सुनील वर्मा।
टॉक टू एके कार्यक्रम में अनियमितता बरतने को लेकर दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के दफ्तर में छापा मारने वाली सीबीआई के हाथ ऐसा कुछ नहीं लगा है जिससे जाँच एजेंसी सिसोदिया पर शिकंजा कस सके । सीबीआई की टीम ने गुरुवार को दिल्ली सचिवालय पहुंचकर देर रात तक मनीष सिसोदिया के अधीन काम करने वाले विज्ञापन विभाग में सैंकड़ो फाइलें खंगाली और कुछ दस्तावेज अपने साथ भी ले गई । लेकिन सीबीआई के उच्च अधिकारी सूत्र ने बताया फिलहाल तलाशी में ऐसा कोई दस्तावेज नहीं मिला है जिससे बड़ी अनियमितता या सिसोदिया की मिलीभगत का पता चलता हो । लेकिन साथ ही दावा किया गया कि जाँच अभी शुरू हुई है । जल्द ही अनियमितता का पता चल जाएगा ।
बता दें कि बुधवार को सीबीआई ने मनीष सिसोदिया के खिलाफ प्राथमिक जांच (पीई) दर्ज की थी। उन पर टॉक टू एके कार्यक्रम में अनियमितता बरतने का आरोप है। दिल्ली सरकार के सतर्कता विभाग की शिकायत पर यह प्राथमिक जांच दर्ज की गई है। शिकायत में आरोप है कि दिल्ली सरकार ने ‘टॉक टू एके’ को बढ़ावा देने के लिए एक जानी-मानी जनसंपर्क परफेक्ट रिलेशन कंपनी के परामर्शदाता को नियुक्त किया था । आरोप है कि इस कार्य के लिए डेढ़ करोड़ रूपये का एक प्रस्ताव तैयार किया गया था। साथ ही कहा गया कि प्रधान सचिव की आपत्तियों के बावजूद सरकार ने प्रस्ताव को आगे बढ़ाया और सलाहकार ने राशि को खर्च किया। सीबीआई में केस दर्ज होने के बाद सिसोदिया और केजरीवाल ने ट्वीट करके प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा।
लेकिन पंजाब चुनाव से ठीक पहले शिकायत मिलते ही प्राथमिक जाँच शुरू करने और छापा मारने की कार्रवाई सीबीआई की नीयत पर सवाल जरूर खड़े कर रही है । क्योंकि अभी तक जो तथ्य सामने आ रहे हैं, उसमें ज्यादातर गलत हैं। टॉक टू एके कार्यक्रम का सोशल मीडिया कंपेन करने के लिए कोई कंसल्टेंट नियुक्त नहीं किया गया था। न ही इसमें कोई डेढ़ करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है।
दिल्ली सरकार के प्रवक्ता नागेंद्र शर्मा का भी कहना है कि टेंडर के माध्यम से सरकार के प्रचार-प्रसार के लिए परफेक्ट रिलेशन एजेंसी का चयन किया गया था। जब मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया संवाद की बात कही तो एजेंसी से बात की गई।
एजेंसी सोशल मीडिया में इसका प्रचार करने के लिए तैयार हो गई। गूगल, हैंगआउट या फेसबुक पर विज्ञापन के लिए एडवांस और क्रेडिट कार्ड से भुगतान करना होता है। इस एजेंसी ने उसका भुगतान किया, वही बिल सरकार को 98 लाख रुपये का दिया है। उसमें कोई सर्विस चार्ज नहीं जोड़ा है। इस बिल का भुगतान भी अभी तक सरकार ने नहीं किया है। अगर दिल्ली सरकार का कथन सही निकला तो सीबीआई की बड़ी छीछालेदारी हो सकती है ।