ओपिनियन पोस्ट
पश्चिम बंगाल के पूर्व गवर्नर और महात्मा गांधी के पोते गोपाल कृष्ण गांधी को कांग्रेस की अगुआई वाली विपक्षी पार्टियों ने उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए अपना कैंडिडेट बनाया है। कांग्रेस प्रेजिडेंट सोनिया गांधी की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई विपक्षी पार्टियों की बैठक में यह फैसला लिया गया। बाद में सोनिया ने ऐलान किया कि 18 पार्टियों ने गांधी को उपराष्ट्रपति कैंडिडेट बनाए जाने पर रजामंदी दी है। बता दें कि गोपाल गांधी का नाम विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति उम्मीदवार की दौड़ में भी सबसे आगे था। हालांकि, बीजेपी की ओर से रामनाथ कोविंद का नाम आगे बढ़ाए जाने के बाद विपक्ष को अपनी रणनीति बदलते हुए दलित उम्मीदवार मीरा कुमार को मैदान में उतारना पड़ा था।
मीटिंग से गांधी को फोन
कांग्रेस और विपक्ष की रणनीति इस बार इस मायने में भी अलग है कि उन्होंने उपराष्ट्रपति उम्मीदवार का ऐलान पहले कर दिया है। राष्ट्रपति उम्मीदवार की घोषणा के वक्त विपक्ष पर कैंडिडेट का नाम घोषित करने में देरी करने का आरोप लगा था। गांधी के नाम पर कांग्रेस ने पहले ही मन बना लिया था। मंगलवार को इस मुद्दे पर विपक्ष की संक्षिप्त सी बैठक के बाद सोनिया गांधी और टीएमसी लीडर डेरेक ओ ब्रायन ने गोपाल गांधी को फोन करके उन्हें कैंडिडेट बनाए जाने की जानकारी दी। सूत्रों के मुताबिक, गांधी ने कहा कि अगर सभी पार्टियां उनके नाम पर सहमत हैं तो वह कैंडिडेट बनने के लिए तैयार हैं। इसके बाद, नेताओं ने गांधी के नॉमिनेशन पेपर्स पर हस्ताक्षर भी किए।
जेडीयू भी मीटिंग में शामिल
विपक्षी मीटिंग की एक खास बात यह भी रही कि इसमें जेडीयू भी शामिल हुआ। राष्ट्रपति उम्मीदवार पर जेडीयू ने कोविंद को समर्थन देकर अलग राह चुनी है। पार्टी की ओर से शरद यादव मीटिंग में मौजूद रहे। बैठक में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, सीपीएम लीडर सीताराम येचुरी, नैशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला, एसपी नेता नरेश अग्रवाल, बीएसपी लीडर सतीश मिश्रा भी मौजूद थे। बता दें कि अगर उपराष्ट्रपति उम्मीदवार पर सत्ता पक्ष और विपक्ष में एकराय नहीं बनी तो 5 अगस्त को चुनाव होंगे। वोटों की गिनती उसी शाम होगी।
केंद्र के खिलाफ बनी रणनीति
बैठक की शुरुआत में नेताओं ने अमरनाथ यात्रियों पर हुए आतंकी हमले की निंदा की और मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देते हुए एक मिनट का मौन रखा। मीटिंग में किसानों की आत्महत्या, जीएसटी के असर, चीन के साथ जारी तनाव आदि मुद्दों पर चर्चा हुई। इसके अलावा, विपक्षी दलों की राय थी कि मोदी सरकार केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल करके राजनीतिक दुश्मनी निकाल रही है। हाल ही में लालू परिवार पर ईडी और सीबीआई के छापों, नैशनल हेरल्ड केस आदि का उदाहरण दिया गया। विपक्षी पार्टियों ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार राज्यों के गवर्नरों के जरिए संघीय ढांचे को नुकसान पहुंचा रही है। पार्टियों ने फैसला किया कि इन विभिन्न मुद्दों पर केंद्र सरकार को संसद से लेकर सड़क और यहां तक कि सोशल मीडिया पर भी घेरा जाएगा।