ब्राजील की राष्ट्रपति पर महाभियोग को निचले सदन की मंजूरी

ब्राजील में संसद के निचले सदन कांग्रेस ने राष्ट्रपति डेल्मा रूसेफ के ख़िलाफ महाभियोग चलाने के प्रस्ताव को बहुमत से पारित कर दिया है। अब यह मामला संसद के ऊपरी सदन सीनेट में जाएगा। सीनेट ही यह फैसला करेगी कि उनके खिलाफ महाभियोग चलेगा या नहीं। इसके साथ ही लातिन अमेरिका का यह सबसे बड़ा देश गहरे राजनीतिक संकट में फंस गया है। रूसेफ पर सरकारी खातों में हेराफेरी का आरोप है जिससे वो इनकार करती रही हैं।

निचले सदन में शोरगुल के बीच सांसदों ने राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग की कार्रवाई शुरू किए जाने को मंजूरी दी। विपक्ष को यह मामला सीनेट के पास भेजने के लिए 513 मतों में से 342 मत या दो तिहाई बहुमत चाहिए था।मतदान में 342वां मत मिलने पर विपक्ष ने जोर से चिल्लाते हुए खुशी का इजहार किया जिसके जवाब में डेल्मा रूसेफ के सहयोगियों ने गुस्से में ताने मारे। पांच घंटे तक चले मतदान के बाद इस मामले पर फैसला हो पाया। रियो डी जेनेरियो में चार महीने बाद होने वाले ओलंपिक के आयोजन से पहले ब्राजील का माहौल कटुता से भर गया है।

इससे पहले ब्राज़ील की सत्ताधारी वर्कर्स पार्टी ने संसद के निचले सदन में मतदान के दौरान ही हार मान ली थी पार्टी के संसदीय नेता जोसे गुइमाराएस ने कहा, “अब लड़ाई सीनेट में जारी रहेगी।” संसद के निचले सदन में चली लंबी बहस में दोनों पक्षों ने अपना अपना पक्ष रखा। वहीं संसद के बाहर करीब 25 हज़ार लोगों ने जिल्मा रूसेफ के खिलाफ प्रदर्शन किया। अगर महाभियोग की कोशिश सफल रही तो ऊपरी सदन रूसेफ को छह महीने के लिए निलंबित कर सकता है। इस दौरान उन पर मुकदमा चलेगा।

ब्राजील के संसद के बाहर हजारों लोग बड़ी-बड़ी टीवी स्क्रीनों पर इस प्रक्रिया को देख रहे थे। विपक्षी समर्थक जहां जश्न के मूड में थे, वहीं रूसेफ के समर्थकों में निराशा छाई हुई थी। इस अवसर पर हजारों पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे और प्रतिद्वंद्वी शिविरों को धातु से बनी एक बड़ी दीवार के जरिए अलग-अलग रखा गया था।

ज्यादातर लोगों को उम्मीद है कि सीनेट इस वामपंथी राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाती है तो उपराष्ट्रपति माइकल टेमर सत्ता संभालेंगे। उन्होंने एक प्रमुख विपक्षी बनने के लिए रूसेफ का साथ छोड़ दिया था। अगर ऐसा होता है तो टेमर एक ऐसे देश की कमान संभालेंगे जो कई दशकों में अब तक की सबसे भीषण मंदी से जूझ रहा है। यहां का राजनीतिक परिदृश्य बेहद निष्क्रिय सा है। यहां एक ऐसा माहौल है, जिसमें रूसेफ की वर्कर्स पार्टी बदला लेने का संकल्प ले रही है।

रूसेफ (68) पर आरोप है कि उन्होंने वर्ष 2014 के चुनाव के दौरान सरकार की विफलताओं को छिपाने के लिए खातों में हेराफेरी की। ब्राजील के ज्यादातर लोग उन्हें देश के आर्थिक संकट और सरकारी तेल कंपनी पेट्रोब्रास से जुड़े घोटाले के लिए भी दोषी ठहराते हैं। इस खराब रिकॉर्ड के चलते उनकी सरकार की स्वीकार्यता महज 10 फीसदी की रह गई है।

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