अाेपिनियन पाेस्ट
क्या सरकार लोकसभा चुनाव कुछ राज्यों की विधान सभा के साथ करवाने पर विचार कर रही है। ये सवाल इसलिए खड़ा हुआ है क्योंकि केन्द्र सरकार लगातार इस मुद्दे पर कानूनी राय मशविरा ले रही है सरकार में इस बात की लगातार चर्चा भी हो रही है। बता दें कि खुद पीएम मोदी भी यह राय जाहिर कर चुके हैं कि देश में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ करवाए जाएं।
एक बड़े अंग्रेजी अखबार ने भी इस बाबत खबर प्रकाशित की है उसके मुताबिक सूत्रों का कहना है कि इस राजनीतिक बदलाव को समझने के लिए सरकार लोकसभा के पूर्व सेक्रटरी जनरल सुभाष सी कश्यप और कई सचिवों की राय जानने की कोशिश की जा रही है। प्रधानमंत्री मोदी यह कह चुके हैं कि लगातार होने वाले विधानसभा चुनावों से न सिर्फ सरकार के कामकाज पर असर पड़ता है बल्कि इससे देश पर आर्थिक भार भी पड़ता है।
क्या कहते हैं नियम?
मौजूदा नियमों के मुताबिक चुनाव तय समय से छह महीने पहले तक करवाए जा सकते हैं। लेकिन सरकार इन नियमों की जांच कर चुकी है जिसके मुताबिक इनमें बदलाव के लिए संविधानस संशोधन की जरूरत नहीं पड़ेगी। संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप के मुताबिक, ‘अगले लोकसभा चुनाव और उसके बाद छह महीनों में होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों को साथ करवाया जा सकता है। संविधान में ऐसा प्रावधान है कि तय समय से 6 महीने पहले तक चुनाव करवाए जा सकते है। यह काम चुनाव आयोग कर सकता है और इसके लिए किसी संविधान संशोधन की जरूरत नहीं पड़ेगी’
इन राज्यों के साथ हो सकते हैं लोकसभा चुनाव
अगले लोकसभा चुनाव 2019 में होने हैं. मीडिया की खबरों के मुताबिक लोकसभा के चुनाव मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मिजोरम के साथ करवाए जा सकते हैं। इन सभी राज्यों की मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल नवंबर-दिसंबर 2018 में समाप्त हो रहा है। इन राज्यों में मिजोरम को छोड़कर बाकी राज्यों में बीजेपी सत्ता में है। जानकारों का मानना है कि सरकार के लिए बड़ी चुनौती सभी राजनीतिक दलों में सहमति बनाने की होगी। अगर सरकार आम सहमित बनाने में कामयाब हो जाती है तो तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों के भी विधानसभा चुनाव भी साथ करवाए जा सकते हैं। इन राज्यों की विधानसभा का कार्यकाल भी अप्रैल 2019 तक है।