अहमदाबाद। गुजरात में दलितों पर हमले के विरोध में हजारों दलितों ने सड़कों से मरे हुए पशुओं को न उठाने का संकल्प किया है। दलित नेताओं ने हिंदू कार्यकर्ताओं के अत्याचार के कारण सरकार से दलितों को बंदूकें मुहैया कराने की मांग की। पूरे गुजरात से रविवार को जुटे करीब 30 दलित समूहों ने एक रैली की, जिसमें सामूहिक रूप से प्रण लिया गया कि मरे हुए पशु नहीं उठाएंगे। रैली को जमीयत-ए-उलेमा-हिंद का समर्थन हासिल था। विश्लेषक मानते हैं कि गुजरात के दलित पिछले 15-20 वर्षों से भाजपा को वोट देते रहे हैं। भाजपा के गुजरात मॉडल में दलित भी शामिल रहे हैं। लेकिन दलितों की मांगों की सूची बहुत लंबी है।
अहमदाबाद के तीन मुसलमान नेताओं ने इस रैली में भाग लिया और मंच पर बैठे। रैली में कई मुसलमान कार्यकर्ताओं को देखा जा सकता था। 30 दलित संगठनों के संयुक्त मोर्चा के संयोजक जिग्नेश मेवानी ने कहा, “सरकार हमें अपनी रक्षा के लिए अनिवार्य रूप से आग्नेयास्त्र रखने का लाइसेंस दे क्योंकि सरकार हमें सुरक्षा मुहैया कराने में नाकाम रही है।” उन्होंने कहा, “हम लोगों ने बहुत सह लिया। यदि ऊंची जाति के शोषकों ने हमें फिर उत्पीड़ित किया तो हम उनके हाथ-पैर तोड़ देंगे।” उन्होंने कहा कि सरकार को दलितों को मार्शल आर्ट सिखाने में भी मदद करनी चाहिए।
दलितों पर वर्ष 2012 में हुए पुलिस के हमले का हवाला देते हुए वक्ताओं ने रैली में शिकायत की कि उस सरकार से कोई उम्मीद नहीं की जा सकती है जो आरोप पत्र भी नहीं दायर कर सकी है। सुरेंद्र नगर जिले के धनगढ़ इलाके में हुए उस हमले में तीन दलित मारे गए गए थे। उन तीनों के परिवार वाले भी इस रैली में मौजूद थे। वक्ताओं ने मांग की कि 11 जुलाई की घटना में मरी हुई गाय की खाल उतारने पर दलितों की पिटाई करने के आरोपियों के खिलाफ अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (उत्पीड़न रोकथाम) कानून के तहत कार्रवाई की जाए।
गुजरात के दलित आंदोलन के नेता की मांगों की सूची
- ऊना के अभियुक्तों को यदि ज़मानत भी मिले तो उन्हें 5 जिलों से बाहर रखा जाए।
- आंदोलन करने वाले बेगुनाह दलितों पर दर्ज फर्जी मुकदमे वापस लिए जाएं।
- ऊना की घटना के वीडियो में हमलावरों की पहचान संभव है. इसमें पुलिस की भूमिका संदेहास्पद है इसलिए पुलिसवालों के ख़िलाफ़ दलित उत्पीड़न के तहत मुकदमा दर्ज हो।
- चार साल पहले सूर्यनगर जिले में एक शहर में तीन दलित लड़कों की हत्या के मामले में फ़रार अभियुक्त को गिरफ्तार किया जाए।
- गुजरात के सारे जिलों में अनुसूचित जाति-जनजाति कानून के तहत मामले चलाने के लिए विशेष अदालतें बनाई जाएं।
- मरे हुए पशुओं को उठाने का काम छोड़ने वाले दलितों और भूमिहीन दलितों को सरकारी कोटा से 5-5 एकड़ जमीन दी जाए।
- सभी दलित सफाईकर्मियों को छठे वेतन आयोग का लाभ दिया जाए और उनकी नौकरी पक्की की जाए।