यूपी का मुख्य सचिव बनाए जाने के साथ ही दीपक सिंघल की नियुक्ति पर सवाल उठने लगे हैं। पहले भी सिंघल पर भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप लग चुके हैं,जिनमें वह जांच का सामना भी कर रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार व भड़ास के संपादक यशवंत सिंह का तो यहां तक कहना है कि सिंघल ब्यूरोक्रेसी के मुख्तार अंसारी हैं। मुख्यमंत्री ने एक ओर मुख्तार अंसारी को पार्टी में नहीं आने दिया तो दूसरी ओर इस नियुक्ति के माध्यम से पार्टी की छवि पर सवाल उठाने का मौका दे दिया है।
उधर, मुख्य सचिव पद का कार्यभार ग्रहण करने के बाद सिंघल ने कहा कि प्रदेश सरकार के विकास कार्यों को और अधिक गति देकर निर्धारित मानक एवं गुणवत्ता के साथ निर्धारित अवधि में पूर्ण कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव कार्यालय आम नागरिकों की समस्याओं को सुनने के लिए हमेशा खुला रहेगा। प्रदेश में अमन-चैन एवं खुशहाली और बेहतर माहौल बनाने के लिए काम किए जाएंगे।
उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन 30 जून को रिटायर हुए थे। इससे पहले तीन माह का सेवा विस्तार ले चुके आलोक रंजन को दोबारा सेवा विस्तार मिलने की पूरी संभावना थी लेकिन अंतिम समय में केन्द्र सरकार से सेवा विस्तार की अनुमति न मिलने के बाद उन्हें मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने सलाहकार का पद देते हुए आईएएस प्रवीर कुमार को कार्यवाहक मुख्य सचिव नियुक्त किया था। प्रवीर कुमार छह दिनों तक कार्यवाहक मुख्य सचिव रहे जिसके बाद दीपक सिंघल को मुख्य सचिव नियुक्त किया गया है।
बताया जाता है कि दीपक सिंघल एक तेजतर्रार आईएएस अधिकारी हैं और सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी में उनकी मजबूत पकड़ है। इस पद के लिए एपीसी प्रवीर कुमार के साथ प्रमुख सचिव वित्त राहुल भटनागर, प्रमुख सचिव ऊर्जा संजय अग्रवाल, प्रमुख सचिव कृषि प्रदीप भटनागर और प्रमुख सचिव आवास सदाकांत के अलावा केंद्र सरकार में तैनात अनुज विश्नोई भी दावेदार थे लेकिन असली मुकाबला अंत में दीपक सिंघल और प्रवीर कुमार के बीच ही सिमट गया था।
सहारनपुर के मूल निवासी दीपक सिंघल पूर्व मुख्य अभियंता विद्युत जीआर सिंघल के पुत्र हैं। उनका जन्म 25 मई 1959 को हुआ था। आईएएस के रूप में उनका सेवाकाल अभी मई 2019 तक है। उन्होंने मैकेनिकल में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की है। इसके अलावा इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग में पीजी डिप्लोमा हैं। वह कई महत्वपूर्ण जिलों के डीएम और मेरठ, बरेली के कमिश्नर पदों पर भी रहे हैं। शासन में भी कई विभागों में महत्वपूर्ण पदों पर तैनात रहे हैं। लखनऊ में गोमती नदी के तट को सुंदर बनाने के लिए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और शिवपाल सिंह यादव उनकी तारीफ कर चुके हैं।