेन तकनीक के समायोजन में समस्या आने की संभावना है। बैंकों, खास करके सरकारी बैंकों के अधिकांश कर्मचारी तकनीक कुशल नहीं हैं। ऐसे कर्मचारियों को ब्लॉकचेन तकनीक के साथ काम करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।
विस्तृत रोडमैप की जरूरत
कहा जा सकता है कि ब्लॉकचेन तकनीक को अपनाने से भारत को नुकसान नहीं होगा। अस्तु, भारत को तेजी से इस तकनीक को अपनाने की दिशा में काम करना चाहिए। भारत में आभासी मुद्रा बिटकॉइन की लोकप्रियता भी दिन-प्रति-दिन बढ़ रही है। उधर, आंध्रप्रदेश भूमि लेनदेन के रिकॉर्ड को 2019 तक ब्लॉकचेन के जरिये सहेजने की योजना बना रहा है। साफ है कि भारत में ब्लॉकचेन तकनीक को अपनाना अभी संभव नहीं है, क्योंकि इसे अमलीजामा पहनाने के लिए एक विस्तृत रोडमैप बनाने की जरूरत है। उसे तैयार करने में लंबा समय लग सकता है।
(लेखक मुंबई स्थित भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र के आर्थिक अनुसंधान विभाग में मुख्य प्रबंधक के तौर पर कार्यरत हैं और पिछले सात वर्षों से मुख्य रूप से आर्थिक व बैंकिंग विषयों पर स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं।)