कर्नाटक विधानसभा चुनाव के संदर्भ में इस मुद्दे पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से अभिषेक रंजन सिंह की बातचीत।
क्या कांग्रेस का लिंगायत कार्ड भाजपा के लिए नुकसानदेह साबित होगा? चुनावी सर्वे बता रहे हैं कि भाजपा की राह आसान नहीं है।
मैंने पूर्व में कहा कि कांग्रेस विभाजनकारी राजनीति करने में माहिर है। अतीत से लेकर वर्तमान तक उसका यही चरित्र है। कर्नाटक चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस ने लिंगायत को एक पृथक धर्म के रूप में मान्यता देने की बात कही। जबकि भाजपा समाज को तोड़ने वाली ऐसे किसी प्रयास को सफल नहीं होने देगी। चुनावी सर्वेक्षणों को छोड़िए, धरातल पर सच्चाई ठीक इसके उलट है। लिंगायत का वोट पाना तो कांग्रेस के लिए दूर की कौड़ी है जबकि दूसरे वर्ग के लोग भी कांग्रेस के खिलाफ हो गए हैं। कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस जनता से जुड़े मुद्दों को छोड़ बांटने की नीति के साथ राजनीति कर रही है। कर्नाटक में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनेगी और बी एस येदुरप्पा राज्य के अगले मुख्यमंत्री होंगे।
कर्नाटक में किसान आत्महत्या एक बड़ी समस्या है। किसानों की बेहतरी के लिए भाजपा के पास नया क्या है?
यह सच है कि कर्नाटक में किसान आत्महत्या एक बड़ी समस्या है। इसके लिए कांग्रेस और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया जिम्मेदार हैं। याद कीजिए 2013 के चुनाव में कांग्रेस ने वादा किया था कि वह पांच वर्षों में किसानों की आमदनी दोगुनी करेगी। किसानों का फायदा तो छोड़िए, राज्य में हर हफ्ते दस से पंद्रह किसान आत्महत्या कर रहे हैं। वादों से किसानों का भला नहीं होता। इसके लिए जमीन पर काम करना पड़ता है। देश के किसानों की बेहतरी भाजपा की मुख्य प्राथमिकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों के लिए कितने फिक्रमंद हैं इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि केंद्र में सरकार बनने के बाद उन्होंने किसानों के हित से जुड़ी दो महत्वपूर्ण योजनाएं शुरू की। पहला प्रधानमंत्री सिंचाई योजना और दूसरा राष्ट्रीय कृषि बाजार। ये दोनों योजनाएं किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं हैं। कर्नाटक के सभी वर्गों का कल्याण हो इसी प्रतिबद्धता के साथ हम जनता के बीच आए हैं।
जज लोया की मौत संबंधी याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने अपनी तल्ख टिप्पणियों के साथ खारिज कर दिया। अदालत के इस फैसले को किस तरह देखते हैं?
माननीय उच्चतम न्यायालय का फैसला ऐतिहासिक है। अदालत ने जज लोया की मौत के मामले में दायर याचिका को न सिर्फ खारिज किया, बल्कि कोर्ट ने कहा कि यह राजनीति से प्रेरित याचिका थी। नि:संदेह इसके पीछे कांग्रेस की साजिश थी और राहुल गांधी व उनके सलाहकार इसके मुख्य सूत्रधार थे। जज लोया की मौत प्राकृतिक थी, ऐसा उनके परिजनों व उनके साथी जजों ने भी स्वीकार किया था। लेकिन भाजपा विरोध की वजह से कांग्रेस जज लोया की मौत पर गंदी राजनीति करने से बाज नहीं आई। लेकिन शीर्ष अदालत के फैसले के बाद कांग्रेस का चेहरा बेनकाब हो गया। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इस याचिका से अदालत का भी अपमान हुआ है। मैं समझता हूं कि अदालत का यह फैसला न्यायिक इतिहास में एक बड़ा फैसला है और सच्चाई की जीत हुई है। कांग्रेस देश में लगातार चुनाव हार रही है और आमने-सामने की लड़ाई लड़ने की उसकी क्षमता नहीं है। इसलिए वह नकारात्मक राजनीति कर रही है। कांग्रेस और पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को इसके लिए देश की जनता से माफी मांगनी चाहिए। 2014 में हाई कोर्ट ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को सोहराबुद्दीन केस में क्लीन चिट दी थी। 2016 में भी सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर अपनी मुहर लगाई। बावजूद इसके, चुनावी फायदे के लिए कांग्रेस ने जज लोया की मौत के बहाने सुप्रीम कोर्ट की मर्यादा भंग की।
क्या कर्नाटक चुनाव में भाजपा इस मुद्दे को कांग्रेस के खिलाफ हथियार बनाएगी?
कांग्रेस एक-एक कर सभी राज्यों में हार रही है और कर्नाटक में तो उसकी हार तय है। किसी की मौत और लाशों पर राजनीति करना भाजपा का संस्कार नहीं है। कांग्रेस को इसमें महारत हासिल है। कांग्रेस विभाजनकारी मानसिकता से ग्रसित है और देश की जनता भी इस सच्चाई से अवगत हो चुकी है। कर्नाटक चुनाव में भाजपा विकास के मुद्दों पर चुनाव लड़ रही है। सिर्फ कर्नाटक ही क्यों, देश के सभी राज्यों में हमारा एक ही मूलमंत्र है-सबका साथ सबका विकास। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के कुशासन से प्रदेश की जनता निजात पाना चाहती है। इसलिए तरक्की और स्थिरता के लिए जनता भाजपा के पक्ष में मतदान करेगी। ’