सहकारी समितियों में किसानों के नाम पर गोलमाल होने के कई मामले सामने आए हैं. कमल नाथ सरकार ने कर्ज माफी का अपना वादा निभाने के लिए जैसे ही कर्जदार किसानों की सूची जारी की, राज्य में हडक़ंप मच गया. कई किसानों के नाम कर्ज की राशि ज्यादा दर्ज थी, तो कई ने धेला भर कर्ज नहीं लिया, लेकिन सूची में वे बतौर कर्जदार दर्ज थे. शायद इसी को कहते हैं, खाया-पिया कुछ भी नहीं, गिलास तोड़ा बारह आना.
छतरपुर जिले की भदर्रा पंचायत के किसान बलराम पाल खुश थे कि कमल नाथ सरकार ने ‘जय किसान ऋण मुक्ति योजना’ के तहत उनका कर्ज माफ कर दिया. बलराम पर खाद की मद में मात्र 3,300 रुपये का कर्ज था, लेकिन जब उन्होंने भदर्रा सोसायटी में कर्जदार किसानों की सूची देखी, तो उनकी आंखें चौंधिया गईं, क्योंकि उन पर 54,000 रुपये का कर्ज दर्ज था. बलराम हैरान कि 50,700 रुपये का अतिरिक्त कर्ज उनके नाम कैसे दर्ज हो गया और यह धनराशि किसकी जेब में गई. केवल भदर्रा नहीं, बल्कि सभी सोसायटियों में ऐसे कारनामे हुए हैं. छतरपुर जिले में संचालित 113 सेवा सहकारी समितियों में कर्जदारों की चस्पा सूची ने तहलका मचा रखा है. हजारों किसानों को शिकायत है कि इतना कर्ज नहीं लिया या फिर बिल्कुल कर्ज नहीं लिया. जाहिर है, फर्जी केसीसी (किसान क्रेडिट कार्ड) के जरिये किसानों को कर्जदार बनाया गया. ऐसे भी कई किसान हैं, जिन्होंने केसीसी बनवाया ही नहीं, फि र भी उनके नाम कर्ज की राशि दर्ज है. बिजावर में मऊखेरा सोसायटी, घुवारा में सेवार सोसायटी और हरपालपुर में भदर्रा सोसायटी में ऐसे कई मामले सामने आए हैं.
कर्ज की सूची से हडक़ंप
जिले की सभी सोसायटियों में कर्ज माफ ी के लिए किसानों की सूची चस्पा की गई है, जिससे हडक़ंप मचा हुआ है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय दौलत तिवारी कहते हैं, अगर प्रदेश सरकार किसानों की कर्जमाफ ी की घोषणा न करती, तो कई सालों बाद उन्हें पता चलता कि उन पर लाखों रुपये का कर्ज है. किसान लाख सफ ाई देते, लेकिन उनकी कहीं सुनवाई न होती. वे अपने खेत बेचकर कर्ज पटाने को विवश होते या कर्ज से तंग आकर जान दे देते.
तीन हजार करोड़ का घोटाला
सहकारिता मंत्री डॉ. गोविंद कहते हैं, अनुमान है कि प्रदेश में यह तीन हजार करोड़ रुपये का फ र्जी किसान ऋ ण घोटाला हुआ है. शिकायतों के लिए पोर्टल बनाया गया है, जांच टीम बनाई गई है, घोटालेबाजों से एक-एक पाई वसूल करेंगे. पिछले 15 सालों के दौरान जिला सहकारी बैंकों के महाप्रबंधकों, प्रबंधकों, समिति प्रबंधकों एवं नेताओं की मिलीभगत से करोड़ों रुपये का गबन किया गया. पूरे प्रदेश में फ र्जी ऋ ण वितरण की शिकायतों का अंबार लगा है. कंट्रोल रूम के टेलीफ ोन नंबर जारी किए गए हैं, जिन पर लोग अपनी शिकायत या आपत्ति दर्ज करा सकेंगे. पीडि़त किसान सहकारिता विभाग को सीधे भी जानकारी दे सकते हैं.
किसानों को छला जा रहा
कांग्रेस की मंशा है कि विधानसभा चुनाव की तरह लोकसभा चुनाव में भी किसानों की ऋ ण माफ योजना मास्टर स्ट्रोक साबित हो. लेकिन, विपक्ष आक्रामक हो गया है. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कहते हैं, अभी तक किसानों के कर्ज माफ नहीं हुए. नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव कहते हैं, किसानों को छला जा रहा है. बिना कर्ज लिए ही उनके नाम सूची में हैं. सबसे ज्यादा गड़बड़ी सागर और कटनी में हुई. सागर में 65, कटनी में 63 और अलीराजपुर में 38 शिकायतें मिली हैं. कृषि एवं सहकारिता विभाग के पोर्टल पर 147 ऐसी शिकायतें आई हैं, जिनमें कहा गया है कि कर्ज चुका दिया गया था. 161 मामलों में वास्तविक कर्ज की राशि से अधिक राशि दिखाई गई है.
25 हजार फ र्जी किसान
पूर्व विधायक बृजेंद्र तिवारी का दावा है कि ग्वालियर जिले की डबरा, भितरवार एवं चीनौर तहसील में खाद-बीज के लिए करीब 25 हजार किसानों के नाम फ र्जी ऋ ण निकालने की घटना प्रकाश में आई है. यह धनराशि सहकारी समितियों के कर्मचारियों ने हड़पी है. जिले की तीनों तहसीलों की 76 समितियों में करीब 90 हजार किसानों को कर्ज दिया गया, जिसमें 25 हजार फ र्जी थे. अब किसान गुलाबी फ ॉर्म भरकर सरकार को जानकारी दे रहे हैं. ग्वालियर में साल 2006 से 2016 के बीच घोटालेबाजों ने किसानों के नाम पर 200 करोड़ रुपये का कर्ज डकार लिया. कलेक्टर भरत यादव कहते हैं, प्रकरणों की जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे. डबरा विधानसभा क्षेत्र की चीनौर तहसील की इटमा सोसायटी में फ र्जी तरीके से लिए गए कर्ज के चलते कई आदिवासी बेवजह कर्जदार बन गए. ग्वालियर, झाबुआ, खरगोन, सागर, छतरपुर, जबलपुर, सिवनी, सीधी एवं सतना में गड़बड़ी की कई शिकायतें मिली हैं.
भाजपा ने कहा कुछ, किया कुछ
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अपने एक ट्वीट में कहा, 2008-09 में केंद्र की कांग्रेस सरकार ने किसानों के कर्ज माफ किए थे, उस समय भी प्रदेश के कई जिलों से ऐसी शिकायतें मिली थीं, लेकिन घोटालों के सरताज शिवराज सिंह ने उन्हें दबा दिया. भाजपा के कार्यकाल में कर्ज के नाम पर करोड़ों रुपये का घोटाला कई सवाल खड़े करता है. प्रदेश कांग्रेस की मीडिया प्रभारी शोभा ओझा कहती हैं, भाजपा सरकार के दौरान किसानों के नाम पर हुए घोटाले सुनकर बड़ा दु:ख होता है, शिवराज सिंह दावा करते रहे कि किसी भी किसान को कर्ज के बोझ तले दबने नहीं दिया जाएगा, किसी को खुदकुशी करने की जरूरत नहीं, लेकिन किसानों के नाम पर जो फ र्जी घोटाले हर जिले से सामने आ रहे हैं, उससे साफ है कि भाजपा कहती कुछ थी और उसने किया कुछ.
फर्जी केसीसी से कर्ज निकाला
सेवा सहकारी समिति उजरा के किसान धमकन सिंह कहते हैं, हम यह नहीं समझ पा रहे हैं कि कर्ज माफ ी में मेरा नाम क्यों जोड़ा गया. समिति ने कर्ज माफ ी के जो नोटिस भेजे हैं, उनमें ज्यादातर किसानों पर 50 हजार रुपये का कर्ज दर्शाया गया है, जो ब्याज सहित डेढ़ लाख रुपये बनता है. उजरा में जिन किसानों के नाम पर फ र्जी कर्ज निकाला गया, उनमें मथुरा प्रसाद पाठक, रविंद्र पाठक, छत्रसाल सोनी, राम बाबू तिवारी, लालाराम दीक्षित, प्रेम बाबू तिवारी एवं राम सेवक तिवारी आदि शामिल हैं. भदर्रा सोसायटी से हरपालपुर निवासी किशन लाल राजपूत के नाम पर एक लाख 60 हजार, अनीता सिंह के नाम पर एक लाख 48 हजार, प्रियंका सिंह के नाम पर एक लाख 47 हजार, मानिक राजपूत के नाम पर एक लाख 26 हजार, राजेंद्र राजपूत के नाम पर 33 हजार, परम लाल राजपूत के नाम पर 65 हजार, दयाराम राजपूत के नाम पर एक लाख 42 हजार, ऊदल कोरी के नाम पर दो लाख 10 हजार, किशन अहिरवार के नाम पर एक लाख पांच हजार, किशोरी अहिरवार के नाम पर एक लाख 79 हजार, भानु तिवारी के नाम पर 92 हजार, जगतराज राजपूत के नाम पर दो लाख 13 हजार, कल्लू श्रीवास के नाम पर 45 हजार, नरसिंह राजपूत के नाम पर एक लाख चार हजार रुपये बतौर कर्ज निकाल लिए गए. बिजावर की मऊखेरा सोसायटी में भी यही खेल हुआ. इसी तरह घुवारा की सेवार सोसायटी में स्वार गांव निवासी सुधा सिंह के नाम पर एक लाख 88 हजार 292, चंद्रपाल सिंह के नाम पर एक लाख 34 हजार 918, तांतुआ कुशवाहा के नाम पर 16 हजार 519, सावंत सिंह के नाम पर एक लाख 85 हजार 152, रनमत सिंह के नाम पर एक लाख 88 हजार 724, दिनेश सिंह के नाम पर 38 हजार 635, कमला अहिरवार के नाम पर 49 हजार 87, हरीराम अहिरवार के नाम पर 52 हजार 46, बलवंत सिंह के नाम पर एक लाख 41 हजार 920, पूरन सिंह के नाम पर एक लाख 62 हजार 110, धनीराम कुशवाहा के नाम पर 93 हजार 82, अमली रानी सिंह के नाम पर 10 हजार 309, बृसभान सिंह के 18 हजार 490, बिट्टी कुशवाहा के नाम पर 65 हजार 594, कपूरी सिंह के नाम पर एक लाख 89 हजार 657, कंछेदी अहिरवार के नाम पर 50 हजार 742, राजेंद्र सिंह के नाम पर एक लाख 90 हजार 834, कुसुम सिंह के नाम पर 17 हजार 170, शीलाबाई काछी के नाम पर दो हजार 373, पनिया बाई अहिरवार के नाम पर 17 हजार 302, खलक सिंह के नाम पर एक लाख 45 हजार 280, जनक रानी सिंह के नाम पर एक लाख 13 हजार 374 और निरपत सिंह के नाम पर एक लाख 48 हजार 642 रुपये निकाले गए.
दोषियों को बख्शेंगे नहीं
छतरपुर जनपद पंचायत के पचबार, धावा, उमरी, चुकेहटा, गौहानी, नेहरा एवं हरवंशपुर के किसानों ने कलेक्टर से शिकायत की कि समिति प्रबंधकों की मिलीभगत से उनके नाम पर फ र्जी कर्ज निकाले गए. एडीएम डीके मौर्य कहते हैं, कर्जमाफ ी की सूची पंचायतों में इसलिए लगाई गई है, ताकि किसानों को पता चल सके कि उनके नाम कितना कर्ज है या उनका नाम फ र्जी तौर पर दर्ज है. गड़बड़ी की शिकायतें जहां से भी आएंगी, जांच होगी, बर्दाश्त नहीं की जाएगी. कलेक्टर मोहित बुंदस ने कहा, किसानों के नाम से फ र्जी कर्ज निकालने की शिकायतें लगातार आ रही हैं. जिला पंचायत सीईओ की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनाई गई है. घोटाले के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है.
ईओडब्ल्यू से जांच कराने की मांग
जिला अध्यक्ष कांग्रेस मनोज त्रिवेदी ने कहा, सभी सोसायटियों में किसानों के नाम से फ र्जी कर्ज लिए गए. जिले की 113 सहकारी समितियों की जांच आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) से कराई जाए, तभी सही आंकड़े सामने आएंगे. ग्वालियर में एक लाख किसानों पर 1,787 करोड़, शिवपुरी में 26,000 किसानों पर 149 करोड़, श्योपुर में 48,867 किसानों पर 144 करोड़, भिंड में 38,000 किसानों पर 95 करोड़, दतिया में 40,000 किसानों पर 200 करोड़ और मुरैना में 65,000 किसानों पर 200 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज बताया गया.
घोटाले के साक्ष्य मिले
सहकारिता निरीक्षक आरएन सिंह, जगदीश गुप्ता एवं जीतेंद्र ने जांच में पाया कि बीरो समिति के 43 किसानों के खाते में लिमिट से अधिक पैसे डालकर उनका गबन हुआ. एक-एक किसान के खाते से 14-15 लाख रुपये निकाले गए. समिति प्रबंधक भानु प्रताप अवस्थी ने साढ़े पांच करोड़, डिकौली के हरिओम अग्निहोत्री ने एक करोड़ एवं सेंदपा के जाहर सिंह ने एक करोड़ रुपये का घोटाला किया. 30 दिसंबर को बड़ा मलहरा शाखा प्रबंधक स्वामी प्रसाद एवं कैशियर कृष्ण पाल सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया. महाप्रबंधक को भोपाल अटैच किया गया. छतरपुर में पदस्थ लेखापाल राम विशाल पटैरिया को भी निलंबित कर दिया गया. भानु प्रताप अवस्थी ने दो करोड़ 32 लाख रुपये पहले और बाद में 35 लाख रुपये जमा किए. अवस्थी के छतरपुर में पेप्टेक सिटी स्थित निवास सहित पैतृक गांव वीरो और बरेठी में लोकायुक्त ने छापा मारा, तो चार करोड़ रुपये की संपत्ति मिली. लोकायुक्त के नेतृत्व में दो टीमों ने हरिओम अग्निहोत्री के लोकनाथपुरम एवं डिकौली स्थित आवासों पर छापे मारे. वह करीब पांच करोड़ रुपये का असामी निकला.
कर्ज माफी ने उजागर किया भाजपा का घोटाला: सचिन
मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री सचिन यादव कहते हैं कि भाजपा नेताओं के नेतृत्व में अधिकारियों की मिलीभगत से किसानों के नाम पर ऋ ण घोटाला हुआ. जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, घोटाले सामने आते जाएंगे. रमेश ‘रिपु’ की उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश:
तीन हजार करोड़ रुपये का किसान ऋ ण घोटाला हुआ है. क्या घोटालेबाजों के खिलाफ कार्रवाई हो पाएगी?
अगर प्रदेश सरकार किसान ऋ ण माफ ी की घोषणा न करती, तो भाजपा शासन के इस घोटाले पर पर्दा पड़ा रहता और भविष्य में यही फ र्जी ऋ ण किसानों की मौत का कारण बनता. ऋ ण माफ ी की सूचना जिला पंचायत स्तर पर चस्पा की गई, ताकि किसानों को पता चल सके कि उन्होंने कितना ऋ ण लिया और किन किसानों का ऋ ण सरकार ने माफ किया. ऐसा करने से फ र्जी ऋ णों का पर्दाफ ाश होने लगा. इस घोटाले में बड़ी मछलियां भी सामने आएंंगी. दोषियों के खिलाफ सरकार सख्त कार्रवाई करेगी.
पूर्ववर्ती सरकार के समय हुए इस घोटाले के पीछे क्या मकसद नजर आता है?
इस घोटाले में किसी बड़े रैकेट का हाथ होने की आशंका है. भाजपा नेताओं की जेबें भरने के लिए अधिकारियों की मिलीभगत से ऐसा किया गया. किसानों को मुख्यमंत्री कमल नाथ को धन्यवाद देना चाहिए कि उनकी वजह से भाजपा शासन का यह ऋण घोटाला सामने आया.
क्या इसकी जांच ईओडब्ल्यू से करानी चाहिए?
इसकी समीक्षा की जा रही है. सभी जिलों में एफ आईआर दर्ज कराने के आदेश कलेक्टर को दिए गए हैं. जांच प्रक्रिया जैसे-जैसे आगे बढ़ेगी, कई बड़ी मछलियों के नाम सामने आएंगे, लेकिन किसी को भी रियायत नहीं दी जाएगी.
छतरपुर जिले की 113 सोसायटियों में घोटाले को लेकर किसान परेशान हैं. छोटे कर्मियों को निलंबित और बड़े अधिकारियों का तबादला कर दिया गया. क्या पारदर्शिता की उम्मीद की जा सकती है?
ऐसी शिकायतें हर जिले से आ रही हैं. ग्वालियर में 2,000 से ज्यादा किसान जालसाजी के शिकार हुए. ग्वालियर में कुल एक लाख किसानों पर 1,787 करोड़ रुपये का कर्ज है. ऋ ण माफ ी की सूची में 37,273 किसानों के नाम हैं, जिनका करीब ढाई सौ करोड़ रुपये का कर्ज माफ होने जा रहा है. किसी भी किसान के साथ अन्याय नहीं होगा.
केंद्र सरकार ने किसानों को हर साल छह हजार रुपये देने की बात बजट में कही है. लोकसभा चुनाव में उसका क्या असर पड़ेगा?
केंद्र सरकार का कार्यकाल खत्म होने को है. मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं राजस्थान में किसानों ने कांग्रेस का साथ दिया. किसान पूछ रहे हैं कि 15 लाख में से अभी छह हजार दिए हैं, बाकी कब देंगे.
किसानों के लिए आपकी और क्या योजनाएं हैं?
सरकार की सोच और मंशा है कि प्रदेश के किसानों के लिए ऐसी व्यवस्था की जाए, ताकि वे अपनी फ सल बेचकर अच्छे दाम पा सकें. मध्य प्रदेश संतरा उत्पादन में सबसे आगे है, लेकिन संतरा बिकता है नागपुर के नाम से. हम किसानों को खेत से लेकर फैक्ट्री तक जोड़ेंगे.