चंडीगढ़। एक कहावत है, सब धान बाइस पसेरी और दूसरी कहावत है टका सेर भांजी टका सेर खाजा। कहने का मतलब यह कि साधारण और कीमती वस्तुओं का एक ही भाव लगाना। कुछ ऐसी ही शंका, आशंका जीएसटी को लेकर जताई जा रही है। देश के इस नए कराधान कानून पर मंथन हो रहा है और व्यापारी अपनी शंकाओं का समाधान ढूंढने में लगे हैं। चंडीगढ़ में तो पंजाब सरकार के टैक्स अफसरों की ट्रेनिंग भी शुरू हो गई है और उन्हें जीएसटी के नियम बताए जा रहे हैं। जीएसटी की रिटर्न कैसे भरनी है, इसकी जानकारी के लिए सरकार सेमिनार समारोह आयोजित करेगी। पंजाब, सेंट्रल एक्साइज सर्विस टैक्स के अफसरों के विभिन्न आफिस अब मर्ज होंगे, जिसकी व्यवस्था सरकार कर रही है। वैट बंद होने पर इसके चालू केसों वैट रिफंड के केसों को निपटाने की भी व्यवस्था करनी होगी।
व्यापारियों में जो ऊहापोह की स्थिति है, उसमें कई बातें गौर करने लायक हैं। मसलन, लोहे जैसी बेस मेटल पर टैक्स पौने तीन फीसदी है। कहीं जीएसटी में यह ज्यादा न हो जाए। वैट एक्ट में भी नियम सरल थे। बाद में राज्यों ने मनमर्जी से इसके ऊपर सैस लगा दिए। कहीं जीएसटी के मामले में भी ऐसा न हो जाए। जालंधर के स्पोर्ट्स आइटम पर अभी 6 फीसदी टैक्स है, जीएसटी में 18 फीसदी टैक्स होगा तो सामान भी महंगा होगा। उपभोक्ता वस्तुओं में कई चीजों पर नाममात्र का टैक्स है। कहीं जीएसटी के उच्च कर की वजह से ये महंगाई में न घिर जाएं। राज्य सरकार के टैक्स अफसरों के जरिये जीएसटी लागू कराया जाना है। उनका दखल बढ़ तो नहीं जाएगा ? हालांकि जीएसटी सीधे केंद्र के पास है। वहां से राज्यों को रेवेन्यू का शेयर मिलना है। बिजली जीएसटी से बाहर है। राज्य सरकार जो सैस वैट बंद होने पर हटाएगी, कहीं उन्हें बिजली-पेट्रोल पर न लागू कर दे।
इसके बावजूद व्यापारी जीएसटी का स्वागत करते हैं लेकिन उनका कहना है कि इससे टैक्स भुगतान करने की प्रक्रिया लंबी हो जाएगी क्योंकि शहर के कई व्यापारी और उद्योगपति ऐसे हैं जो कंप्यूटर चलाने के अभ्यस्त नहीं हैं। ऑनलाइन बिल को डाउनलोड करने और जीएसटी का भुगतान करने के लिए बुनियादी ढांचा इतना मजबूत नहीं है। जीएसटी के जिन नियमों और प्रक्रियाओं को सरकार अंतिम रूप देना चाहती है, वे आसान होने चाहिए। कुछ व्यापारियों और उद्योगपतियों का यह भी मानना है कि इससे कुछ ऐसी चीजें भी महंगी हो जाएंगी जिन पर अब तक कोई टैक्स नहीं लग रहा था लेकिन अब उन पर भी जीएसटी लगेगा। जीएसटी के लागू होने से सबसे ज्यादा दिक्कत उन व्यापारियों को भी है जो कच्चे पर ही काम करते हैं। लेकिन इसका फायदा यह है कि अब हर राज्य में एक बराबार टैक्स लगेगा जबकि इस समय चंडीगढ़ में ऐसा है कि कई चीजों पर पंजाब व हरियाणा में टैक्स फ्री है लेकिन शहर में इन पर लग रहा है। हाल ही में राज्यसभा से पास हुए जीएसटी के बिल पर शहर के व्यापारियों और उद्योगपतियों से जब उनकी राय ली गई।
व्यापार मंडल के चेयरमैन चरणजीव सिंह का कहना है कि जीएसटी का फायदा होगा कि पूरे देश में एक बराबर टैक्स लागू होंगे। उनका कहना है कि अभी सरकार को जीएसटी के नियम तय करने हैं। वह लोगों की पहुंच में होने चाहिए। उनका कहना है कि जीएसटी का रेट भी जायज होना चाहिए। जीएसटी से व्यापारी के लिए लिखने पढ़ने का काम काफी बढ़ जाएगा। यह परेशानी जरूर व्यापारी और उद्योगपति के लिए बढ़ जाएगी।