नई दिल्ली। पासपोर्ट के नियमों को आसान बनाया जा रहा है। इसी क्रम में मोदी सरकार ऐसे दस्तावेजों का गलत इस्तेमाल रोकने के लिए सख्त फीचर लाने की तैयारी में है। 2017 में बायोमीट्रिक डिटेल्स से लैस ई-पासपोर्ट लॉन्च किए जाएंगे। विदेश मंत्रालय चिप वाले ई-पासपोर्ट पेश करेगा, जिससे पासपोर्ट संबंधी जानकारी की इलेक्ट्रॉनिक तरीके से तस्दीक की जा सकेगी।
ई-पासपोर्ट डेटा को सुरक्षित रखेगा और फर्जी पासपोर्ट के जोखिम को रोका जा सकेगा। ई-पासपोर्ट में एक इलेक्ट्रॉनिक चिप होती है। चिप में वही सूचनाएं होती हैं, जो पासपोर्ट के डेटा पेज पर छपी होती हैं। चिप के जरिये इमिग्रेशन अधिकारियों को फ्रॉड का पता लगाने और पासपोर्ट का गलत इस्तेमाल रोकने में मदद मिलेगी। ई-पासपोर्ट के बाद विदेश मंत्रालय की योजना पूरी तरह से डिजिटल पासपोर्ट लॉन्च करने की है, जिसे मोबाइल फोन में भी रखा जा सकेगा।
संसद के शीतकालीन सत्र में ई-पासपोर्ट से जुड़े एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्री वीके सिंह ने बताया था, ‘सरकार ने नासिक के इंडिया सिक्योरिटी प्रेस (आईएसपी) में ई-पासपोर्ट की मैन्युफैक्चरिंग के लिए इलेक्ट्रॉनिक कॉन्टैक्टलेस इनलेज के प्रोक्योरमेंट को मंजूरी दे दी है।
इस सिलसिले में इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गनाइजेशन कंप्लायंट इलेक्ट्रॉनिक कॉन्ट्रैक्टलेस इनलेज के साथ ऑपरेटिंग सिस्टम खरीदने के लिए आईएसपी नासिक को तीन स्तर का टेंडर निकालने की अनुमति दी गई है। यह ऑपरेटिंग सिस्टम ई-पासपोर्ट्स की मैन्युफैक्चरिंग के लिए जरूरी है। टेंडर और प्रोक्योरमेंट की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम दिए जाने के बाद ई-पासपोर्ट की मैन्युफैक्चरिंग शुरू होगी।’
पासपोर्ट्स की डुप्लिकेसी रोकने के लिए विदेश मंत्रालय देशभर के पासपोर्ट सेंटरों को सभी भारतीय राजनयिक मिशन के साथ जोड़ने की खातिर सिस्टम बनाएगा। पहले कई बार ऐसी घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जब भारतीय नागरिकों ने विदेश में मौजूद दूतावास और भारत में पासपोर्ट ऑफिस के जरिये एक साथ अप्लाई किया हो।
एक अधिकारी ने बताया, ‘इस तरह की तरकीब का मकसद किसी भी ठिकाने से जल्द पासपोर्ट हासिल करना है। हालांकि, नए सिस्टम में जब कोई आवेदक एक साथ या काफी कम गैप में दो अलग-अलग लोकेशंस से पासपोर्ट के लिए अप्लाई करेगा, तो नया सिस्टम मंत्रालय को अलर्ट जारी कर देगा।’