नई दिल्ली।
चैंपियंस ट्राफी में जिस टीम की छवि विजेता की बनी रही हो, उसका बुरी तरह हार जाना हैरत में डालता ही है, भारत-पाकिस्तान मुकाबले के रोमांच को भी ठंडा कर देता है। दरअसल, रणनीति में थोड़ी सी चूक किसी भी टीम पर भारी पड़ जाती है। अगर मैच के दौरान सब कुछ ठीक-ठाक न चल रहा हो, तो कप्तान ही सवालों के घेरे में आ जाते हैं। रविवार को ओवल में विराट कोहली के फैसलों से भारत के क्रिकेट प्रेमियों को निराश होना पडा। 339 रनों के लक्ष्य का दबाव भारत पर इतना भारी पडा कि टीम इंडिया लगातार विकेट खोती गई।
आइए जानते हैं कि चैंपियंस ट्रॉफी भारत के हाथ से कैसे फिसल गई। विराट कोहली का टॉस जीतकर पाकिस्तान को बल्लेबाजी के लिए उतारने की बात गले से नीचे नहीं उतरी। पाकिस्तान की टीम ने उसका पूरा लाभ उठाया। फखर जमां जब तीन रन पर पर थे, तभी जसप्रीत बुमराह की गेंद पर वह लपक लिए गए थे, लेकिन वह नोबॉल निकली। आखिरकार टीम इंडिया फखर के शतक से बड़े स्कोर के दबाव में आ गई।
रविचंद्रन अश्विन को एक दिन पहले घुटने में प्रैक्टिस के दौरान चोट लगी थी। उनके खेलने की बात तय नहीं हो पाई थी, लेकिन उन्हें प्लेइंग इलेवन में शामिल कर लिया गया। विराट ने उन पर ज्यादा ही भरोसा जताया और उनसे कोटे के पूरे ओवर फेंकवाए। 10 ओवर में उन्होंने 70 रन दे दिए।
बांग्लादेश के खिलाफ मुकाबले में केदार जाधव खासे काम आए थे, लेकिन इस मैच में उन्हें काफी देर बाद मौका मिला। 39वें ओवर में जाधव ने 7 रन दे दिए। 43 वें ओवर में हालांकि उन्होंने 4 रन देकर 1 विकेट लिया। 45वें ओवर में जाधव को 16 रन दे देने पड़े। बाद में उन्हें गेंदबाजी से हटाना पड़ा।
ऐसा माना जा रहा है कि विराट कोहली ऐसे मौके पर युवराज सिंह का इस्तेमाल करना चाहिए था। युवराज टीम इंडिया के लिए फायदेमंद साबित हो सकते थे। चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में भारत का शीर्ष बल्लेबाजी क्रम भी बिखर गया। फाइनल में पहुंचने से पहले तक चार मुकाबलों में टीम इंडिया के मध्य क्रम की परीक्षा हो ही नहीं पाई थी।
भारत को पाकिस्तान के हाथों 180 रनों से करारी हार का सामना इसलिए भी करना पड़ा कि भारतीय गेंदबाजों में दम नहीं दिखा और पाकिस्तान ने 4 विकेट पर 338 रन बना डाले। इस ऐतिहासिक मैच में भारतीय टीम ने गलतियों पर गलतियां की, जिसका खामियाजा शर्मनाक हार के साथ भुगतना पड़ा।