मैदान में दिग्गज, वोटर खामोश

राज्य ही नहीं, देश की नजर जिन प्रमुख लोकसभा क्षेत्रों पर है, उनमें पटना साहिब भी शामिल है, जहां दो दिग्गजों के बीच सीधी टक्कर है. भाजपा और कांग्रेस के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है. एनडीए और महागठबंधन के खेमे में चाहे जो माहौल हो, लेकिन इस भीषण गर्मी में पटना साहिब के 16 लाख 41 हजार 976 वोटर ‘खामोशी’ के साथ मतदान के दिन का इंतजार कर रहे हैं, जब उन्हें प्रसिद्ध सिने अभिनेता एवं कांग्रेस के उम्मीदवार शत्रुघ्न सिन्हा और एनडीए के उम्मीदवार एवं केंद्रीय विधि मंत्री रवि शंकर प्रसाद की किस्मत का फैसला करना है. शत्रुघ्न सिन्हा साल 2009 से लगातार पटना साहिब के सांसद हैं. हाल में वह कांग्रेस में शामिल हुए हैं. पिछले कुछ समय से शत्रुघ्न सिन्हा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मुखर विरोध करके चर्चा में थे. राजद प्रमुख लालू यादव एवं महागठबंधन में शामिल सभी दलों ने उनका समर्थन किया है.

पहले कहा जा रहा था कि वह पटना साहिब से राजद के उम्मीदवार होंगे, लेकिन महागठबंधन में यह सीट कांग्रेस के हिस्से में चली गई, तब पेंच फंसा कि शत्रुघन सिन्हा को टिकट कैसे मिले. इस पर लालू यादव ने शत्रुघ्न सिन्हा को कांग्रेस का दामन थामने की सलाह दी. बताते हैं कि कांग्रेस ने लालू यादव के कहने पर ही शत्रुघ्न सिन्हा को अपना उम्मीदवार बनाया है. परिसीमन के बाद 2009 में गठित पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र से भाजपा ने शत्रुघ्न सिन्हा को अपना उम्मीदवार बनाया था, तो कांग्रेस ने फिल्म अभिनेता शेखर सुमन को. शत्रुघ्न सिन्हा को 3,16,549 वोट मिले और राजद के विजय कुमार को 1,49779. शेखर सुमन तीसरे स्थान पर रहे. 2014 में दोबारा भाजपा के उम्मीदवार बने शत्रुघ्न सिन्हा ने कांग्रेस के उम्मीदवार एवं भोजपुरी फिल्मों के अभिनेता कुणाल सिंह को हराया. तब शत्रुघ्न सिन्हा को 4,85,905 और कुणाल सिंह को 2,20,100 वोट मिले थे.

पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं, बख्तियारपुर, फतुहा, पटना साहिब, कुम्हरार, बांकीपुर एवं दीघा. इनमें से पांच पर भाजपा का कब्जा है और फतुहा पर राजद का. जातीय समीकरण के लिहाज से देखें, तो सबसे अधिक वोटर यहां कायस्थ जाति के हैं. दूसरे स्थान पर यादव, तीसरे स्थान पर वैश्य एवं चौथे स्थान पर कुशवाहा वोटर हैं. भाजपा पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र को अपना मजबूत गढ़ मानती है. अब देखना यह है कि शत्रुघ्न सिन्हा द्वारा पाला बदलना भाजपा के लिए अहितकर साबित होगा या हितकर. पटना साहिब सीट के लिए आगामी 19 मई को मतदान होना है. भाजपा की ओर से पहले राज्यसभा सदस्य आरके सिन्हा एवं उनके पुत्र ऋ तुराज के नाम की चर्चा आगे बढ़ी, लेकिन बाद में पार्टी ने अपने तेजतर्रार नेता रवि शंकर प्रसाद को दांव पर लगाना उचित समझा. रवि शंकर प्रसाद का यह पहला चुनाव है, लेकिन वह क्षेत्र के चप्पे-चप्पे से वाकिफ हैं और पिछले कई माह से लगातार दौरे भी कर रहे थे.  अब वोटर क्या गुल खिलाने की मंशा पाले बैठे हैं, यह तो ईवीएम खुलने के बाद ही पता चलेगा.

One thought on “मैदान में दिग्गज, वोटर खामोश

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