साक्षात्कार – वेत्रिमारन, विसारानाई के निर्देशक
विसारानाई को आॅस्कर के लिए भेजे जाने पर आप कैसा महसूस कर रहे हैं?
मेरे और फिल्म की टीम के लिए यह बिल्कुल अनपेक्षित था। हमने जब इस फिल्म को बनाया था तब यह जरूर सोचा था कि हम इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लेकर जाएंगे लेकिन यह फिल्म आॅस्कर में भारत का प्रतिनिधित्व करेगी इसका बिल्कुल अंदाजा नहीं था। यह हमारे लिए बहुत खुशी की बात है कि हमारा काम इस रूप में सराहा गया।
कहा जा रहा है कि यह फिल्म उपन्यास ‘लॉक अप’ पर आधारित है। उपन्यास को फिल्मी परदे पर उतारने में आपको कितनी मुश्किल हुई?
सबसे पहले मैं यह कहना चाहूंगा कि यह फिल्म पूरी तरह से उपन्यास पर आधारित नहीं है। फिल्म का पहला हिस्सा उपन्यास पर आधारित है तो दूसरा हिस्सा वास्तविक जिंदगी पर। इस लिहाज से यह फिल्म वास्तविक जिंदगी पर आधारित है। इसके लिए मुझे ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी। जब फिल्म के लेखक आप खुद होते हैं तो कहानी आपके दिमाग में होती है। लेखक-निर्देशक एक ही होने से फिल्म बनाना और आसान हो जाता है। बस आपको खुद को वास्तविकता के पास ले जाने की जरूरत है।
आपने कई साक्षात्कारों में कहा कि कमजोर दिल वालों के लिए यह फिल्म नहीं है। ऐसे में आपको नहीं लगता कि आप अपने दर्शकों की संख्या खुद कम कर रहे हैं।
(हंसते हुए) नहीं, जिसने फिल्म देखनी है वह देखेगा ही और जिसने नहीं देखनी वह मेरे बोलने पर भी नहीं देखेगा। लेकिन मेरे कहने का मकसद यह था कि फिल्म में क्रूरता के ऐसे भयावह दृश्य हैं जिसे देखकर मजबूत से मजबूत इंसान के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। ऐसे में कोई मनोरंजन की फिल्म सोचकर देखने जाएगा तो आप भी समझ सकती हैं कि उसका क्या होगा। साथ ही फिल्म की कठोरता कमजोर दिल वालों को यह फिल्म देखने की इजाजत भी नहीं देती है।
आपने यह विषय क्यों चुना?
मैं फिल्में पैसे के लिए नहीं बनाता। मुझे लगता है कि जिस चीज को समाज के सामने लाना चाहिए मैं उस पर काम करता हूं।
आॅस्कर में भेजने के लिए आपने फिल्म में कुछ बदलाव किए हैं?
नहीं, अभी तो कोई बदलाव नहीं किए हैं लेकिन जब 72वें वेनिस फिल्म महोत्सव और एमनेस्टी इंटरनेशनल इटालिया अवॉर्ड के लिए फिल्म भेजी गई थी तब इसमें अतिरिक्त संगीत जोड़ा गया था। वहां इस फिल्म ने पुरस्कार अपने नाम किए थे।
फिल्म के प्रोड्यूसर धनुष का क्या योगदान रहा?
देखिए, हम इस फिल्म को शुरू से ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भेजना चाहते थे जिसमें धनुष ने पूरा सहयोग किया। धनुष ने फिल्म की मार्केटिंग पर काफी पैसा खर्च किया और अब भी आॅस्कर में अपनी फिल्म को आगे ले जाने की कोशिश कर रहे हैं।
धनुष से आपने फिल्म में एक्टिंग क्यों नहीं करवाई जबकि वो तमिल फिल्मों के बड़े एक्टर हैं?
जिन लोगों को फिल्म के लिए चुना गया वे फिल्म के किरदारों के लिए फिट थे। यह जरूरी नहीं कि एक अच्छी फिल्म के लिए बड़े चेहरे की जरूरत हो। प्रोड्यूसर के तौर पर उन्होंने काफी सहयोग किया।
फिल्म में एक दृश्य ऐसा है जिसमें दिखाया गया है कि कैदियों को बुरी तरह से पीटा जा रहा है। ये दृश्य वास्तविक हैं या काल्पनिक?
ये दृश्य वास्तविक हैं। वास्तव में उनकी पिटाई की गई। ऐसा हमने फिल्म में सच्चाई को दिखाने के लिए किया जो कहानी की मांग थी।
क्या सेंसर बोर्ड ने आपकी फिल्म के क्रूर दृश्यों पर आपत्ति जताई थी?
हां, शुरुआत में सेंसर बोर्ड ने कुछ दृश्यों को काटने को कहा था, लेकिन अगर हम उन दृश्यों को हटा देते तो फिल्म का अस्तित्व ही नहीं बचता। हम सेंसर बोर्ड को समझाने में कामयाब रहे थे। अब उन्हीं दृश्यों की खूब चर्चा हो रही है।
आपकी फिल्म मनुष्य के मस्तिष्क के गहरे पहलुओं पर प्रकाश डालती है। इस फिल्म से पहले इतनी खूबसूरती से इस मसले को किसी फिल्म में नहीं दिखाया गया?
शुक्रिया, अगर मीडिया ऐसा मानता है। यह मेरी और फिल्म से जुड़े हर कलाकार की जीत है। किसी ने जुर्म किया यह दुनिया को तो पता लग जाता है लेकिन लॉक अप में निर्दोष को अपराधी कैसे बनाया जाता है यह किसी को पता नहीं चल पाता। लोगों की संवेदनाएं जहां खत्म होती हैं वहां से पुलिस की क्रूरता शुरू होती है।
क्या विसारानाई का हिंदी रीमेक बनेगा?
जी, यह फिल्म हिंदी में भी बनेगी। हिंदी रीमेक के राइट्स बॉलीवुड निर्देशक प्रियदर्शन ने लिए हैं।