सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि रविवार से दिल्ली में डीजल की टैक्सियां नहीं चलेंगी। सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिल्ली में ऑड-इवन फामॅूले के शनिवार को पूरा होने पर प्रदूषण की स्थिति का आकलन करने के दौरान दिया। अदालत शनिवार को छुट्टी के दिन भी बैठी थी। सुप्रीम कोर्ट ने डीजल टैक्सियां नहीं चलने का आदेश पिछले साल सितंबर में ही दिया था, लेकिन टैक्सी ऑपरेटरों के आग्रह पर इस तारीख को दो बार शीर्ष अदालत ने बढ़ाया था। अॉपरेटरों को फरवरी तक यह काम कर लेने को कहा गया था, पुन: उन्हें शनिवार को 30 अप्रैल तक समय दिया गया था।
कोर्ट ने टैक्सी ऑपरेटरों को 30 अप्रैल तक डीजल इंजन को सीएनजी इंजन में बदल लेने को कहा था। शनिवार को ऑपरेटरों की ओर से कहा गया कि ऐसी कोई तकनीक नहीं है, जो डीजल कारों को सीएनजी में बदल दे। इस पर शीर्ष अदालत ने कहा कि पहले ही वक्त बढ़ाया जा चुका है, आपको अबतक विकल्पों के बारे में सोच लेना चाहिए।टैक्सी ऑपरेटरों के वकील ने आज अदालत में उनका पक्ष रखते हुए कहा कि उनके समक्ष इससे रोजगार का संकट उत्पन्न हो जायेगा और उनके पास तुरंत वैकल्पिक उपाय नहीं हैं। इस पर अदालत ने कहा कि आप बार-बार यही कहते हैं। अगर सीएनजी टैक्सियां नहीं हैं तो उनकी खरीद कीजिए। हालांकि शीर्ष अदालत ने ऑल इंडिया परमिट वाली गाड़ियों को छूट दी है।
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने हरित उपकर के भुगतान पर दिल्ली पुलिस को 2000 सीसी या इससे अधिक सीसी के उसके 190 डीजल वाहनों के पंजीकरण की अनुमति दी। उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली जल बोर्ड को भी डीजल चालित पानी के उसके नए टैंकरों का परिवहन प्राधिकरण में पंजीकरण कराने की अनुमति दी। डीजेबी को हरित उपकर के भुगतान से छूट दी गयी।