आम बजट से पहले देश के सबसे बड़े अप्रत्यक्ष कर सुधार की राह से रोड़ा हटने से केंद्र सरकार राहत महसूस कर रही है। सोमवार को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पर केंद्र और राज्यों के बीच विवादित मुद्दों पर सहमति बनने से अब इसके इसी साल लागू होने की उम्मीद बढ़ गई है। माना जा रहा है कि अब जीएसटी पहली जुलाई से लागू होगी। पहले इसके लिए पहली अप्रैल की तारीख तय की गई थी।
वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में सोमवार को हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में दोहरे नियंत्रण के मुद्दे पर राज्यों से सहमति बन गई। इस संबंध में केंद्र राज्यों की मांगें मानने को तैयार हो गया। इसके मुताबिक जीएसटी लागू होने पर सालाना 1.5 करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वाली इकाइयों में से 90 प्रतिशत राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में और शेष 10 प्रतिशत केंद्र के अधिकार क्षेत्र में होंगी। यानी इनके टैक्स का आकलन और टैक्स वसूली का अधिकार उनके पास होगा। वहीं 1.5 करोड़ रुपये से अधिक सालाना कारोबार वाले कारोबारियों में से 50 प्रतिशत केंद्र और 50 प्रतिशत राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आएंगे। एक कारोबारी इकाई या व्यक्ति के टैक्स का आकलन केंद्र या राज्य दोनों में से एक का ही प्राधिकरण करेगा। राज्यों की मांग थी कि जीएसटी के करदाताओं का वितरण सालाना टर्नओवर के आधार पर किया जाए। जेटली ने कहा कि अब जीएसटी के एक अप्रैल के बजाय एक जुलाई से लागू होने की वास्तविक संभावना नजर आती है।
नियंत्रण छोड़ने के अलावा केंद्र तटवर्ती राज्यों की मांग पर भी सहमत हुआ। बैठक के बाद जेटली ने कहा कि कानूनी तौर पर तटीय क्षेत्रों में समुद्र में 12 नॉटिकल मील दूर तक आर्थिक गतिविधियों पर टैक्स लगाने का अधिकार केंद्र को है लेकिन जीएसटी के संबंध में राज्य भी टैक्स कलेक्शन कर सकेंगे। हालांकि इस संबंध में संवैधानिक अधिकार केंद्र के पास ही होगा।
जेटली ने यह भी कहा कि इंटीग्रेटेड जीएसटी में एक राज्य से दूसरे राज्य में वस्तुओं और सेवाओं की खरीद बिक्री पर टैक्स लगाने और वसूलने की शक्तियां केंद्र के पास होंगी लेकिन कानून में विशेष प्रावधानों के जरिए राज्यों को भी इस संबंध में दोहरी शक्तियां दी जाएंगी। उन्होंने कहा कि जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक 18 फरवरी को होगी। इस बैठक में आइजीएसटी सहित एसजीएसटी और सीजीएसटी विधेयक के मसौदे को मंजूरी दी जाएगी। आईजीएसटी वह टैक्स है जिसे केंद्र वस्तुओं एवं सेवाओं की अंतर-राज्यीय आवाजाही पर लगाएगा। जेटली ने कहा कि एक बार मंजूरी मिलने के बाद परिषद विभिन्न टैक्स स्लैब में वस्तुओं और सेवाओं पर टैक्स लगाने के बारे में फैसला करेगी।
पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने बैठक में इस प्रस्ताव पर असहमति जताई कि सालाना डेढ़ करोड़ रुपये तक के कारोबार वाले करदाताओं में से 90 प्रतिशत पर राज्य तथा 10 प्रतिशत पर केंद्र का अधिकार हो। उन्होंने डेढ़ करोड़ रुपये से कम के सालाना कारोबार वाले करदाताओं पर राज्यों का पूर्ण नियंत्रण की मांग की।
जीएसटी की दर को लेकर पहले ही केंद्र व राज्यों में सहमति बन चुकी है। जीएसटी उत्पाद शुल्क, बिक्री कर, सेवा कर तथा वैट जैसे केंद्रीय और स्थानीय टैक्सों को समाहित करेगा। जीएसटी के प्रशासन पर गतिरोध से जीएसटी परिषद में नवंबर से आम सहमति नहीं बन पा रही थी। इससे पहले लगातार चार बैठकों में गतिरोध खत्म नहीं हो पाया क्योंकि केंद्र करदाताओं के विभाजन के पक्ष में नहीं था। उसका तर्क था कि राज्यों के पास सेवा कर जैसे शुल्कों के प्रशासन के संबंध में विशेषज्ञता नहीं है।