मैं एक टोटली मनी माइंडेड इंसान हूं। पैसा ही मेरा धर्म है। क्या गीता, जपुजी साहिब, बाइबिल आदि पढ़ने से मुझे पैसा कमाने के और आइडियाज मिल सकते हैं?
बड़े लोभी निकले तुम तो! यह जान लो कि पैसा लक्ष्मी है। पैसे को पूजो। मगर लक्ष्मी बगैर नारायण के आएगी नहीं तुम्हारे पास। नारायण को पकड़ोगे तो लक्ष्मी अपने आप आएगी। जीवन में हम लगातर कमी महसूस करते रहते हैं कि ये कमी है, वो कमी है। तो फिर उसी की बढ़ोतरी होती रहती है। वही जप हो जाएगा आपका कि मेरे पास पैसे की कमी है, पैसे की कमी है। तो फिर पूरी जिंदगीभर वह वैसा ही चलता चला जाता है। हमें यह कहना चाहिए और मानना चाहिए कि हमारे पास है और जितना चाहिए वह हमें मिल जाएगा। मन में धैर्य रखो। तुम स्वाभिमान से चलो, आत्मविश्वास से चलो। मैं कहता हूं कि तुम्हें कोई कमी नहीं आएगी। इस आत्मा को यह विश्वास होना चाहिए कि जो चाहिए वह मिल जाएगा। जितना चाहिए, जब चाहिए वह मिल जाएगा। क्योंकि हमको प्रेम करने वाला कोई तो है? यह विश्वास तो जगाना है हमें हमारे में। नहीं तो क्या जिंदगी है। जिस जिंदगी में कोई विश्वास ही नहीं है दो कौड़ी का है वह जीवन। सुबह उठो, खाओ-पियो, फिर सोओ और एक दिन मर जाओ… और क्या? कोई खुशी नहीं है, कोई मस्ती नहीं है, कोई प्यार नहीं है जीवन में।
ठीक है तुम्हें पैसा चाहिए। खूब पैसा तुम्हें मिल सकता है लेकिन अगर प्यार न मिले तो तृप्ति मिलेगी जीवन में। उसमें कोई खुशी मिल सकती है। तुम्हें भ्रम हो गया है कि तुम प्रीत को भी, रीत को भी और खुशी को भी पैसे से खरीद लोगे। इस भ्रम को पहले दिमाग से निकालना। प्यार पैसे से तुम नहीं खरीद सकते। पक्की बात। सुख, संतोष, खुशी नहीं खरीद सकते हो। आनंद नहीं खरीद सकते हो। अपनापन नहीं खरीद सकते हो। जब इतना जान लोगे तब…! अब देखो न कि जिनके पास पैसे हैं वो सब खुश हैं क्या, मस्त हैं क्या? और फिर जिनका इतना नाम हो गया है वो सब मस्त हैं क्या? जरा जाग के देखो तो सही चारों ओर। आप जानते हैं कि एक शिशु एक दिन में चार सौ बार मुस्कुराता है। एक युवक सत्रह बार। और एक प्रौढ़ व्यक्ति मुस्कुराता ही नहीं है। और जो ज्यादा पैसे पैसे करता रहता है, हाय हाय करता रहता है उसके चेहरे पर से तो मुस्कान गायब ही हो जाती है। भई वह जीवन क्या है जिसमें मुस्कान, प्यार और खुशी नहीं है। जरा सोचना आराम से बैठकर।
प्रस्तुति- अजय विद्युत