नई दिल्ली। बैंकों और एटीएम पर लंबी कतारें अभी सात सप्ताह तक थमने का नाम नहीं लेंगी, क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक को 10 लाख करोड़ रुपये के नोट छापने में इतना ही समय और लगने वाला है। पिछले 8 नवंबर को 500 और 1000 के पुराने नोट बंद करने के सरकार के फैसले के बाद पूरे देश में लोग कैश के लिए परेशान हैं।
वित्त मंत्रालय ने समय-मसय पर कई तरह की गाइडलाइन जारी करके लोगों को सहूलियत देने की कोशिश की, फिर भी एटीएम पर लंबी लाइनें लगी हुई हैं। जिनके घरों में शादी या किसी तरह का मांगलिक कार्यक्रम हैं उन्हें ज्यादा परेशानियों का सामनना करना पड़ रहा है।
आरबीआई के एक डाटा के मुताबिक, बाजार में तकरीबन 14 लाख करोड़ रुपए के बड़े करेंसी नोट हैं। वहीं, 8 नवंबर के बाद से अब तक 1.36 लाख करोड़ रुपये बाजार में आए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक 10 फीसदी से भी कम मूल्य का कैश बदला जा सका है।
एक अंग्रेजी अखबार की खबर के मुताबिक, 8 से 10 नवंबर के बीच बैंकों को 544517 करोड़ रुपये के पुराने नोट मिले हैं। इस दौरान खाता धारकों ने करीब 1,03,316 करोड़ रुपये बैंक की शाखाओं और एटीएम से निकाले हैं, जबकि 33,006 करोड़ रुपये के पुराने नोट बदले गए हैं।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की चीफ इकॉनमिस्ट सौम्या कांति घोष के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि कैश की जरूरत का अंदाजा लोगों द्वारा दो महीने के उपभोग की जरूरतों से लगाया गया था। इसे पैमाना माना जाता है तो अभी 10 लाख करोड़ रुपये की नई करंसी और छापनी पड़ेगी।
रिपोर्ट के मुताबिक, बैंक यदि मौजूदा रफ्तार से भी नए नोट बांटते रहे तो 10 लाख करोड़ रुपये को पूरा करने में करीब सात हफ्ते और लग जाएंगे।
करेंसी कागज में कमी
रिपोर्ट के मुताबिक, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने नए नोट छापने का टेंडर ही अभी तक नहीं दिया है। मैसूर की पेपर मिल में बचे करेंसी कागज से ही काम चलाया जा रहा है। वहां सिर्फ जरूरत का 5 फीसदी कागज तैयार करने की छमता है। कैश के संकट को देखते हुए अमेरिका, इंग्लैंड और जर्मनी की कंपनियों को टेंडर प्रक्रिया में शामिल करने के लिए प्रस्ताव भेजा जा रहा है।
आरबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि नए नोट के लिए 22 हजार मीट्रिक टन करेंसी कागज की जरूरत होगी। रिपोर्ट में रिजर्व बैंक ने कहा है कि अभी देवास और नासिक के प्रिंटिंग प्रेस में पुराने नोटों का स्क्रैप हटाने की चुनौती है।