ओपिनियन पोस्ट
सीबीएसई नीट 2017 परीक्षा के रिजल्ट का ऐलान CBSE 8 जून को नहीं करेगी। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने 12 जून तक नीट (राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा) का परीक्षा परिणाम टाल दिया है। सीबीएसई ने कहा है कि वह मद्रास हाईकोर्ट द्वारा दिए गए स्टे का पालन करेगी। वहीं, सीबीएसई ने ये भी साफ कर दिया है कि वह फिलहाल सुप्रीम कोर्ट नहीं जाएगी।
उल्लेखनीय है कि सीबीएसई द्वारा नीट का रिजल्ट 8 जून, 2017 को जारी किया जाना था. देशभर के मेडिकल, डेंटल, आयुष और वेटरिनेरी कॉलेजों में एडमिशन के लिए नीट परीक्षा का आयोजन किया जाता है।
गुजरात हाईकोर्ट में भी चली सुनवाई
गुजरात हाईकोर्ट में मंगलवार को स्थानीय भाषाओं में अलग पेपर के मामले को लेकर सुनवाई थी। दिनभर की सुनवाई के बाद आखिर एक बार फिर नीट का परिणाम एक सप्ताह और टल गया। गुजराती मीडियम के छात्रों ने गुजरात हाईकोर्ट में गुहार लगाई थी कि उनका पेपर अंग्रेजी मीडियम के छात्रों से अलग और मुश्किल था और उनके साथ नाइन्साफी हुई है।
इसे लेकर नीट की परीक्षा रद्द करने या समानता का कोई फॉर्मूला निकालने के लिए गुजराती मीडियम के छात्रों ने हाईकोर्ट में गुहार लगाई थी। सुनवाई के दौरान मंगलवार को सीबीएसई ने कोर्ट में अपनी सफाई दी।
कोर्ट में सीबीएसई ने क्या दी सफाई
-उनको सिर्फ परीक्षा का तरीका एक रखना है… प्रश्नपत्र अलग रखने की कोई पाबंदी नहीं है।
-दोनों ही पेपर मॉडरेटरों ने तय करके एक ही डिफिकल्टी लेवल का निकाला था।
-स्थानीय भाषाओं में पेपर का ट्रान्सलेशन करने से ज्यादा लोग पूरी प्रक्रिया में जुड़ेंगे और इससे पेपर लीक होने की संभावना बढ जाती।
-सिर्फ 9.25 प्रतिशत छात्रों ने ही स्थानीय भाषा में परीक्षा दी थी. अगर पेपर लीक हो तो ऐसी स्थिति में अन्य 90 प्रतिशत छात्रों की दोबारा परीक्षा लेने की जरूरत नहीं रहती।
सीबीएसई ने ये दिया आश्वासन
कोर्ट में सीबीएसई ने ये आश्वासन दिया कि मद्रास हाईकोर्ट की मदुरई बेंच में तमिल भाषा में ऐसे ही प्रश्न के मामले की सुनवाई चल रही है और 12 जून तक परिणाम पर रोक है, जिसका वो पालन करेंगे और इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का उनका कोई इरादा नहीं है। इसलिए गुजरात हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई 13 जून तक टाल दी है।
कोर्ट ने जताई नाराजगी
सुनवाई के दौरान इस दौरान हाईकोर्ट के जज ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि सीबीएसई ऐसा कैसे मान सकती है कि सिर्फ स्थानीय भाषा में ही पेपर लीक हो सकता है और अंग्रेजी या हिन्दी में नहीं. इस साल की नीट की परीक्षा शुरु से ही विवादों में रही है। एक तरफ पेपर लीक होने के मामले की जांच चल ही रही है तो दूसरी तरफ स्थानीय भाषा में पेपर अलग होने से सीबीएसई लगातार विवादों के घेरे में है।
मदुरई बेंच ने पेपर्स के साथ किया है सीबीएसई को तलब
12 तारीख को मद्रास हाईकोर्ट की मदुरई बेंच ने सभी पेपर्स लेकर सीबीएसई को कोर्ट में तलब किया है ताकि वो सही स्थिति परख सकें। इससे 24 मई को मद्रास हाईकोर्ट ने NEET यानी कॉमन मेडिकल इंट्रेंस एग्जाम के रिजल्ट पर 7 जून तक रोक लगा दी थी। इस संबंध में सीबीएसई को रिजल्ट का ऐलान नहीं करने का निर्देश दिया गया था। दरअसल, मद्रास उच्च न्यायालय ने सात मई को हुई राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) को रद्द करने की मांग करने वाली एक याचिका पर सीबीएसई से बीते 22 मई को जवाब मांगा था। यह परीक्षा अंडरग्रेजुएट मेडिकल एवं डेंटल पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए उम्मीदवारों के चयन के लिए हुई थी।
याचिकाकर्ता ने लगाया असमानता का आरोप
न्यायमूर्ति आर महादेवन की अवकाशकालीन पीठ ने मेडिकल की पढ़ाई करने के इच्छुक एक छात्र की मां की याचिका पर नोटिस जारी करते हुए सीबीएसई से जवाब मांगा था। याचिकाकर्ता ने याचिका में दावा किया है कि परीक्षा ने संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत छात्रों के समानता के अधिकार का उल्लंघन किया है। अंग्रेजी माध्यम में परीक्षा देने वाले उम्मीदवार की मां ने परीक्षा को संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करने वाला बताया है। उन्होंने दावा किया है कि हिंदी, अंग्रेजी और तमिल समेत विभिन्न भाषाओं में प्रश्न पत्र एक नहीं थे और उनकी कठिनाई का स्तर भी समान नहीं था। याचिकाकर्ता ने कहा कि नीट के तहत चयन समान कौशल का परीक्षण नहीं होगा।
7 मई को हुई थी नीट की परीक्षा
सीबीएसई ने देशभर के करीब 104 शहरों में 7 मई को नीट अंडरग्रेजुएट परीक्षा आयोजित की थी। नीट 2016 के 8,02,594 पंजीकृत उम्मीदवारों की अपेक्षा इस बार यानी 2017 में 41.42% ज्यादा उम्मीदवारों ने रजिस्ट्रेशन कराया था। नीट 2017 के लिए 11,35,104 उम्मीदवारों ने रजिस्ट्रेशन कराया। 11 लाख उम्मीदवारों की परीक्षा के लिए विश्वसनीयता, इंफ्रास्ट्रक्चर आदि के आधार पर देश भर में 2200 संस्थानों को परीक्षा केंद्र बनाया गया।