अाेपिनियन पाेस्ट
पिछले कई सालों से दिल्ली के गाजीपुर और आसपास के इलाके के लिए बीमारी पैदा करने वाला डंपिंग यॉर्ड आखिरकार शुक्रवार को जानलेवा हो गया. शुक्रवार को बारिश ने कूड़े के पहाड़ में ऐसी गैस पैदा की कि उसका एक हिस्सा धमाके के साथ कोंडली नहर और उसके बगल की सड़क पर आ गिरा. हादसे के बाद कूड़े के चपेट में कई गाड़ियां आ गई हैं. हादसे में सात लोगों के प्रभावित होने की सूचना है.जिसमें से एक महिला और एक युवक की मौत हो गई है. बाकी पांच लोगों को जिंदा निकाल लिया गया है. घायलों को अस्पताल पहुंचाया जा रहा है। मौके पर एनडीआरएफ की टीम पहुंच चुकी है.
धमाका कितना तेज और शक्तिशाली था इसका अंदाजा आप सिर्फ इस बात से लगा सकते हैं कि कूड़े ने नहर के किनारे लगी जालीदार रेलिंग तोड़ डाली. यही नहीं सड़क पर जा रही जेसीबी, कार और तमाम बाइक और स्कूटी को नहर में गिरा दिया. हादसे में अब तक दो लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है. घायलों को पास के अस्पताल में भर्ती कराया गया है. आपको बता दें कि यह इलाका दिल्ली और गाजियाबाद का बॉर्डर है और सुबह-शाम भारी संख्या में लोग इस कूड़े के पहाड़ के किनारे से निकलते थे.
उत्तर भारत का सबसे बड़ा डंपिंग यॉर्ड
दिल्ली के गाजीपुर में कचरे का लैंडफिल साइट है जहां पर शहर के कचरे को इकट्ठा किया जाता है. यह कूड़े का ढेर उत्तर भारत का सबसे बड़ा डंपिंग यॉर्ड माना जाता है. इसे बंद करने की आवाज कई बार उठ चुकी है क्योंकि डंपिंग यॉर्ड अब कूड़े के पहाड़ में बदल चुका है. यह डंपिंग यॉर्ड 70 एकड़ इलाके में फैला है. 3500 मैट्रिक टन कूड़ा डंप होने की उम्मीद जताई जा रही है. यहां प्रतिदिन 600 से 650 ट्रक कूड़ा आता है. बताया जाता है कि लगातार कूड़ा आने से इस पहाड़ की ऊंचाई 50 मीटर से भी ज्यादा हो गई थी. जिस वजह से कई बार इसे बंद करने या कहीं और शिफ्ट करने की मांग उठ चुकी है.
फैलाता रहा है बीमारी
दिल्ली और गाजियाबाद में बढ़ते प्रदूषण का भी काफी हद तक जिम्मेदार इस कूड़े के पहाड़ को माना जाता रहा है. कूड़े का पहाड़ आसपास रहने वाले लोगों और बगल के रास्ते से गुजरने वाले मुसाफिरों के लिए काफी लंबे समय से बड़ी मुसीबत साबित हो रहा है. गाजीपुर का डंपिंग यार्ड बीमारी का सबब बनता दिखाई दे रहा है. यहां से निकलने वाली भारी बदबू और तमाम जहरीली गैसों के चलते लोगों को सांस लेने में परेशानी होती है. इस पहाड़ में कई जगह आग भी लगी रहती है जिस वजह से तमाम तरह की जहरीली गैसें भी वातावरण में धुएं के साथ फैलती रहती हैं.
जुलाई में ट्रिब्यूनल के चेयरमैन स्वतंत्र कुमार ने कहा था कि राजधानी में रोजाना 14,100 टन ठोस कचरा निकलता है, लेकिन इसके निस्तारण के लिए दिल्ली सरकार के पास ना तो कोई मूलभूत ढांचा है और न ही कोई तकनीकी ज्ञान. ट्रिब्यूनल ने दिल्ली सरकार से पूछा था कि उसने भलस्वा, गाजीपुर और ओखला में स्थित कूड़ा निस्तारण की साइट पर कचरे के पहाड़ को कम करने के लिए क्या कदम उठाए.