अभिषेक रंजन सिंह, नई दिल्ली। पिछले कई दिनों से भारत और चीन के बीच विवाद का मुद्दा बने डोकलाम क्षेत्र को लेकर आपसी तनाव कम करने की कोशिशें जारी है। यह पहल भारत की तरफ से किया जा रहा है। सूत्रों का दावा है कि डोकलाम मसले के हल के लिए राजनयिक कोशिशें जारी हैं। चीन और भारत के बीच पैदा हुए हालिया तनाव के बारे में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जी.बागले ने कहा कि पिछले दिनों जर्मन शहर हैमब्रग में आयोजित जी-20 की बैठक में इस मुद्दे पर ब्रिक्स के सदस्य देशों के नेताओं ने आपस में बातचीत की। इस बाबत प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग के बीच डोकलाम मुद्दे पर बातचीत हुई। एशिया के दो बड़े देशों के नेताओं ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है और इसे सुलझाने की ईमानदार प्रयासों में जुटे हैं। यही वजह है कि डोकलाम के मुद्दे को सुलझाने के लिए राजनयिक स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं।
भारत के विदेश सचिव एस. जयशंकर ने भी अपने हालिया बयान में कहा था कि इससे पहले भी भारत और चीन कई मसले आपसी समझदारी और सहयोग से सुलझाए हैं। हालांकि, उनके बयान से इतर चीन की तरफ से यह बयान आया था कि डोकलाम का मुद्दा पूर्व के मुद्दों से भिन्न है। जब उनसे यह पूछा गया कि चीन ने कश्मीर के मुद्दे पर मध्यस्थता करने की बात कही है। इस पर उन्होंने कहा कि कश्मीर का मामला आतंकवाद से जुड़ा है और यह आतंकवाद पाकिस्तान प्रायोजित है। उनके मुताबिक, कश्मीर के मुद्दे पर भारत का रुख स्पष्ट है कि इस मुद्दे में किसी अन्य देशों की मध्यस्थता हमें स्वीकार नहीं है।
डोकलाम सीमा विवाद पर भूटान के रुख के बारे में उन्होंने कहा कि पर्वतीय देश भूटान भारत का मित्र है। लिहाजा उसके रुख के बारे में किसी तरह के कयास नहीं लगाए जा सकते। गौरतलब है कि डोकलाम सीमा विवाद के चलते भारत और चीन के मध्य तनाव उत्पन्न हो गया है। चीन की तरफ कहा जा रहा है कि भारत इस क्षेत्र से अपनी सेनाएं हटा ले। लेकिन भारत ने चीन के इस बयान को नजरअंदाज करते हुए अपनी अतिरिक्त सेनाएं भी उस क्षेत्र में भेज दी है।