नई दिल्ली।
बोतलबंद पानी सेहत के लिए सेफ बताकर भले ही भारत में 8000 करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार किया जा रहा हो, लेकिन सफर के दौरान अगर आप भी बोतलबंद पानी साथ लेकर चलते हैं तो यह खबर आपको हैरान कर देगी, क्योंकि बोतलबंद पानी के 93% नमूने फेल पाए गए हैं।
भारत सहित दुनिया के तमाम देशों में साफ पानी के नाम पर बेचे जा रहे बोतलबंद पानी में माइक्रोप्लास्टिक के कण पाए गए हैं। अमेरिका की एक संस्था ने रिपोर्ट में यह खुलासा किया है। शोध में पाया गया कि लगभग 93 फीसदी बोतलबंद पानी में प्लास्टिक के कण हैं।
प्लास्टिक के जो अवशेष पाए गए हैं, उनमें पॉलीप्रोपाइलीन, नायलॉन और पॉलीइथाईलीन टेरेपथालेट शामिल हैं। इन सबका इस्तेमाल बोतल के ढक्कन बनाने में होता है। शोधकर्ता का मानना है कि पानी में ज्यादातर प्लास्टिक पानी को बोतल में भरते समय आता है। यह बोतल और उसके ढक्कन से आ सकता है जो शरीर के बहुत ही हानिकारक हैं।
शोध में बताया गया कि जो व्यक्ति एक दिन में एक लीटर बोतलबंद पानी पीता है वह प्रतिवर्ष प्लास्टिक के दस हजार तक सूक्ष्म कण ग्रहण करता है। जिन ग्लोबल ब्रैंड्स के सैंपल लिए गए उनमें एक्वाफिना और बिसलरी भी शामिल हैं।
पांच महाद्वीपों में भारत, ब्राजील, चीन, इंडोनेशिया, केन्या, लेबनान, मेक्सिको, थाईलैंड और अमेरिका से 19 स्थानों से नमूने एकत्र किए गए। बोतलबंद पानी में प्लास्टिक के अदृश्य कणों को देखने के लिए शोध दल ने विशेष डाई और नीली रोशनी का उपयोग किया।
शोध के दौरान 100 माइक्रोंस और 6.5 माइक्रोंस के आकार के दूषित कणों की पहचान हुई। स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क की एक रिसर्च टीम ने ब्राजील, चीन, भारत, इंडोनेशिया और अमेरिका समेत 9 देशों में मिलने वाले 11 नामी कंपनियों की 259 बोतलों की जांच की।
भारत में मुंबई, दिल्ली और चेन्नई समेत 19 जगहों से सैंपल लिए गए। बोतलबंद पानी का अकेले भारत में ही करीब 8000 करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार है। आंकड़ों के मुताबिक, साल 2016 में करीब 7,040 करोड़ रुपये के बोतलबंद पानी की बिक्री हुई थी।
पेप्सिको इंडिया ने दी सफाई
एक्वाफिना बनाने वाली कंपनी पेप्सिको इंडिया का कहना है, ‘ऐक्वाफिना क्वालिटी का विशेष ख्याल रखता है। इसके लिए क्वालिटी कंट्रोल से संबंधित सभी मापदंडों को पूरा किया जाता है। मैन्यूफेक्चरिंग और फिल्टरेशन के दौरान भी विशेष एहतियात रखे जाते हैं।’