फ्रांस ने अपने नए नेता के तौर पर इमानुएल माक्रों को चुना है। मैक्रों को 66.06 फ़ीसदी वोट मिले हैं जबकि उनकी प्रतिद्वंद्वी मरी ल पेन को 33.94 फ़ीसदी वोट मिले।
फ़ांसीसी गणतंत्र में 1958 के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि चुना गया राष्ट्रपति फ़्रांस के दो प्रमुख राजनीतिक दलों – सोशलिस्ट और सेंटर राइट रिपब्लिकन पार्टी से नहीं हैं। मैक्रों फ्रांस में नेपोलियन के बाद सबसे नौजवान नेता हैं।
मीडिया में आई खबरों के मुताबिक फ़्रांस के इस चुनाव में 66 फ़ीसदी मतदान हुआ जबकि 2012 में 72 फ़ीसदी और 2007 में 75.1 फ़ीसदी मतदान हुआ था।
बताते चलें कि मांक्रो की जीत की संभावना पहले सी ही की जा रही थी। दरअसल पहले चरण में हुए राष्ट्रपति चुनाव में कुल 11 उम्मीदवार थे, जिनमें सबसे ज्यादा 23.9 प्रतिशत वोट इमानुएल माक्रों को मिले जबकि 21.4 प्रतिशत वोटों के साथ मरीन ले पेन दूसरे स्थान पर रहीं। उन परिणामों में भी इमानुएल माक्रों आगे थे साथ ही पहले चरण में हारने वाले सोशलिस्ट उम्मीदवार बेनोआं आमों और रुढ़िवादी फ्रांसोआ फियों ने दूसरे चरण के लिए माक्रों को अपना समर्थन दिया। माना जा रहा थ कि इसके पीछे उनकी रणनीति यह रही कि वह मरीन ले पेन को जीताना नहीं चाहते थे।
कौन हैं इमानुएल माक्रों-
एक सप्ताह पहले के मतसर्वेक्षणों में 26 प्रतिशत समर्थन के साथ उदार-वामपंथी 39 साल के इमानुएल माक्रों एक नया चेहरा हैं। उनके पिता न्यूरोसाइंस के प्रोफ़ेसर हैं और मां डॉक्टर। दर्शनशास्त्र की पढ़ाई करने वाले और प्रशासनिक कार्यों का प्रशिक्षण पा चुके माक्रों फ्रांस के वित्तमंत्रालय में कुछ समय काम करने के बाद इनवेस्टमेंट बैंकर भी रहे हैं। राष्ट्रपति-पद के चुनावी अखाड़े में कूदने से पहले माक्रों फ्रांस के उद्योगमंत्री भी रह चुके हैं।
विचाराधारा से वे लोकतांत्रिक समाजवादी हैं। माक्रों यूरोपीय संघ के समर्थक हैं। वे कंपनी-करों में 30 से 40 अरब यूरो के बराबर कटौती द्वारा देश में आर्थिक मंदी को दूर करना चाहते हैं। आर्थिक-सामाजिक सुधारों की उनकी और भी कई योजनाएं हैं, जिनके कारण नवंबर 2016 में चुनावी अखाड़े में कूदने के बाद से उनकी लोकप्रियता बढ़ती गयी है।