नई दिल्ली। पाकिस्तान को मोहरा बना कर चीन जब-जब भारत को घेरने की चाल चलता है, तब-तब वह अपनी ही चाल में फंस जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बलूचिस्तान के मुद्दे की ओर इशारा भर क्या किया कि चीन कूटनीतिक रूप से खुद ब खुद घिरता गया। यह उसकी तिलमिलाहट से भी साबित हो चुका है। पिछले दिनों चीन ने धमकी दी थी कि भारत बलूचिस्तान में कोई हस्तक्षेप करेगा तो वह पाकिस्तान के साथ मिल कर भारत के खिलाफ कार्रवाई करेगा। भारत के दुश्मन नंबर-वन पाकिस्तान के सबसे करीबी चीन को कूटनीतिक तौर पर घेरने के लिए भारत ने खाका भी तैयार कर लिया है। पीएम मोदी अपनी विदेश नीति की बिसात पर ऐसी चालें चल रहे हैं जिससे ड्रैगन की नींद उड़ गई है। चीन आए दिन पाकिस्तान के सहारे भारत को परेशान करने की चालें चलता रहा है लेकिन अब बाजी पलटती दिख रही है।
पीएम मोदी ने लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में बलूचिस्तान और पीओके का जिक्र करते हुए एक तीर से दो निशाने साधे। पीएम ने पिछले 7 दशकों से पाकिस्तानी सेना के जुल्म सह रही बलूच और पीओके की जनता के जख्मों पर मरहम लगाया तो पाकिस्तान बौखला गया। यही नहीं, पाकिस्तान के सबसे बड़े हमदर्द चीन को भी मिर्ची लग गई है। चीन के सरकारी मीडिया ने यहां तक कह दिया है कि पीएम मोदी अपना आपा खो बैठे हैं। इसके अलावा भारत वियतनाम और म्यांमार के रास्ते दक्षिण-पूर्व एशिया में प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।
चीन के एक थिंक टैंक ने भारत को चेतावनी दी है। उसने कहा कि यदि भारत बलूचिस्तान में 46 अरब डॉलर की लागत से बन रहे चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे को बाधित करेगा तो चीन कार्रवाई से गुरेज नहीं करेगा। चीन के समकालीन अंतरराष्ट्रीय संबंध संस्थान के निदेशक हू शीशेंग ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बलूचिस्तान का जिक्र, चीन और इसके विद्वानों की ‘ताजा चिंता’ है। भारत का अमेरिका से बढ़ता सैन्य संबंध और दक्षिण चीन सागर पर रवैया चीन के लिए खतरे की घंटी के समान है।
उधर, पाकिस्तान में गिलगित, बलूचिस्तान और पीओके में पाकिस्तान के खिलाफ उठी विद्रोह की आग अब सिंध प्रांत में भी पहुंच गई है। सोमवार को सिंध के मीरपुर खास में आजादी के नारे गूंजे और अलग सिंधु देश की मांग उठी। बता दें कि पाकिस्तान में सबसे ज्यादा हिंदू सिंध प्रांत में रहते हैं। इस बीच, बलूच और सिंधी नेताओं ने ब्रिटेन की राजधानी लंदन में चीनी दूतावास के सामने प्रदर्शन किया और ‘पीएम मोदी फॉर बलूचिस्तान’ के नारे लगाए गए। सोमवार को यहां पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर का विरोध करने बलूच नागिरक भी जुटे थे। इस प्रदर्शन में सिंधी नेता भी शामिल हुए। पीएम मोदी ने भारत दौरे पर आए म्यांमार के राष्ट्रपति तिन क्यॉ को भरोसा दिलाया है कि सवा अरब भारतवासी म्यांमार के साथ हैं। दोनों देश आतंकवाद के खिलाफ मिलकर सहयोग करेंगे म्यांमार चीन के बेहद करीब रहा है और म्यांमार में चीन बहुत तेजी से अपना प्रभाव बढ़ा रहा है। इसलिए म्यांमार के राष्ट्रपति के पहली विदेश यात्रा पर भारत आने को अहम माना जा रहा है।
भारत और अमेरिका ने सोमवार को एक समझौते पर हस्ताक्षर किए जिसके तहत दोनों देश रक्षा क्षेत्र में साजो-सामान के मामले में साझेदार बनेंगे। यही नहीं दोनों देशों की सेनाएं मरम्मत और आपूर्ति के सिलसिले में एक दूसरे की संपदाओं और अड्डों का इस्तेमाल भी कर सकेंगी। समझौते पर हस्ताक्षर के बाद जारी साझा बयान में कहा गया कि इस व्यवस्था से डिफेंस टेक्नोलॉजी और व्यापार सहयोग में नए और अत्याधुनिक अवसर मिलेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले महीने चीन में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में जाने से पहले वियतनाम जाएंगे। तीन सितंबर को मोदी हनोई में होंगे। 4 से 5 सितंबर को चीन में जी-20 शिखर सम्मेलन होना है। यह किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा पिछले 15 साल में पहली वियतनाम यात्रा होगी। पीएम मोदी की यह यात्रा दक्षिण पूर्व एशिया में भारत की बढ़ती रणनीतिक मौजूदगी का भी संकेत होगी। मोदी के वियतनाम दौरे पर दोनों देशों के बीच ब्रह्मोस मिसाइल समेत कुछ समझौतों पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है। ऐसी खबरें हैं कि मोदी इस दौरान वियतनाम को फौजी ताकत बढ़ाने में सहायता का प्रस्ताव भी दे सकते हैं। चीन और वियतनाम के बीच 1970, 1980 और 1990 के दशक में युद्ध हो चुके हैं। दोनों के बीच दक्षिण चीन सागर को लेकर भी विवाद है। ऐसे में पीएम मोदी वियतनाम के जरिये चीन को घेरने की कोशिश में हैं।