उत्तर प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी ‘एक जनपद-एक उत्पाद’ परियोजना का उद्देश्य है कि राज्य की विशिष्ट शिल्प कलाओं एवं उत्पादों को प्रोत्साहित किया जाए. उत्तर प्रदेश में ऐसे उत्पाद बनते हैं, जो देश में कहीं और उपलब्ध नहीं हैं. जैसे प्राचीन एवं पौष्टिक काला नमक चावल, दुर्लभ एवं अकल्पनीय गेहंू डंठल शिल्प, विश्व प्रसिद्ध चिकनकारी, कपड़ों पर जरी-जरदोजी का काम, मृत पशु से प्राप्त सींगों एवं हड्डियों से अति जटिल शिल्प कार्य, जो हाथी दांत का प्रकृति अनुकूल विकल्प है. इनमें से बहुत से उत्पाद जी.आई. टैग अर्थात भौगोलिक पहचान पट्टिका धारक हैं. ये वे उत्पाद हैं, जिनसे स्थान विशेष की पहचान होती है. इनमें से तमाम ऐसे उत्पाद हैं, जो अपनी पहचान खो रहे थे और जिन्हें आधुनिकता एवं प्रसार रूपी संजीवनी द्वारा पुनर्जीवित किया जा रहा है. जनपद विशेष से संबंधित उद्योग वैसे तो सामान्य प्रतीत होते हैं, परंतु उनके उत्पाद उस क्षेत्र की विविधता एवं विलक्षणता को दर्शाते हैं. लघु एवं मध्यम दर्जे की तमाम ऐसी औद्योगिक इकाइयां हैं, जिन्हें उन्नत मशीनरी, आधुनिकीकरण एवं उत्पादन क्षमता वृद्धि की आवश्यकता है. प्रदेश में जन विविधता, जलवायु विविधता, आस्थाओं एवं संस्कृतियों की विविधता की तरह ही उत्पादों और शिल्प कलाओं में भी एक मोहक विविधता है.