भारत में गाय पवित्रता से कहीं ज्यादा एक मुद्दा बन चुका है जिसको लेकर आए दिन कुछ ना कुछ होता रहा है। इस बार हंगामा गाय को मारने पर नहीं बरपा बल्कि गुजरात के चार दलित युवकों को पिटने पर हंगामा बरपा है। बताया जा रहा है कि इन युवकों की पिटाई इसलिए की गई कि वह मरी हुई गायों की खाल उतार रहे थे। हालांकि यह इन युवकों का काम है।अब मामले ने जब तूल पकड़ा है तो गुजरात के दलित समुदाय के लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। ये लोग गाय को लेकर चार दलित युवकों की पिटाई से आक्रोशित हैं।
भारत के हर राज्य में कई गौरक्षा दल आसानी से मिल जाऐंगे। यह दल गाय की रक्षा और सुरक्षा के लिए काम करते हैं। कईं बार यह दल इतने हिंसक हो जाते हैं कि मार- पिटाई ही नहीं दूसरों के खून- खराबे पर उतर आते हैं। जिसके चलते कई घटनाएं हिंसक रूप ले लेती हैं।
हरियाणा गौ-रक्षा दल नाम से एक संगठन के पूरे हरियाणा समेत देश के कई राज्यों में शाखाएं हैं जिसमें मुख्य तौर पर गुजरात, राजेस्थान,पंजाब और हिमाचल शामिल है। इस दल से करीब पांच हजार कार्यकर्ता जुड़े हैं। किस तरह से काम करता है देश का एक गौ रक्षा दल हमने जानने की कोशिश की।
आचार्य योगेन्द्र आर्य हरियाणा गौ-रक्षा दल के प्रधान हैं। उनका हरियाणा गौ-रक्षा दल पूरे देश में सक्रीय है। गौ-रक्षा को यह अपना धर्म बताते हैं और बताने लगते हैं कि वह और उनका संगठन किस तरह से गौ- रक्षा कर रहा है। योगेन्द्र आर्य के मुताबिक जैसे ही हमें पता चलता है कि गाय की तस्करी की जा रही है हमारे दल के लोग सक्रीय हो जाते हैं और गायों को छुड़ाने के लिए लग जाते हैं। हमारे कार्यकर्ता तस्करी करने वालों पर नजर रखते हैं। तस्करों के आस पास के लोगों के संपर्क में भी रहते हैं। और कईं बार ऐसा भी होता है कि जिन लोगों का गुट तस्करी के काम में लगा हुआ है उनमें फूट की वजह से भी हमें जानकारी मिल जाती है। वह लोग बताते हैं कि किस गाड़ी में गायों को ले जाया जा रहा है इससे हमारा काम आसान हो जाता है। साथ ही हम उन नंबर की गाड़ियों पर नजर रखते हैं जो गाय की तस्करी से जुड़ी हैं। फोन पर भी हम एक दूसरे से जुड़े रहते हैं। सभी कार्यकर्ता उस जगह पहुंचते हैं। सड़क पर एक नाका लगाया जाता है । जानकारी के मुताबिक वाहन की तलाशी ली जाती है। और अगर जानकारी वाले वाहन में गाय मिलती हैं तो फिर कई बार हाथापाई भी हो जाती है।
गौरक्षा में जान जोख़िम में डालने वालों को कोई सुविधा या पैसा कुछ दिया जाता है ? इस पर योगेन्द्र आर्य कहते हैं कि नहीं यह तो देश सेवा है गऊ सेवा है। देखिए किसी को आप बीस हजार महीना दीजिए कोई आपसे नहीं जुड़ेगा। लेकिन आप देश सेवा के लिए कहिए सब आगे आएंगे।हम इस काम में आने वालों से पहले ही कह देते हैं कि यह जोखिम का काम है। जिसे अपनी जान की परवाह ना हो वह इस काम में आए क्योंकि यह काम जान लेने और देने का है। कईं बार गोलियां चलती हैं और गोलियां चलानी भी पड़ती हैं। हम साफ बताते हैं कि आप पर धारा 302, धारा 307 लग सकती है जेल में जाना पड़ सकता है लेकिन देश सेवा के लिए सब आगे आते हैं।
पूछने पर कि आपसे लोग कैसे जुड़ते हैं इस पर आर्य कहते हैं कि कुछ लोग सड़कों पर काम करने के लिए तैयार हो जाते हैं तो कुछ सुविधाएं देने के लिए जैसे कोई अगर रात को जागकर गाय की तस्करी में सहयोग नहीं कर सकता तो वह अपनी गाड़ी देकर सहयोग कर देता है ।
पैसा कहां से आता है इस सवाल का जवाब देते हुए वह कहते हैं कि कई लोग सेवा भाव से दान करते हैं लेकिन पैसा तो तस्करी से छुड़वाई गायों के चारे और व्यवस्था पर ही खर्च होता है। और वर्तमान सरकार सुविधा और सहयोग करती है। जिससे यह काम चल रहा है।
(निशा शर्मा से बातचीत पर आधारित)