श्रमिक संगठनों के विरोध को देखते हुए केंद्र सरकार ने मंगलवार को भविष्य निधि (पीएफ) निकासी पर पहली मई से लागू होने वाले नए नियमों को तीन महीने के लिए टाल दिया है। अब कोई भी अंशधारक यदि दो महीने से अधिक समय तक बेरोजगार रहता है तो वह 31 जुलाई तक पीएफ से पूरा पैसा निकाल सकेगा। इससे पहले सरकार ने नियोक्ता के योगदान की निकासी पर कर्मचारी के 58 साल पूरे होने तक रोक लगा दी थी। भविष्य निधि में तकरीबन पांच करोड़ अंशधारक हैं।
केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने बताया कि भविष्य निधि निकासी नियमों को सख्त बनाने से जुड़ी अधिसूचना को लागू किए जाने पर 31 जुलाई, 2016 तक के लिए रोक लगाई जा रही है। उन्होंने यह घोषणा पीएफ में से नियोक्ताओं के योगदान की निकासी पर पाबंदी को लेकर श्रमिक संगठनों के देश के विभिन्न भागों में विरोध प्रदर्शन के बीच की है। इस फैसले को पहले 10 फरवरी से लागू किया जाना था लेकिन विरोध को देखते हुए 30 अप्रैल तक टाल दिया गया था। अब दोबारा इसकी तारीख आगे बढ़ाई गई है।
पीएफ निकासी संबंधी नए नियमों के विरोध में बेंगलुरु में मंगलवार को कपड़ा उद्योग के श्रमिकों के प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया। प्रदर्शनकारियों ने कई वाहनों को आग लगा दी और पथराव किया। हिंसक भीड़ ने एक पुलिस अधिकारी को घेर लिया, जिस पर उन्होंने हवाई फायरिंग की। बेकाबू भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े गए, जिसमें कई लोग घायल हुए। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि नए नियम से कम राशि मिलेगी और वे 58 साल की उम्र तक फंड को निकाल नहीं सकेंगे। इससे पहले सोमवार को भी श्रमिकों ने मैसूर-बेंगलुरु राजमार्ग को जाम कर दिया था।
सरकार ने भविष्य निधि में जमा राशि के निकासी के प्रावधानों को सख्त करते हुए पहली मई से नए नियम लागू करने की घोषणा की थी। नए नियमों के अनुसार, पीएफ के अंशधारक असाधारण परिस्थिति में ही पूरी राशि निकाल सकते हैं। इनमें 58 वर्ष की आयु पूरा करने के अलावा विदेश में बसने, छंटनी के कारण रोजगार चले जाने, कार्य करने में स्थायी रूप से अक्षम और आपसी सहमति के आधार पर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना के तहत सेवा समाप्त होने पर ही भविष्य निधि निकासी की बात कही गई थी।
मौजूदा प्रावधान
फिलहाल अंशधारक सेवाकाल के दौरान अपनी जमा राशि का 90 फीसदी हिस्सा निकाल सकता है। इसके लिए अभी करीब 15 प्रावधान हैं, जिनमें शादी-विवाह, घर बनाने, मकान की मरम्मत कराने, बीमारी का इलाज कराने, लगातार तीन महीने तक वेतन नहीं मिलने और नौकरी खत्म होना आदि शामिल है।
इससे पहले सोमवार को श्रम मंत्रालय ने मूल प्रावधान में सशोधन करते हुए घर बनाने, गंभीर बीमारी के इलाज, बच्चों की उच्च शिक्षा और शादी के लिए पीएफ खाते से पूरी राशि निकालने की छूट देने की घोषणा की थी।