नई दिल्ली ( विशेष संवाददाता )। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संयुक्त महासचिव दत्तात्रेय होसाबले ने समलैंगिकता पर कल दिए अपने बयान को आज स्पष्ट करते हुए कहा कि समलैंगिकता अपराध नहीं है लेकिन इसे मान्यता नहीं दी जानी चाहिए।
होसाबले ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर कहा कि समलैंगिकों को सजा देने की जरुरत नहीं है लेकिन यह मानसिक विकृति का मामला है। समलैंगिक शादियों को मान्यता नहीं दी जानी चाहिए। इस पर रोक लगानी चाहिए।
होसाबले ने कल कहा था कि आरएसएस को एक सार्वजनिक मंच पर समलैंगिकता पर विचार क्यों व्यक्त करने चाहिए। हमारे विचार में इससे अगर अन्य लोगों का जीवन प्रभावित नहीं होता है तो समलैंगिकता के लिए सजा नहीं दी जानी चाहिए। समलैंगिक होना लोगों का निजी मसला है। संघ का इस पर कोई विचार नहीं है।
हालांकि होसाबले ने आज अपने बयान को स्पष्ट करते हुए कहा कि समलैंगिकता कोई अपराध नहीं है लेकिन हमारे समाज में अनैतिक है। इसमें सजा दिए जाने की जरुरत नहीं है लेकिन इसका महिमा मंडन नहीं किया जाना चाहिए।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संयुक्त महासचिव दत्तात्रेय होसाबले ने समलैंगिकता पर कल दिए अपने बयान को आज स्पष्ट करते हुए कहा कि समलैंगिकता अपराध नहीं है लेकिन इसे मान्यता नहीं दी जानी चाहिए।
होसाबले ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर कहा कि समलैंगिकों को सजा देने की जरुरत नहीं है लेकिन यह मानसिक विकृति का मामला है। समलैंगिक शादियों को मान्यता नहीं दी जानी चाहिए। इस पर रोक लगानी चाहिए।
भारत में क्या है स्थिति?
– भारत उन 70 देशों में से एक है, जहां होमोसेक्शुअलिटी क्रिमिनल ऑफेंस है।
– धारा 377 के तहत होमोसेक्शुअलिटी को अननेचुरल सेक्स की कैटेगरी में रखा गया है। इसमें 10 साल तक की सजा हो सकती है।
– दिल्ली हाईकोर्ट ने 2009 में धारा 377 को रद्द कर दिया था।
– हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में 158 साल पुराने कानून की इस धारा को बरकरार रखा।
– एलजीबीटी कम्युनिटी को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 2013 के अपने आदेश का रिव्यू करने के लिए दायर क्यूरेटिव पिटीशन कॉन्स्टिट्यूशन बेंच को सौंप दी।