पं. भानुप्रतापनारायण मिश्र
28 अक्टूबर को धनतेरस और धन्वंतरि जयंती है। इस दिन धनाध्यक्ष कुबेर, जो शिवजी के परम मित्र हैं, की पूजा की जाती है। कार्तिक माह की कृष्ण त्रयोदशी को मनाए जाने वाले इस त्यौहार के दिन अगर आपके पास धन की कमी नहीं है तो चांदी या तांबे का बर्तन खरीदना बहुत शुभ रहता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन किसी को भी उधार नहीं देना चाहिए। दान करने में मनाही नहीं है। साथ ही फिजूलखर्ची से बचना चाहिए। शाम के समय घर के दरवाजे पर मिट्टी से बने दीपक को तिल के तेल से भरकर प्रज्वलित करें और गन्धादि से पूजन करके अन्न की ढेरी पर रखें। यहां यह ध्यान रखना है कि वह दीप रातभर जलते रहना चाहिए, बुझना नहीं चाहिए। दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके- मृत्युना दण्डपाशाभ्यां कालेन श्यामया सह। त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम।। कहना चाहिए।
दीप जलाने से यमराज प्रसन्न होते हैं। इससे अकाल मृत्यु का डर नहीं रहता है। समुंद्र मंथन के समय ही धन्वंतरि समुद्र से निकले थे। भगवान धन्वंतरि जी ने आयुर्वेद का उपदेश दिया था। वैद्य इस दिन भव्य तरीके से धन्वतंरि जयन्ती मनाते हैं। सुबह उठकर धन्वंतरि जी का नाम लेना भी रोग को समाप्त करता है।
चतुर्दशी तिथि शाम के बाद शुरू होगी इसलिए इसीदिन हनुमान जयंती भी मनाई जाएगी। आष्विनस्यासिते पक्षे भूतायां च महानिशि।
भौमवारेअज्जनादेवी हनूमन्तमजीजनत्। अर्थात अमान्त आष्विन-कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी, मंगलवार की महानिशा-अर्धरात्रि में माता अंजनादेवी के उदर से हनुमानजी का जन्म हुआ था। शास्त्रान्तर में चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को भी हनुमान जयंती मनाने का उल्लेख मिलता है। शोडषोपचार पूजन करने के बाद इसदिन हनुमान भक्तों को वाल्मीकि रामायण या रामचरितमानस के सुंदर कांड, हनुमान चालीसा को पढ़ना चाहिए। साथ ही संभव हो तो चोला चढ़ाएं। तेल में सिन्दूर मिलाकर हनुमान मूर्ति को लगाएं। पुन्नाम-पुरुष नाम के हजार-गुलहजारा आदि के पुष्प चढ़ाएं और नैवेद्य में घी का चूरमा, आटे का मोदक, केला, अमरूद आदि फल अर्पण करें। इसके अलावा अपने माता-पिता, बुजुर्गो की सेवा जरूर करें। रात में दीपकों की पंक्ति जरूर बनाएं। हां, तुलसी जरूर चढ़ाएं। श्रीराम श्रीराम जय, जय, जय राम का लगातार मन ही मन पाठ करते रहें। कहा जाता है कि इस दिन सीता माता ने अपने ललाट पर लगा सिंदूर हनुमान को प्रदान किया और उन्हें अजर अमर होने का आशीर्वाद दिया। खासतौर पर न्यायप्रिय ग्रह शनि की साढ़ेसाती या ढैया से पीड़ित राशियों-तुला, वृष्चिक, धनु, मेष, सिंह आदि को अवश्य ही हनुमान जी की सेवा करनी चाहिए। इसके अलावा जनवरी 2017 में शनि की साढ़ेसाती और ढैया जिन पर चढ़ने वाली है वे राशियां- मकर, वृष और कन्या को भी हनुमान जी को मनाना शुरू कर देना चाहिए।