बीती 15 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झांसी में २० हजार करोड़ रुपये की विभिन्न विकास योजनाओं का शिलान्यास-लोकार्पण किया. साल 2014 में जब वह चुनाव प्रचार के लिए झांसी आए थे, तो उन्होंने बुंदेलखंड की तकदीर और तस्वीर बदल देने का वादा किया था. अपने हालिया दौरे पर मोदी ने कहा, आपने मुझे जो आशीर्वाद दिया था, उसे सूद समेत चुकाने आया हूं. उन्होंने नौ हजार करोड़ रुपये की लागत से बुंदेलखंड के सात जिलों में पाइप लाइन द्वारा पेयजल उपलब्ध कराने की योजना के अलावा डिफेंस कॉरिडोर, रेलवे पुनर्सज्जा कारखाना, रेल रूटों के दोहरीकरण एवं बिजलीकरण समेत कई अन्य योजनाओं-परियोजनाओं की आधार शिला रखी. यानी बुंदेलखंड को २० हजार करोड़ रुपये की इस सौगात के जरिये नरेंद्र मोदी ने चुनावी बिगुल फूंक दिया है. अपनी इस यात्रा से उन्होंने प्रमुख विपक्षी दलों के सामने चुनौती पेश कर दी है. सपा, बसपा और कांग्रेस ने मोदी के हालिया बुंदेलखंड दौरे के चुनावी लाभ-हानि का आकलन शुरू कर दिया है.
गौरतलब है कि इससे पहले बुंदेलखंड को लगभग सात हजार करोड़ रुपये का पैकेज मिला था, जिसमें से उत्तर प्रदेश वाले हिस्से को लगभग साढ़े तीन हजार करोड़ रुपये मिले थे. पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन कहते हैं कि मोदी झांसी की जनता को झांसा देने आए थे, उन्हें बताना चाहिए था कि पिछले पांच सालों के दौरान उनकी सरकार ने झांसी के लिए क्या किया. बकौल जैन, झांसी के जिस भोजला मंडी मैदान में उन्होंने जनसभा को संबोधित किया, उसे भी राहुल गांधी के कहने पर तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने बनवाया था. जैन ने कहा, क्षेत्र की जनता नासमझ नहीं है, वह सब कुछ जानती-समझती है और किसी के बहकावे में आने वाली नहीं है. कांग्रेस ने क्षेत्र के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं, जिन्हें जनता भूली नहीं है.
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि मोदी का यह दौरा स्थगित हो जाएगा. लेकिन, प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम में हिस्सा लेकर साबित कर दिया कि बुंदेलखंड भाजपा के लिए कितना अहम है. मोदी ने पाकिस्तान को सबक सिखाने की बात कहकर जनाक्रोश साधने की कोशिश की और अपनी सरकार को पिछले 30 सालों में बनी सबसे मजबूत सरकार बताया. उन्होंने २०१९ के लिए दोबारा समर्थन और आशीर्वाद इलाकाई जनता से मांगा है. लेकिन, भाजपा की राह इतनी आसान नहीं है. मोदी के इस कथन कि उन्होंने जिन योजनाओं की नींव रखी है, उससे बुंदेलखंड की तस्वीर पूरी तरह बदल जाएगी, से बड़ी संख्या में लोग असहमत दिखे. उनका कहना था कि बीते पांच सालों के दौरान हुए बदलाव का हिसाब-किताब देने के बजाय उन्हें फिर से सपना दिखाने का प्रयास किया गया है.