नई दिल्ली। अफवाहें देश और समाज का नुकसान करती हैं, फिर भी लोग उन पर भरोसा कर लेते हैं। इसकी मुख्य वजह जानकारी का अभाव होता है। कुछ ऐसा ही 10 रुपये के सिक्कों को लेकर हो रहा है, जिसे नकली होने का भ्रम फैलाया गया। लोग बड़े नोट भी उतनी गहराई से नहीं परखते, जितने गौर से 10 रुपये के सिक्के को देखते हैं। कुछ लोग तो 10 रुपये का सिक्का लेने से ही इनकार कर देते हैं। इसी के मद्देनजर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) को स्थिति स्पष्ट करनी पड़ी है। आरबीआई के अनुसार जिन सिक्कों पर रुपये का चिह्न (₹) बना है और जिन सिक्कों पर ₹ चिह्न नहीं बना है, वे सभी सही हैं।
ध्यान रहे कि जिन सिक्कों में 10 की जगह 15 धारियां हैं वे भी असली ही हैं, नकली नहीं। रिजर्व बैंक ने 10 रुपये के सिक्कों को लेकर लगातार फैलाई जा रही अफवाहों पर स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि जुलाई 2011 के बाद के सिक्कों में रुपये का चिह्न बना है जबकि उससे पहले के सिक्कों में रुपये का चिह्न नहीं है।
केंद्रीय बैंक के मुताबिक दोनों तरह के सिक्के बिल्कुल सही हैं और किसी को भी इनके लेनदेन से परहेज नहीं करना चाहिए। चूंकि 10 रुपये के सिक्के लंबे समय से प्रचलन में हैं। ऐसे में यह संभव है कि ये सिक्के अलग-अलग रंग-रूप और आकार में हों क्योंकि समय-समय पर इनमें बदलाव होते रहते हैं। आरबीआई ने कहा कि ऐसा ही बदलाव जुलाई 2011 में हुआ जब 10 रुपये के सिक्के पर रुपये का चिह्न (₹) छापा गया।
ऐसे में जुलाई 2011 के बाद के 10 के सिक्के पहले के सिक्कों से थोड़े अलग दिखते तो जरूर हैं, लेकिन वैधता के लिहाज से दोनों में कोई अंतर नहीं है और दोनों का बेहिचक लेनदेन किया जाना चाहिए। आरबीआई ने कहा कि दरअसल सिक्कों पर अक्सर देश के आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक प्रतीकों को दर्शाया जाता है। ऐसे में एक ही मूल्य के सिक्के अलग-अलग डिजाइन और आकार में हो सकते हैं।
रिजर्व बैंक ने 10 रुपये के नकली सिक्के के परिचालन में होने की अफवाह को खारिज करते हुए लागों से ऐसी अफवाहों पर ध्यान न देने को कहा। केंद्रीय बैंक ने लोगों से सभी प्रकार के सौदों में बिना किसी झिझक के इन सिक्कों को स्वीकार करने को कहा है।
गौरतलब है कि 10 रुपये के सिक्कों को लेकर लोगों के बीच फैलाई गई अफवाहों के कारण देश के कई इलाकों से 10 रुपये के सिक्के को कम मूल्य पर लेने की खबरें आ रही थीं। स्थानीय प्रशासन और बैंकों द्वारा स्थिति स्पष्ट करने के बावजूद अफवाह का बाजार गर्म ही हो रहा था। ऐसे में देश के केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को मामले में दखल देनी पड़ी है।