रियो डि जेनेरियो। नेपाल की इस जलपरी में कुछ तो खास है, जिसने बहुत ही कम उम्र में तैराकी के सात राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़े हैं और अब रियो आलंपिक में भाग ले रही है। हम बात कर रहे हैं गौरिका सिंह की, जो सबसे कम उम्र की वजह से रियो ओलंपिक का आकर्षण बनी हुई हैं। गौरिका पिछले वर्ष नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप की प्रत्यक्षदर्शी रही हैं, जिसका अनुभव भी वह साझा करती हैं।
दरअसल, ओलंपिक खेल में कई बिरले खिलाड़ी भाग ले रहे हैं। उन्हीं में एक नेपाल में पिछले साल आए भूकंप में बचने वाली गौरिका सिंह हैं, जो रियो का खास आकर्षण हैं। 5 अगस्त से शुरू ब्राजील के रियो ओलंपिक में 207 देशों के 11,239 एथलीट हिस्सा ले रहे हैं। इस बार ओलंपिक की सबसे युवा एथलीट नेपाल से है। गौरिका ने नेपाल चैंपियनशिप प्रतियोगिताओं में 11 वर्ष की उम्र से ही हिस्सा लेना शुरू कर दिया था। उन्होंने सात राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़े हैं। गौरिका रियो ओलिंपिक की सबसे कम उम्र (13 साल) की युवा एथलीट है। इस वजह से वह रियो ओलंपिक का खास आकर्षण बन गई हैं।
नेपाल में जन्मी गौरिका मात्र दो साल की उम्र में ही लंदन चली गई थीं। वह पिछले साल आए विनाशकारी भूकंप में बचने वाले लोगों में से एक हैं। वह तैराकी में 100 मीटर की बैकस्ट्रोक प्रीलिमिनरी स्पर्धा में हिस्सा लेंगी। गौरिका ने हाल ही में हर्थफोर्डशिरे में अपने स्कूल से जिला स्तर की स्थानीय चैंपियनशिप पूरी की। अप्रैल 2015 में गौरिका राष्ट्रीय चैंपियनशिप के लिए अपनी मां गरिमा और छोटे भाई सौरीन के साथ नेपाल आई थीं और इसी दौरान देश में विनाशकारी भूकंप आया था।
गौरिका भूकंप की विभीषिका के दौरान अपने अनुभव साझा करती हैं। गौरिका ने कहा, वह काफी डरावना अनुभव था। हम काठमांडू में एक इमारत की पांचवीं मंजिल पर थे और भूकंप के समय भाग भी नहीं सकते थे। इसलिए हम 10 मिनट के लिए कमरे के बीच रखे एक टेबल के नीचे बैठ गए। वह नई इमारत थी, इसलिए अन्य इमारतों की तरह नहीं गिरी। उन्होंने कहा, ओलिंपिक में खेलना हर खिलाड़ी चाहत होती है लेकिन इस बारे में मैं आश्वस्त नहीं थी, क्योंकि उम्र काफी कम थी। जब मुझे एक बार पहले इस बारे में पता चला कि मैं ओलंपिक में भाग लूंगी, तो काफी हैरान थी। गौरिका के पिता पारस का मानना है कि उनकी बेटी सफलता की हकदार है, क्योंकि वह अपने लक्ष्य को पाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है।