सुनील वर्मा
आमतौर पर हमें शायद भ्रम होता है कि दिल्ली-एनसीआर या देश के शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोग देश के दूसरे हिस्सों में रहने वाले लोगों से कहीं ज्यादा खुले और आजाद विचारों के होते हैं। लेकिन देश की राजधानी दिल्ली के ख्याला इलाके में एक हिंदू युवक अंकित सक्सेना को मुस्लिम युवती के परिजनों ने सिर्फ इसलिए दिनदहाड़े सरेराह गला रेतकर मार दिया क्योंकि उनकी बेटी विधर्मी युवक से प्यार करती थी और वे शादी करना चाहते थे। क्या एक बेगुनाह युवक की हत्या युवती के परिवार ने महज अपना सम्मान बचाने के लिए की थी।
जिस वक्त दिल्ली शहर में सियासत का अखाड़ा बनी ये घटना हुई, ठीक उससे एक दिन पहले दिल्ली से सटे मिलेनियम सिटी गुरुग्राम के शहरी गांव में भी आॅनर किलिंग का एक मामला सामने आया था। जहां बहन के प्रेम विवाह से नाराज भाई ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर पहले बहन के सिर में गोली मार दी जिससे वो कोमा में चली गई। उसके बाद आरोपियों ने बहन के पति का अपहरण कर लिया और उसकी गला दबाकर हत्या कर दी। दरअसल, ये दोनों ही हत्याएं सभ्य समाज के मुंह पर तमाचा हैं और संकीर्ण मान्यताओं पर सवाल खड़े करती हैं।
परिवार की इज्जत और शान के नाम पर बहन-बेटियों अथवा प्रेमी जोड़ों की नृशंस हत्या करने वाले वर्जनाओं की जंजीरों में जकड़े परिवार दिल्ली या एनसीआर में ही नहीं हैं। देश के हर शहर और गली मुहल्ले में ऐसे परिवार बसे हैं। सभ्य समाज के प्रगतिशील होने के बावजूद भारतीय पुरातन संस्कृति में मान्यता रखने वाले ज्यादातर परिवार आज भी अपने धर्म, अपनी जाति, अपने गोत्र और अपनी संतान के परिजनों की सहमति से विवाह करने की सोच रखते हैं। लेकिन आज की युवा पीढ़ी जिस तरह वर्जनाओं और सामाजिक मान्यताओं को तोड़कर स्वछन्द रिश्तों की डगर पर चल पड़ी है। उसके चलते परिवारों में पैदा होने वाले अहम ने आॅनर किलिंग (सम्मान के लिए हत्या) के अपराध की ये नई परंपरा शुरू की है। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि आए दिन होने वाली आॅनर किलिंग की ये घटनाएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं।
नफरत के बीच प्रेमियों की आस
अपने ही प्रियजनों के हाथों बलि चढ़ते प्रेमियों को इस नफरत के बीच अगर उम्मीद की एक किरण दिखती है तो वो है ‘लव कमांडो’। दिल्ली के पहाड़गंज की तंग गली में चल रही ये संस्था उन युवाओं के लिए मददगार बन रही है जो किसी से प्यार करते हैं और उन्हें डर है कि उनके परिवार वाले इस गुनाह पर उन्हें कोई सजा दे सकते हैं। ‘लव कमांडो’ के कमांडिंग आॅफिसर हैं संजय सचदेव। इस अभियान के प्रणेता संजय सचदेव की मानें तो उनका मकसद है कि समाज में प्यार बना रहे। और यही वजह है कि प्यार उनके लिए प्राथमिकता है और धर्म, जाति और संप्रदाय से ऊपर है।
देश भर में झूठी शान के लिए होने वाली हत्याओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए स्वयंसेवकों के इस समूह लव कमांडो ने किसी से प्यार करने वाले और शादी करने के इच्छुक लोगों की सुरक्षा का बीड़ा उठाया हुआ है। इस समूह में बहुत से वकील, पत्रकार, प्राध्यापक, अभिनेता, छात्र और मानवाधिकार कार्यकर्ता शामिल हैं। यह समूह एक टेलीफोन हेल्पलाइन से परिवार से खतरे का सामना कर रहे जोड़ों को परामर्श और सहायता उपलब्ध कराता है। ये कमांडो न सिर्फ परिवार से प्रेमी जोड़ों की रक्षा करते हैं, बल्कि इन्हें आॅनर किलिंग से भी बचाते हैं। अगर कोई नाबालिग इनके पास मदद के लिए आता है तो ये लोग उन्हें समझाते भी हैं और बालिग होने तक इंतजार करने की सलाह भी देते हैं। ये लोग प्रेमी जोड़ों को सुरक्षित ठिकाना उपलब्ध कराने के साथ हेल्पलाइन नंबर और वेबसाइट के जरिये इन समस्याओं में उलझे लोगों की मदद करते हैं। लव कमांडो की अनूठी मानवीय उपलब्धियों पर कई विदेशी संस्थाएं डॉक्यूमेंट्री फिल्में बना चुकी हैं। अभिनेता आमिर खान अपने कार्यक्रम सत्यमेव जयते में इसके संचालक संजय सचदेव के प्रयासों की सराहना कर चुके हैं।
इस संस्था के अध्यक्ष संजय सचदेव लव कमांडो के अस्तित्व में आने की कहानी बयां करते हुए बताते हैं-‘बात साल 2001 की है। फरवरी के दूसरे हफ्ते में वैलंटाइंस पीस कमांडो संगठन बना। इसके जरिये प्रेमी जोड़ों को सुरक्षा दी जाती थी। शुरुआती दौर में ज्यादा रेस्पॉन्स नहीं मिला। 2006-07 तक ऐसे ही चलता रहा। जब हम प्यार करने वालों को प्रोटेक्ट करते या पुलिस से उनके लिए मदद मांगते तो वह हमें परेशान करती।’ संजय सचदेव बताते हैं-‘साल 2010 में हमारे एक रिश्तेदार के लड़के को झूठे रेप केस में फंसाया गया। इसके बाद हमने लड़की से बात की। तब उस लड़की ने बताया कि मेरे पापा मुझ पर प्रेशर बना कर ऐसा करवा रहे हैं। जबकि हम दोनों रिलेशनशिप में हैं। मैंने अदालत का सहारा लिया और इसके बाद कोर्ट ने प्रेमी को जमानत दे दी। कोर्ट से बाहर निकलने पर मेरे एक दोस्त ने कहा कि ऐसे लोगों को बचाने, पनाह देने और कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए कुछ और बेहतर किया जाना चाहिए। उसके बाद हमने दो हेल्पलाइन नंबर जारी किए।’ संस्था के शुरुआती दौर से जुड़े सदस्य और संस्था के कोआर्डिनेटर हर्ष मल्होत्रा बताते हैं कि बाद में संस्था का नाम पीस कमांडो से बदलकर ‘लव कमांडो’ रख दिया गया।
प्रेम विवाह करने वाले प्रेमी युगलों को कानून को ठेंगा दिखाकर मौत की सजा सुनाने वाली खाप पंचायतों के खौफ के बीच लव कमांडो संस्था पिछले 8 साल में अब तक हजारों प्रेमी जोड़ों को मिलाने का काम कर चुकी है। किसी भी जाति, किसी भी धर्म के बालिग प्रेमी जोड़ों ने जब भी लव कमांड़ो से मदद मांगी इस ग्रुप के देशभर में फैले सैकड़ों वॉलेंटियर ने उनकी मदद के लिए हाथ बढ़ाया। संजय सचदेव बताते हैं- ‘किसी विवाद की स्थिति से बचने के लिए हमने हमेशा इस बात पर जोर दिया कि प्रेमी जोड़े बालिग हों, इसके बाद इन सबकी हमने गुप्त शादी भी कराई। जरूरत पड़ने पर अदालती संरक्षण भी दिलाया और रहने के लिए पनाह भी दी।’ संजय सचदेव कहते हैं-‘इस ग्रुप की स्थापना हमने ‘‘प्यार कोई पाप नहीं’’ को आधार बनाकर की है। उनका मानना है कि जब 18 साल का लड़का देश का प्रधानमंत्री चुनने लायक हो जाता है, तो उसे अपना जीवन साथी चुनने के लायक क्यों नहीं समझा जाता?
इस ग्रुप की शुरुआत के समय इसमें सिर्फ 200 लोग थे, लेकिन आज देशभर के लाखों लोग इस मुहिम का हिस्सा बन चुके हैं। अकेले दिल्ली में लव कमांडो ग्रुप के सात शेल्टर होम हैं जहां प्रेमियों को उचित सुरक्षा के साथ नि:शुल्क रहने और खाने की सुविधा प्रदान की जाती है। इस ग्रुप को देश के कोने-कोने से रोजाना दर्जनों कॉल आती हैं और वे उनकी मदद करने के लिए आगे आते हैं। प्रेमी जोड़ों के लिए मसीहा बन कर उभरे यह लव कमांडो उन्हें ना सिर्फ खाना और आवास देते हैं बल्कि उन्हें कानूनी सलाह के साथ-साथ परिवार को समझाने-बुझाने का भी काम करते हैं।
सचदेव कहते हैं, ‘हम जिन युवाओं की हम मदद करते हैं, उनमें बहुतों के खिलाफ पुलिस मामले भी दर्ज होते हैं और ऐसे कई समूह हैं, जो नहीं चाहते कि हम अपनी गतिविधियां जारी रखें। ऐसे तमाम लोग हमें अपना दुश्मन मानते हैं।’ संजय बताते है-‘कई बार स्थितियां ऐसी होती हैं कि मजबूरन हमें अपने शेल्टर होम स्थानांतरित करने पड़ते हैं।’ नॉर्थ ईस्ट को छोड़ दें तो देश का ऐसा कोई भी स्टेट नहीं जहां लव कमांडो के हौसले ने प्यार करने वालों को मिलाया न हो। इनमें कई प्रेमी जोड़ों ने विधर्मी और सजातीय और एक ही गोत्र में भी शादियां की हैं।
संस्था से जुड़े वालंटियर कहते हैं कि सबसे ज्यादा समस्या तब होती है, जब कोई लड़का या लड़की हमसे संपर्क करते हैं और उसके बाद पैरंट्स अक्सर लड़कियों को बंधक बना लेते हैं। उनका मोबाइल बंद कर देते हैं। परिजनों की शिकायत पर पुलिस हमें कागजों में उलझाने की कोशिश करती है। पुलिस का रवैया प्यार करने वालों को लेकर हमेशा निराशाजनक होता है। लेकिन प्रेमी जोड़ों को मदद और उन्हें मिलाने की कवायद करने में लाखों रुपये खर्च करने वाली इस संस्था के पदाधिकारी इस बात से खुश हैं कि बिना राजनीतिक मकसद के इस काम में दिल्ली से लेकर देश के कई बड़े वकील और संस्थाएं उनकी मदद करती हैं। कई विदेशी पत्रकार मिरियम लियांज, ब्योन बुर्की, शादी डॉट कॉम और कई डॉक्यूमेंट्री बनाने वाली संस्थाएं लव कमांडो को उनके काम में मदद करते हैं।
झांसी का हाई प्रोफाइल प्रेम प्रसंग भी लव कमांडो की शरण में
अब गुरसराय का हाईप्रोफाइल प्रेम प्रसंग भी लव कमांडो की शरण में पहुंच गया है। एक प्रेमी युवक ने लव कमांडो को भेजे पत्र में बताया है कि उससे प्रेम और शादी की चाह रखने वाली एक लड़की के परिजन उसे काफी दिनों से घर में कैद किए हुए हैं। यहां तक कि उसकी पढ़ाई तक बंद करा दी है। पत्र में लड़के ने बताया कि लड़की के परिजनों ने उसके ऊपर झांसी के गुरसराय थाने में एक झूठा मुकदमा भी लिखवाया है, जिसकी जांच चल रही है। लड़की को परिजन लगातार उसके खिलाफ भड़का रहे हैं और गुमराह कर रहे हैं, ताकि किसी तरह से लड़की लड़के के खिलाफ झूठा बयान दे दे। लव कमांडो ने पत्र पर एक्शन लेते हुए इसे कानूनी तरीके से सुलझाने के लिए कदम उठाया है और सुप्रीम कोर्ट से न्याय दिलाने की पहल कर दी है। दरअसल, झांसी का ये हाई प्रोफाइल प्रेम प्रसंग इन दिनों सुर्खियों में है क्योंकि प्रेमी युवक जहां एक कंस्ट्रक्शन कंपनी का मालिक है, तो लड़की नगर के एक चर्चित व्यापारी की पुत्री है। लव कमांडो के प्यार का पहरेदार बनकर आने से प्रेमी युवक को उम्मीद बंधी है।
लव कमांडो क्यों जरूरी
आम तौर पर भारत के छोटे शहरों और गांवों में इज्जत के नाम पर बेगुनाहों की हत्या कर दी जाती है। लेकिन हाल के दिनों में मीडिया इस बारे में ज्यादा रिपोर्टिंग करने लगा है। भारत के कई क्षेत्रों में आज भी अन्य जाति से विवाह करना प्रेमी युगलों के लिए टेढ़ी खीर ही है। पारिवारिक सदस्यों के साथ-साथ कुछ खाप और पंचायतों ने भी अन्य जाति से प्यार करने वाले लोगों की जान लेने जैसे सख्त कानून बना रखे हैं। यही नहीं, संसद ने भी माना है कि आॅनर किलिंग की घटनाएं बढ़ रही हैं। दो साल पहले संसद एनसीआरबी द्वारा उपलब्ध कराए गए एक आंकड़े पर नजर डालें तो 2015 में आॅनर किलिंग के मामले 2014 में 796 फीसदी बढ़ गए। एक तरफ 2014 में आॅनर किलिंग के लिए 28 हत्याएं की गर्इं तो 2015 में ये आंकड़ा 251 तक पहुंच गया। साफ है कि आॅनर किलिंग के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। लेकिन देश के दूर दराज इलाकों में हत्या की ऐसी बहुत सी घटनाएं हुई हैं, जिनके मामले दर्ज ही नहीं हुए। 2015 में अकेले उत्तर प्रदेश में ही 131 आॅनर किलिंग यानी इज्जत के लिए हत्याएं हुर्इं। गुजरात में 21 व मध्य प्रदेश में आॅनर किलिंग की 14 घटनाएं हुई हैं।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भी एक स्वंयसेवी संस्था शक्ति वाहिनी की याचिका पर स्वयंभू खाप पंचायतों और प्यार पर बंदिश लगाने वाले अभिभावकों को कड़ी फटकार लगाते हुए निर्देश दिया कि दो बालिग लड़के-लड़की की शादी के फैसले में कोई भी दखल नहीं दे सकता। सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने साफ कहा कि ऐसे मामलों में जोड़ों की सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस पर होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि कोई शादी कानूनी तौर पर वैध है या नहीं, इसका फैसला अदालतें करेंगी न कि परिवार और खाप पंचायतें। संजय सचदेव सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर खुशी जताने के साथ इस पर अमल की संभावनाओं पर निराशा से कहते हैं- ‘सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला तभी कारगर साबित होगा जब समाज अपनी सोच बदलेगा।’
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