टी मनोज
‘आप परीक्षा बताएं, बाकी सब इंतजाम हम करेंगे। पैसे कितने, जैसी परीक्षा।’ पुलिस ने जो बातचीत रिकॉर्ड की वह किसी टीचर या कोचिंग देने वाले ट्यूटर की नहीं है। यह बातचीत है दलाल की जो एक परीक्षार्थी को बता रहा है कि वह चिंता न करे, उसे पास करा दिया जाएगा। यह तस्वीर कथित तौर पर विकास में नंबर वन का दावा करने वाले हरियाणा की है। यहां नकल माफिया प्राइमरी से लेकर पीएमटी तक पास कराने की गारंटी लेता है। यकीन नहीं आता तो पुलिस का रिकॉर्ड देख लें। एपीएमटी का पर्चा इतनी चतुराई से लीक किया कि यदि पुलिस मुस्तैद न होती तो माफिया अपना काम कर चुका होता। गनीमत रही कि भेद खुल गया। सरगना तो पकड़ा नहीं गया मगर कुछ गुर्गे जरूर पुलिस के हत्थे चढ़े।
मगर स्थिति का दूसरा पहलू यह है कि नकल माफिया इस नाकामी से घबराया नहीं। उसने हरियाणा टीचर पात्रता परीक्षा (एचटेट) का भी पेपर लीक करा दिया। वह भी कड़ी सुरक्षा के बावजूद। सरकार ने परीक्षा को नकल रहित कराने के लिए पुलिस समेत तमाम सुरक्षा एजेंसियां लगाई। मगर परीक्षा शुरू होने से कुछ देर पहले ही पेपर लीक हो गया। साढ़े चार लाख परीक्षार्थी इसमें शामिल हुए थे। पर्चा लीक हुआ तो भिवानी शिक्षा बोर्ड, जो इस परीक्षा को आयोजित कर रहा था ने पेपर रद्द कर दिया। यह एक या दो घटना नहीं है। रेलवे के ग्रुप डी और हाल ही में दिल्ली में हुई एसएससी की परीक्षा के पेपर लीक में भी रोहतक के लोगों का हाथ सामने आ रहा है। इससे पहले बैंक क्लर्क की परीक्षा में अपनी जगह दूसरे परीक्षार्थी को बिठा देने का मामला सामने आया था। यह ऐसे मामले हैं जो पुलिस की पकड़ में आ गए। अन्यथा ऐसे कई मामले होंगे जिस बारे में पुलिस भी कुछ बताने की स्थिति में नहीं है।
पहले स्टेज पर सरगना पेपर लीक की प्लानिंग करता है। इसके बाद वह लोग तलाशे जाते हैं जो पेपर चाहते हैं। फिर उनसे रकम तय की जाती है। कोशिश रहती है कि कम से कम लोगों को ज्यादा पैसों में पेपर दिया जाए
चार जिले संवेदनशील
हरियाणा शिक्षा बोर्ड प्रदेश के चार जिलों को नकल के नटरवालों के लिहाज से बेहद संवेदनशील मानता है। इतना कि वहां कोई महत्वपूर्ण परीक्षा आयोजित ही नहीं होती। ये जिले हैं सिरसा, रोहतक, खुद बोर्ड का मुख्यालय भिवानी और झज्जर। माना जाता है कि यहां कोई महत्वपूर्ण परीक्षा नकल रहित हो ही नहीं सकती। पेपर लीक हर हाल में होगा। यही वजह रही कि लंबे समय तक यहां ऐसी कोई परीक्षा नहीं हुई। लेकिन इस बार एचटेट की परीक्षा इन जिलों में कराने के लिए शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा जिद पर अड़ गए। परिणाम यह निकला कि कुछ समय के लिए परीक्षा स्थगित करनी पड़ी। इसके बाद यहां परीक्षा हुई, नतीजा पेपर लीक के तौर पर सामने आया। अब शिक्षा मंत्री कह रहे हैं कि हम मामले की जांच करेंगे।
गिरफ्त से बाहर सरगना
मामला खुलने पर कुछ गिरफ्तारी भी होती है। लेकिन असली गुनाहगार तक पुलिस पहुंच ही नहीं पाती। पीएमटी पेपर लीक का असली आरोपी रोहतक जिले के गांव मदीना निवासी रूप सिंह दांगी है। उसे पकड़ना तो दूर की बात, पुलिस यह तक पता नहीं लगा पाई कि वह है कहां? एचटेट के मामले में भी पुलिस सरगना राजेंद्र रंधावा तक नहीं पहुंच पाई। हालांकि जांच टीम का कहना है कि वह लगातार उसकी लोकेशन ले रही है। उसे जल्दी ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा। पुलिस के आला अधिकारियों का मानना है कि प्रदेश में पेपर लीक कराने वालों का जबरदस्त गिरोह है। इसमें कुछ टीचर और विशेषज्ञ भी शामिल है। जब तक असली गठजोड़ तक पुलिस नहीं पहुंचेगी, तब तक इसे तोड़ा नहीं जा सकेगा।
नेक्सस तोड़ कर ही दम लेंगे – शिक्षा मंत्री
शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा ने ओपेनियन पोस्ट से बातचीत में दावा किया कि इस नेक्सस को तोड़ कर ही दम लेंगे। सरकार ने 2013 में हुए एचटेट परीक्षा की जांच भी पुलिस को सौंप दी है। इसमें भी पता किया जाएगा कि कहीं पेपर लीक तो नहीं हुआ। शर्मा ने बताया कि निश्चित तौर पर यह बहुत चिंता की बात है कि कुछ लोग इतने मजबूत तंत्र को किस तरह से तोड़ रहे हैं। यह तो सीधे-सीधे भ्रष्टाचार है, जिसे किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसके लिए जो भी कदम उठाने होंगे हम उठाएंगे।
करोड़ों के वारे न्यारे
प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक में करोड़ों रुपये का लेनदेन होता है। पीएमटी का पर्चा 22 लाख रुपये में बेचा गया। एचटेट के पर्चे को 55 लोगों में एक करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम में आगे बेचा गया। न सिर्फ पर्चा लीक कराया जाता है बल्कि उसके सवाल भी हल कर परीक्षार्थी तक पहुंचाए जाते हैं। पुलिस के मुताबिक यह गिरोह बहुत ही शातिर तरीके से अपने काम को अंजाम दे रहा है। इसमें किसी न किसी स्तर पर सरकारी अधिकारियों की संलिप्तता जरूर है। उनके बिना पेपर लीक करना संभव ही नहीं है। जांच में शामिल एक अधिकारी ने बताया कि जिस तरह से पेपर लीक होते हैं, उससे लगता है कि उन्हें न फंसने का डर है और न इस बात की चिंता कि कैसे वे परीक्षार्थी तक जवाब भिजवाएंगे। ऐसा लगता है मानो यह काम उनके बाएं हाथ का है।
पीएमटी पेपर लीक कांड की जांच कर रहे स्पेशल टास्क फोर्स के जांच अधिकारी विजय दहिया ने बताया कि यह गिरोह पूरी तरह से हाईटेक है। गिरोह के सरगना रूप कुमार दांगी का जलवा हरियाणा ही नहीं उत्तर प्रदेश, बिहार एवं राजस्थान तक में है। यह शख्स इतने शातिर ढंग से अपना काम करता है कि दाएं हाथ से क्या होता है उसका पता बाएं हाथ को भी नहीं होने देता। उसके कामकाज करने के खास अंदाज का पता इसी बात से चलता है कि अपने गिरोह के सदस्यों से भी वह सिर्फ मोबाइल फोन या फिर सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट के जरिये ही संपर्क रखता है।
कोचिंग इंस्टीट्यूट भी शामिल
इस गिरोह की फंडिंग कोचिंग इंस्टीट्यूट से हो रही है। जांच में लगे एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि इस बात के पुख्ता सबूत मिल रहे हैं। पीएमटी पेपर लीक मामले में पुलिस के हत्थे एक बीडीएस डॉक्टर और दो एमबीबीएस डॉक्टर लगे हैं। इनका संबंध कुछ कोचिंग इंस्टीट्यूट से है। ऐसे में अब जांच का दायरा भी इनके इर्द गिर्द कसा जा रहा है। पुलिस का कहना है कि पेपर इतने गुपचुप तरीके से बांटा जाता है कि किसी को कानोंकान खबर नहीं होती। चौंकाने वाली बात यह है कि पेपर लीक का पता तब चला तब सवाल हल कराया जा रहा था।
ऐसे चलता है खेल
पहले स्टेज पर सरगना पेपर लीक की प्लानिंग करता है। इसके बाद वह लोग तलाशे जाते हैं जो पेपर चाहते हैं। उनसे सेटिंग होने के बाद पेपर की रकम तय की जाती है। कोशिश यह रहती है कि कम से कम लोगों को ज्यादा से ज्यादा पैसे में पेपर दिया जाए। इसके पीछे दो बड़ी वजह है। एक तो यह कि पेपर लीकेज की गोपनीयता बनी रहती है। दूसरी, इससे जोखिम कम रहता है। यदि पेपर ज्यादा बड़े स्तर पर लीक होता है तो ज्यादा रकम नहीं मिलने के चांस होते हैं। ऐसे में गिरोह पांच से सात लोगों को ही पेपर देने की बात करता है। रकम सेट हो जाती है तो यह तय होता है कि पेपर पहुंचेगा कैसे? इस पूरे प्रकरण में किंग पिन अपनी पहचान छुपा कर रखता है। उसकी टीम ही सारा काम करती है। सब कुछ सेट हो जाने के बाद फिर पेपर लीक की प्लानिंग बनती है। लीक होते ही पेपर परीक्षार्थी तक पहुंचा दिया जाता है। लीकेज की यह पहली स्टेज है।
खेल यहीं खत्म नहीं होता। अब एजेंट आगे इस पेपर को बेचना शुरू कर देते हैं। शुरुआत में जिस पेपर के करोड़ों रुपये लिए गए अब उसकी कीमत लाखों में आ जाती है। एजेंट इसे आगे बड़ी संख्या में बेच देते हैं। खरीदने वाला अपना पैसा रिकवर करने के लिए पेपर को और आगे बेचता चला जाता है। इस तरह से यह एक नेटवर्क बन जाता है। जांच में पता चला है कि जैसे ही परीक्षा शुरू होती है पेपर व्हाट्स अप और दूसरे माध्यम से जारी कर दिया जाता है। यह काम गैंग के लोग नहीं बल्कि कुछ अति उत्साही परीक्षार्थी या फिर उनके जानकार करते हैं। यही उत्साह पुलिस के लिए सुराग बना।