अजय विद्युत
नोटबंदी के बाद कैशलेस लेनदेन के बढ़ते प्रचलन से भारत पर दुश्मन देशों के साइबर हैकरों की नजरें तेज हो गई हैं। शुक्रवार को आई खबर के मुताबिक आईसीआईसीआई और भारतीय स्टेट बैंक समेत भारत की 26 बैंकों को चकमा देते हुए सायबर क्रिमिनल उनके ऑनलाइन पेमेंट करने वाले ग्राहकों का डाटा चुरा रहे हैं। इससे कुछ ही दिन पहले देश के कई बैंकों में लोगों के एकाउंट से पैसे निकाल लेने का मामला आया था जिसके बाद बैंकों ने कई नए निर्देश जारी किए थे जिनमें एटीएम पिन तत्काल बदलने और अधिक सुरक्षा वाले नए कार्ड बैंक से लेने को कहा गया था।
उधर नकदी की बहुतायत को कालाधन का सबसे बड़ा स्रोत बताते हुए प्रधानमंत्री ने एक बार फिर कैशलेस लेनदेन बढ़ाने का आह्वान किया है। एक वेबसाइट के लिए लिखे लेख के साथ क्रेडिट कार्ड जैसे नकदीविहीन विकल्पों के चित्र पोस्ट करते हुए पीएम ने कहा, ‘प्रौद्योगिकी हमारे जीवन में गति और सुविधा ले कर आई है। मुझे पूरा विश्वास है कि आपमें से ज्यादातर लोग कार्ड और ई-वॉलेट का नियमित उपयोग कर रहे हैं।’
हालांकि ताजा साइबर हमले में बैंकों की साइट के जरिए ऑनलाइन पेमेंट करने वाले ग्राहकों को इस बार पैसे खोने जैसा कोई सीधा नुकसान नहीं पहुंचा है लेकिन उनका पूरा डाटा चोरी कर लिया गया है। इसमें गोपनीय पिन नंबर से लेकर उनको जारी ओटीपी तक शामिल है।
अमेरिका की साइबर सिक्योरिटी कंपनी फायरआई ने साइबर अपराधियों द्वारा 26 भारतीय बैंकों के कस्टमर्स की अहम सूचनाएं हैक करने की जानकारी भारत की इमरजेंसी कम्प्यूटर रिस्पॉन्स टीम को दे दी है जो देश के आईटी मंत्रालय के तहत काम करती है। हैकरों ने इस बार एक ऐसा डोमेन रजिस्टर कराया जिसके तहत चलने वाली वेबसाइट्स एक ऑनलाइन पेमेंट गेटवे हैं, जबकि वास्तव में ये फिशिंग वेबसाइट हैं। यही वेबसाइट्स भारत के 26 बैंकों के कस्टमर्स की इंफॉर्मेशन चुराने में शामिल हैं।
ये फिशिंग वेबसाइट एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, आईडीबीआई बैंक, एसबीआई सहित 26 बैंकों का फेक लॉग इन शो करती हैं। आप समझते हैं कि आप अपने बैंक की साइट पर हैं जबकि आप हैकरों के मकड़जाल में फंस चुके होते हैं। ग्राहकों से अकाउंट नंबर, मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी, वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) और अन्य जानकारियों की मांग की जाती है। यह सब इतने स्वाभाविक ढंग से किया जाता है कि आपको इसके फेक होने का शक जरा भी नहीं होता।
हालांकि प्रधानमंत्री ने ई वॉलेट की बात काफी सोच समझकर की है क्योंकि इसके जरिए आप हैकरों के हमले से सुरक्षित रहते हैं। केवल एक बार आप अपने एकाउंट से वॉलेट में पैसा डालते हैं। फिर सारा लेनदेन चाहे वह टैक्सी का किराया हो या फर्नीचर की कीमत आप वॉलेट के माध्यम से ही करते हैं।
मालवेयर
मालवेय के इस्तेमाल से ही हैकर आपकी सुरक्षा में सेंध लगाते हैं। यह एक प्रकार का सॉफ्टवेयर प्रोग्राम है जिसे हैकर्स कंप्यूटर से पर्सनल डाटा चोरी करने के लिए डिजाइन करते हैं। मालवेयर आपकी निजी फाइलों तक पहुंचकर उन्हें दूसरी किसी डिवाइस में ट्रांसफर कर सकता है। इसके जरिए हैकर्स आपकी सूचनाएं, फोटो, वीडियो, बैंक या अकाउंट से जुड़ी जानकारी चुरा सकते हैं।
आप क्या कर सकते हैं
अगर बैंक की साइट काफी स्लो काम कर रही है तो कृपया उस समय पेमेंट करने से बचें। हम अक्सर यह मान लेते है कि हमारा डाटा या वाईफाई कनेक्शन धीमा होने से ऐसा हो रहा है लेकिन वह साइबर हमलावरों की करतूत के कारण होता है।
फेक साइट आपकी सूचनाओं को यहां से वहां पहुंचाने में प्राय: सामान्य से अधिक समय लगाती हैं। इसलिए एक जानकारी के बाद दूसरी जानकारी मांगने का अंतराल बढ़ जाता है।
अपराधी पैसे के पीछे भाग रहे हैं और जितने ज्यादा लोग ऑनलाइन पेमेंट करते हैं उतनी ज्यादा रिस्क बढ़ रही है। इसलिए आप ऑनलाइन पेमेंट करते हुए सतर्क रहें। बैंक ट्रांसफर के जरिए खरीदारी न करें। क्रेडिट कार्ड अपेक्षाकृत सुरक्षित विकल्प है। ई वॉलेट से भुगतान सबसे ठीक रहता है।
अगर आप बैंक के डेबिट कार्ड से भुगतान करते हैं तो हैकिंग की संभावना को कम करने के लिए आपको सिर्फ एक कार्ड का उपयोग करना चाहिए। पब्लिक वाई-फाई के इस्तेमाल पर हैकिंग का खतरा ज्यादा रहता है। ऑनलाइन शॉपिंग या पेमेंट करते समय साइबर कैफे के इस्तेमाल से भी बचें।