मोकामा के निर्दलीय विधायक अनंत सिंह ने मुंगेर लोकसभा सीट से चुनाव लडऩे की घोषणा क्या कर दी, पूरे राज्य में उबाल आ गया. एकाएक मुंगेर ‘हॉट सीट’ में तब्दील हो गया. अनंत और ललन अभी सियासी चालें चल ही रहे थे कि अति पिछड़ा समाज के नेता राम बदन राय ने यह कहकर इलाके में जनसंपर्क शुरू कर दिया कि मुंगेर लोकसभा सीट पर राजद की दावेदारी है. अभी घटक दलों के बीच सीटों के बंटवारे की आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन ललन सिंह, अनंत सिंह एवं राम बदन राय ने चुनावी तैयारियां तेज कर दी हैं.
ललन सिंह जाहिर तौर पर जदयू का तीर निशान लेकर चुनाव मैदान में उतरेंगे. अनंत सिंह ने बार-बार ऐलान कर रखा है कि उन्हें हाथ का साथ पसंद है और राम बदन राय लालटेन थामे हुए हैं. कई घाटों का पानी पीने के बाद अब राजद में ठिकाना तलाश चुके राम बदन राय ने बीते दिनों राजद के अति पिछड़ा प्रकोष्ठ का एक सम्मेलन भी कराया था. उक्त तीनों नेताओं ने क्षेत्र का दौरा शुरू कर दिया है. ललन सिंह की ओर से जदयू के एमएलसी एवं प्रवक्ता नीरज कुमार ने गोलबंदी शुरू कर दी है. पंडारक और बेलछी टाल के इलाके अनंत सिंह के मजबूत गढ़ रहे हैं, जिनके सहारे वह एवं उनके भाई दिलीप सिंह राजनीति में दिनोंदिन मजबूत हुए. वहां भी जल संसाधन मंत्री ललन सिंह के पक्ष में गोलबंदी हो चुकी है.
बाढ़ के जलगोविंद निवासी भगत मुखिया कभी अनंत सिंह के बेहद खास माने जाते थे. धानुक एवं अति पिछड़ा समाज के मतदाताओं पर भगत की अच्छी पकड़ है. अनंत का साथ छोडक़र भगत अब जदयू के लिए कमर कस चुके हैं. भगत के आने के बाद पंडारक टाल के सिलदही गांव में एक कार्यक्रम हुआ था, जिसमें सरेआम कहा गया कि अनंत सिंह का भूत झाडऩे के लिए अब भगत भी साथ आ गए हैं. भगत वैसे तो राजनीति में इतने सक्रिय नहीं रहते, लेकिन सामाजिक एवं जातिगत समीकरणों के चलते अपने समाज के बीच उनकी अच्छी पकड़ है. उसी पकड़ का नतीजा था कि अनंत सिंह ने जब कांग्रेस की रैली के लिए पूरा जोर लगा रखा था, तब भगत मुखिया के चाहने भर से पंडारक टाल निवासियों ने रैली में जाने से इंकार कर दिया था. ललन सिंह का यह दुर्भाग्य ही है कि जब भी वह लोकसभा चुनाव लड़ते हैं, तो उन्हें अपनों द्वारा ही चुनौती मिलती है. जब वह 2009 में चुनाव मैदान में उतरे थे, तो उनके सामने राम बदन राय थे. राय को जदयू में लाकर एमएलसी बनवाने वाले ललन सिंह ही थे. वही राम बदन राय 2009 के चुनावी अखाड़े में ललन सिंह के खिलाफ ताल ठोकते नजर आए. ललन सिंह की उस चुनाव में ऐतिहासिक जीत हुई थी. 2014 में एक बार फिर वही कहानी दोहराई गई. इस बार उनके सामने सूरज भान सिंह थे. सूरज भान और ललन सिंह के बीच पारिवारिक संबंध थे. लेकिन, जो सूरज भान अपने राजनीतिक गुरु ललन सिंह के लिए सम्मान का भाव रखते थे, वही खामोशी के साथ उन्हें चुनौती देते-देते मात देने में भी सफल हो गए. 2014 की हार का गम भुलाकर ललन सिंह ने 2019 की तैयारियां शुरू कर दी हैं और इस बार उनके सामने हैं अनंत सिंह.
मुंगेर के सभी विधानसभा क्षेत्रों में राष्ट्रीय जनता दल की मजबूत पकड़ है. बाढ़ विधानसभा क्षेत्र में राजद एक मजबूत फैक्टर है. उसके आधार मतदाता यानी यादव और मुसलमान पूरी तरह एकजुट हैं. मल्लाह भी मुकेश साहनी के चलते महागठबंधन के पक्ष में हैं. तेजस्वी यादव ने अनंत सिंह की उम्मीदवारी के सवाल पर खुला विरोध कर रखा है. अनंत को अगर महागठबंधन का उम्मीदवार बनाया भी जाता है, तो राजद के आधार मतदाताओं का एकमुश्त वोट मिलना मुश्किल है. फुटूस यादव एवं राम जन्म यादव हत्याकांड के चलते बाढ़ और मोकामा में यादव मतदाताओं के बीच अनंत सिंह के प्रति नाराजगी का भाव है. राजद उम्मीदवार के तौर पर राम बदन राय की फील्डिंग भी कम नहीं आंकी जा सकती. अगर वह महागठबंधन उम्मीदवार बनते हैं, तो धानुक समाज के आधार मतदाताओं का समर्थन पाने में सफल रहेंगे. धानुक समाज को नीतीश का वोट बैंक माना जाता है, जिसे तोडऩे में अगर वह कुछ हद तक भी सफल रहे, तो राजद के आधार वोट बैंक के सहारे ललन सिंह के लिए मुश्किल जरूर खड़ी कर देंगे.